दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति के साथ-साथ अब जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में भी ईडी ने समन भेज दिया है।
जल बोर्ड से जुड़े मामले में जारी समन पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा, ‘कोई नहीं जानता कि डीजेबी का यह मामला किस चीज को लेकर है। यह किसी भी तरह केजरीवाल को गिरफ्तार करने और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने की एक वैकल्पिक योजना लगती है।’
धनशोधन रोधी कानून के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है जिसमें आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को बुलाया गया है। केजरीवाल को पहले ही दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किए गए हैं।
केजरीवाल इस मामले में अब तक आठ समन को अवैध बताते हुए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं। केजरीवाल को इस मामले में नौवां समन जारी कर उन्हें 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
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क्या है जल बोर्ड घोटाला?
डीजेबी मामले में ईडी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के इस विभाग के एक ठेके के बदले लिया गया ‘रिश्वत का पैसा’ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनावी कोष के रूप में दिया गया था। ईडी ने इस मामले की जांच के तहत फरवरी में केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार, ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य एन डी गुप्ता, डीजेबी के पूर्व सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल और कुछ अन्य के परिसरों पर छापेमारी की थी।
38 करोड़ रुपये का ठेका
सीबीआई की एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी को बोर्ड का 38 करोड़ रुपये का ठेका दिया था और यह ठेका इस तथ्य के बावजूद दिया गया था कि कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को ‘पूरा नहीं करती’ है। ईडी के मामले का यही आधार है। ईडी ने इस मामले में अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल नाम के ठेकेदार को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।
‘जाली दस्तावेज जमा करके टेंडर हासिल किया’
एजेंसी ने दावा किया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने ‘जाली’ दस्तावेज जमा करके निविदा हासिल की और अरोड़ा को ‘इस तथ्य की जानकारी थी कि कंपनी तकनीकी पात्रता को पूरा नहीं करती है।
‘ईडी ने एक बयान में आरोप लगाया है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को ठेका देने के बाद अरोड़ा ने नकद और बैंक खातों में रिश्वत ली और उन्होंने यह पैसा डीजेबी में मामलों का प्रबंधन करने वाले विभिन्न व्यक्तियों को दिया, जिसमें ‘आप’ से जुड़े लोग भी शामिल थे। इसमें दावा किया गया है, ‘रिश्वत की रकम ‘आप’ के चुनावी कोष में भी जमा की गई।’ यह दूसरा मामला है जिसमें जांच एजेंसी ने ‘आप’ पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।
एजेंसी ने कहा कि डीजेबी का ठेका ‘अत्यधिक बढ़ी हुई दरों’ पर दिया गया ताकि ठेकेदारों से रिश्वत वसूली जा सके। ईडी ने कहा कि ठेके का मूल्य 38 करोड़ रुपये था और इस पर सिर्फ 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए और शेष राशि का विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में गबन कर लिया गया। ईडी ने दावा किया, ‘इस तरह के फर्जी खर्च रिश्वत और चुनावी कोष के लिए किए गए थे।’
जल बोर्ड में इतने करोड़ का घोटाला
केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बीते शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली जल बोर्ड में 3,237 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया।
उन्होंने जल बोर्ड के बैंक खातों की स्टेटमेंट व वित्तीय रिपोर्ट का जिक्र करते कहा कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच बोर्ड के वित्तीय खर्च के बारे में कई जानकारियां छिपाई गईं हैं। वर्ष 2017-18 के बाद से बोर्ड के खातों की डिटेल डिक्लरेशन भी सही ढंग से नहीं की गई है। बोर्ड में इसी तरह के कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं हैं।
इस नई मुसीबत की बात करें तो प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत केजरीवाल को समन जारी किया है। ईडी दिल्ली जल बोर्ड में अवैध टेंडरिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है।
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