अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की आलोचना हो रही है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इसे विभाजन के संदर्भ में रखना महत्वपूर्ण है। साथ ही रेखांकित किया कि ऐसे ‘कई उदाहरण’ हैं जिनमें कई देशों के पास फास्ट-ट्रैक नागरिकता है।
बीते शनिवार को एक निजी टीवी चैनल से बातचीत के दौरान, जयशंकर ने अमेरिकी धरती पर एक खालिस्तानी अलगाववादी को मारने की साजिश रचने के आरोपों का सामना कर रहे एक भारतीय नागरिक और एक दिन पहले अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की टिप्पणियों पर सवालों के जवाब दिए।
जयशंकर ने सीएए को लेकर कहा, ‘देखिए, मैं उनके लोकतंत्र की खामियों या अन्य चीजों या उनके सिद्धांतों या इसके अभाव पर सवाल नहीं उठा रहा। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। जब आप दुनिया के कई हिस्सों की टिप्पणियां सुनते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं और इसके परिणामस्वरूप ऐसी कोई समस्या थी ही नहीं, जिसका समाधान सीएए को करना चाहिए।’
और पढ़ें:- भारत के 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट को मिली हरी झंडी
जयशंकर बोले- कई देशों में जाति-धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है
विदेश मंत्री ने आगे कहा- अगर आप मुझसे पूछें कि क्या दूसरे देश भी जाति या धर्म के आधार पर तेजी से नागरिकता देते हैं, तो मैं आपको कई उदाहरण दे सकता हूं। अगर बहुत बड़े पैमाने पर कोई फैसला लिया जाता है, तो तुरंत उसके सभी परिणामों से निपटा नहीं जा सकता।
दरअसल, 2 दिन पहले व्हाइट हाउस के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था- अमेरिका 11 मार्च को आए CAA के नोटिफिकेशन को लेकर चिंतित हैं। इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा, इस पर हमारी नजर रहेगी। धार्मिक स्वतंत्रता का आदर करना और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ बराबरी से पेश आना लोकतांत्रिक सिद्धांत है।
विदेश मंत्रालय ने कहा था- CAA नागरिकता देता है, छीनता नहीं
इस पर विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था- नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इस पर अमेरिका का बयान गलत है। जिन लोगों को भारत की परंपराओं और विभाजन के बाद के इतिहास की समझ नहीं है, उन्हें लेक्चर देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। CAA नागरिकता देने के बारे में है, नागरिकता छीनने के बारे में नहीं।
CAA अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के उन अल्पसंख्यकों को सुरक्षित पनाह देता है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके हैं।
अमेरिका में साजिश रचने के आरोप पर भी बोले जयशंकर
वहीं, इस दौरान विदेश मंत्री ने अमेरिकी धरती पर अलगाववादी की हत्या की साजिश रचने के आरोप का सामना कर रहे भारतीय नागरिक के मामले पर जयशंकर बताया कि भारत इससे कैसे निपट रहा है।
जयशंकर ने कहा, ‘अमेरिका ने हमारे साथ कुछ जानकारी साझा की है। कुछ जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और कुछ नहीं है। हमारी रुचि भी इस पर गौर करने में है क्योंकि हमें इसमें संगठित अपराध का पहलू नजर आता है जो हमारी अपनी सुरक्षा पर भी असर डालता है। ‘उन्होंने कहा, ‘इसलिए, जब हमें इस जानकारी से अवगत कराया गया तो हमने इस पर गौर करने के लिए सक्षम लोगों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का फैसला किया।’
जयशंकर ने यह भी कहा कि अमेरिका और कनाडा के आरोपों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आप भारत और कनाडा का निर्बाध रूप से जिक्र करते रहे हैं। मैं कई कारणों से यहां एक रेखा खींचूंगा।
सबसे अहम बात यह है कि अमेरिकी राजनीति ने हिंसक चरमपंथी विचारों और गतिविधियों को उस तरह की जगह नहीं दी है जो कनाडा ने दी है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि इन्हें एक साथ रखना अमेरिका के साथ उचित है। मैं दोनों के बीच अंतर करूंगा।’
CAA क्या है, इसकी 3 बड़ी बातें
केंद्र सरकार ने 11 मार्च को सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया। CAA को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया।
- किसे मिलेगी नागरिकता: 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
- भारतीय नागरिकों पर क्या असर: भारतीय नागरिकों से CAA का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
- आवेदन कैसे कर सकेंगे: आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में 125 वोट पड़े थे
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 1 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल ने दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले ली।
और पढ़ें:- भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ स्टील्थ पनडुब्बी बेचने को तैयार स्पेन