भारतीय नौसेना समुद्री डाकुओं के लिए काल बन गई है। वह डाकुओं के हर प्रयास को विफल करने का प्रयास कर रही है। इस काम में वह सफल होते भी दिख रही है। नौसेना द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई से वर्षों से मालवाहक जहाजों के लिए चिंता का कारण बने समुद्री डाकुओं के हौसले अब पस्त होने लगे हैं।
मार्कोस का पहला पैरा-ड्रॉप ऑपरेशन
ताजा घटनाक्रम में भारतीय नौसेना के अत्यधिक गोपनीय मरीन कमांडो (मार्कोस) ने 16 मार्च को समुद्र में अपना पहला पैरा-ड्रॉप ऑपरेशन किया। इस सफल पैरा-ड्रॉप ऑपरेशन में मार्कोस कमांडोस् ने 35 सोमाली समुद्री डाकुओं का आत्मसमर्पण कराया और व्यापारी जहाज एमवी रुएन से 17 नागरिकों को भी बचाया।
भारतीय नौसेना के एक बयान के अनुसार, माल्टीज-ध्वजांकित जहाज, एमवी रुएन को 14 दिसंबर 2023 को अपहरण कर लिया गया था, और इसे समुद्र में समुद्री डकैती के कृत्यों को अंजाम देने के लिए समुद्री डाकू जहाज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था।
इस जहाज को शुक्रवार 15 मार्च को नौसेना के विध्वंसक आईएनएस कोलकाता द्वारा भारतीय तट से लगभग 1,400 समुद्री मील (2,600 किमी) दूर रोका गया था। इस दौरान जहाज से युद्धपोत पर गोलीबारी की गई। भारतीय युद्धपोत ने भी आत्मरक्षा में अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कार्रवाई की।
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40 घंटे चला ऑपरेशन
40 घंटे की लगातार कार्रवाई के जरिए आईएनएस कोलकाता ने सभी 35 समुद्री लुटेरों को घेर लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। बिना किसी नुकसान के चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित बचाया लिया गया।
किस-किस ने लिया ऑपरेशन में भाग
इस ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना के C-17 ग्लोबमास्टर-III परिवहन विमान, अपहृत जहाज पर हवाई निगरानी बनाए रखने के लिए अमेरिका से लिया गया एक अनमैन्ड एरियल व्हीकल एमक्यू-9 सी गार्डियन, बोइंग पी-8आई पोसीडॉन पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान और एक सुकन्या श्रेणी के गश्ती जहाज के अलावा, आईएनएस सुभद्रा ने भी इस ऑपरेशन में हिस्सा लिया।
पहले भी किया था डकैती के प्रयास को विफल
भारतीय नौसेना ने इस महीने की शुरुआत में सोमालिया के पूर्वी तट पर 11 ईरानी और आठ पाकिस्तानी नागरिकों के चालक दल वाले मछली पकड़ने वाले जहाज पर डकैती के प्रयास को विफल कर दिया था।
जनवरी में भारतीय युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा ने सोमालिया के पूर्वी तट पर समुद्री डाकुओं द्वारा हमला किए जाने के बाद ईरानी ध्वज वाले मछली पकड़ने वाले जहाज के 19 पाकिस्तानी चालक दल को बचाया था। नौसेना ने पांच जनवरी को उत्तरी अरब सागर में लाइबेरिया के झंडे वाले जहाज एमवी लीला नोरफोक के अपहरण के प्रयास को विफल कर दिया था।
नौसेना ने की समुद्री मार्गों की निगरानी तेज
भारतीय नौसेना ने उत्तर और मध्य अरब सागर सहित महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की निगरानी तेज कर दी है। पिछले कुछ महीनों में आतंकवादियों द्वारा लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर सिलसिलेवार हमले शुरू करने के बाद वैश्विक स्तर पर चिंताएं बढ़ गई हैं। ऐसे में भारतीय नौसेना बड़ी भूमिका निभा रही है।
कौन है मार्कोस कमांडो
1987 में स्थापित, मार्कोस नौसेना के विशेष बल संचालक हैं, जो भारतीय सेना के विशेष बल (पैरा एसएफ) और भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो के समान हैं। इन्हें समुद्र में विशेष युद्ध का संचालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जिसमें लड़ाकू गोताखोरी, खोज और बचाव, पानी के नीचे विध्वंस, यात्रा, बोर्ड, खोज और जब्ती और टोही ऑपरेशन शामिल हैं। हालांकि इनकी क्षमताएं केवल समुद्र में युद्ध तक ही सीमित नहीं हैं- ये जमीन और हवा से भी शेष दो डोमेन में ऑपरेशन कर सकते हैं।
कौन-कौन से ऑपरेशन में लिया है भाग
मार्कोस कमाडो ने अपने निर्माण के कुछ ही महीनों बाद ऑपरेशन पवन में भाग लिया, जहां इन्होंने त्रिंकोमाली और जाफना के बंदरगाह पर कब्जा करने में मदद की थी। मार्कोस ने ऑपरेशन कैक्टस में भी भाग लिया, जहां इन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को तख्तापलट से बचाने में मदद की। मार्कोस जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी लगे हुए हैं, जहां इन्हें वुलर झील और झेलम नदी के किनारे तैनात किया गया है।
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