हल्द्वानी में दिल्ली मॉडल के तहत हुई हिंसा, जानें पूरा मामला

गुरुवार शाम हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हिंसा भड़क गई। बताया जा रहा है कि यहां रेलवे की जमीन पर बने अवैध मदरसे को हटाने को लेकर हिंसा हुई है।

हल्द्वानी हिंसा, उत्तराखंड, हिंसा

उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में UCC को प्रदेश में लागू कर दिया है। सरकार के इस फैसले का मुस्लिम पक्ष द्वारा काफी विरोध किया जा रहा था। इसी बीच गुरुवार शाम हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हिंसा भड़क गई। बताया जा रहा है कि यहां रेलवे की जमीन पर बने अवैध मदरसे को हटाने को लेकर हिंसा हुई है। यह मात्र संयोग नहीं हो सकता। यूसीसी पारित होने के 24 घंटे के भीतर ही हल्द्वानी में हिंसा भड़क जाए।

क्या है पूरा मामला

हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन अभियान चला रहा था। यह घनी आबादी वाला इलाका है, जहां मुस्लिमों की संख्या अधिक है। गुरुवार शाम जैसे ही मदरसे को तोड़ने का काम शुरू किया गया, बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर आ गए और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसके बाद पत्थरबाज़ी शुरू हो गई जिसके जवाब में पुलिस ने भी कार्रवाई की।

इस घटना में अबतक सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, रामनगर कोतवाल समेत 300 से अधिक पुलिसकर्मी और निगमकर्मी घायल हो गए। जबकि 6 लोगों के मौत की सूचना भी है। वहीं, इस दौरान शांति प्रिय समुदाय के लोगों ने शांति में बनभूलपुरा थाना, पुलिस की जीप, जेसीबी, दमकल की गाड़ी दोपहिया समेत 70 से अधिक वाहन को भी फूंक दिया हैं।

और पढ़ें:- उत्तराखंड विधानसभा में UCC विधेयक हुआ पेश, केंद्र कब करेगी विचार?

प्लान कर की गई हिंसा

उत्तराखंड के हल्द्वानी में भड़की यह हिंसा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा सरकार के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है। गुरुवार शाम 5 बजे से कई घंटे चले उपद्रव को देखकर और नैनीताल डीएम ने जो मंजर साझा किया, उससे साफ है कि ये घटना पूरी तरह से प्लान कर अंजाम दी गई है। 

डीएम ने दी जानकारी

डीएम ने बताया कि किस तरह से कानूनी दांवपेंच में प्रशासन को फंसाए रखा गया और पीछे से बलवे की पूरी प्लानिंग की गई। प्रशासन अपीलों की जांच में व्यस्त था और दूसरी तरफ खाली पड़ी छतों पर पत्थर जुटा लिए गए, प्लास्टिक की बोतलों में पेट्रोल बम तैयार किए गए। इसके बाद ऐन वक्त पर हर घर से पत्थर और पेट्रोल बमों की बारिश शुरू हो गई।

मदरसा नहीं अभिलेखों में नजूल की जमीन है

डीएम ने बताया कि ये खाली प्रॉपर्टी है। इसमें दो स्ट्रक्चर हैं, ये न तो किसी धार्मिक संरचना के तौर पर रजिस्टर्ड हैं, न ही किसी प्रकार से मान्यता प्राप्त हैं। इस स्ट्रक्चर को कुछ लोग मदरसा कहते हैं, कुछ लोग पूर्व नमाज स्थल कहते हैं। लेकिन उसका विधिक रूप से कोई दस्तावेज नहीं है। 

डीएम ने बताया कि जगह को हमने खाली करा कर ओपन स्पेस अपने कब्जे में ले लिया। फिर एक नोटिस स्ट्रक्चर पर चस्पा कराया क्योंकि कथित रूप से ये एरिया मलिक का बगीचा नाम से जाना जाता है। जबकि कागजों में ये नगर निगम के नजूल(सरकारी जमीन) के रूप में दर्ज है।

हमले की थ्री स्टेप की गई प्लानिंग: डीएम

डीएम ने कहा कि पहले ड्राइव के दौरान हमने आपको बताया कि किसी छत पर कोई पत्थर नहीं था। लेकिन जब ये विधिक प्रक्रिया चल रही थी, उस दौरान छतों पर पत्थर इकट्‌ठे किए गए। ये साफ था कि जिस दिन ध्वस्तीकरण कार्रवाई होगी, उस दिन हमला किया जाएगा।

डीएम ने आगे बताया कि भीड़ का पहला हमला पत्थरों से किया गया। हमने उसे निष्क्रिय कर दिया तो दूसरी भीड़ हाथ में पेट्रोल बमों के साथ आई और उन्हें टीम पर आग लगा-लगाकर फेंकना शुरू कर दिया। तब तक हमारी टीम ने किसी प्रकार के फोर्स का इस्तेमाल भी नहीं किया था। 

जब आगजनी की घटनाओं के बाद तीसरे स्टेप के तौर पर उपद्रवियों ने थाना घेर लिया, थाने में मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस अधिकारी, मशीनरी थी तो उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया। उन पर पत्थरबाजी, पेट्रोल बमों से हमला किया गया। थाने के बाहर वाहनों को आग लगा दी गई। इस आगजनी में थाने के अंदर धुआं भर गया जिससे अंदर फंसे ऑफिसर्स को को सांस लेने में मुश्किल होने लगी।

गोली मारने के आदेश

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है गुरुवार को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “सीएम ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अवैध निर्माण को हटाए जाने के दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों और कार्मियों पर हुए हमले तथा क्षेत्र में अशांति फैलाने की घटना को गंभीरता से लिया है।”

“सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। प्रशासनिक अधिकारी निरंतर क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोशिश कर रहे हैं।”

जानिए कब क्या हुआ

इस घटना के बाद अब धामी सरकार एक्टिव जरूरी हो गई है। तमाम कार्रवाइयों के आदेश दिए गए हैं। लेकिन इस हिंसा ने कहीं न कहीं पुलिस और प्रशासनिक अमले की तैयारियों को भी उजागर कर दिया है। 

पुलिस इंटेलिजेंस, एलआईयू पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्हें कैसे नहीं पता चला कि छतों पर पत्थर इकट्‌ठा किए जा रहे हैं।ये घटना उस समय सामने आई है, जब एक दिन पहले ही उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी पास हुआ है। जाहिर है इसे लेकर अतिसंवेदनशील इलाकों पर स्वाभाविक तौर पर अलर्ट होना चाहिए था। 

Exit mobile version