भारतीय सेना ने एक विशिष्ट तकनीकी यूनिट ‘सिग्नल्स टेक्नोलाजी एवेल्यूशन एंड एडाप्शन ग्रुप’ (एसटीईएजी) का गठन किया है जो डिफेंस एप्लीकेशन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी, 6जी जैसी भविष्य की संचार तकनीकों, मशीन लर्निंग, क्वांटम टेक्नोलाजी इत्यादि के शोध एवं विकास पर काम करेगी।
एसटीईएजी इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज, मोबाइल संचार, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम, 5जी और 6जी नेटवर्क, क्वांटम टेक्नोलॉजीज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग सहित वायर्ड और वायरलेस सिस्टम में अनुकूलित प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
इस अग्रणी इकाई का लक्ष्य अत्याधुनिक समाधानों का लाभ उठाना और उपयुक्त रक्षा अनुप्रयोगों की पहचान करने के लिए शिक्षा जगत और उद्योग के साथ सहयोग करना है। एसटीईएजी समसामयिक प्रौद्योगिकियों के रखरखाव और उन्नयन के माध्यम से उपयोगकर्ता इंटरफेस समर्थन प्रदान करते हुए, मुख्य आईसीटी समाधानों की तकनीकी स्काउटिंग, मूल्यांकन और विकास का संचालन करेगा।
और पढ़ें:- भारत के 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट को मिली हरी झंडी
नए उपकरणों को शामिल करने की जरूरत
आधुनिक युद्ध में अभियानों के दौरान यूनिटों को निर्बाध संचार सहायता उपलब्ध कराने के लिए नए उपकरणों को शामिल करने की जरूरत होती है। ऐसी तकनीकी प्रगति को अपनाने के लिए ही भारतीय सेना ने इस यूनिट एसटीईएजी का गठन किया है जो डिजिटल क्षेत्र में इसकी क्षमताओं में बढ़ोतरी करेगी।
उद्योग व शिक्षा जगत को मिलेगी मदद
यह हाई टेक यूनिट मुख्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का मूल्यांकन, विकास एवं प्रबंधन करेगी और उपलब्ध समकालीन प्रौद्योगिकियों के रखरखाव और अपग्रेडेशन द्वारा यूजर इंटरफेस को मदद करेगी। आत्मनिर्भर भारत और स्टार्ट-अप इंडिया के सिद्धांतों से स्वयं को जोड़ते हुए एसटीईएजी एक तरफ सशस्त्र बलों और दूसरी तरफ उद्योग व शिक्षा जगत के बीच विभाजन को पाटने में मदद करेगा।
आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
अधिकारियों का मानना है कि एसटीईएजी उच्च-स्तरीय संचार प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिस पर परंपरागत रूप से उन्नत अर्थव्यवस्था और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र वाले देशों का वर्चस्व रहा है। इस उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना से भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की खोज में गेम-चेंजर बनने की उम्मीद है।
परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना
आधुनिक युद्ध के संदर्भ में, परिचालन सफलता के लिए प्रभावी संचार सर्वोपरि है। सेना के अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि बेहतर संचार प्रौद्योगिकियों और सूचना साझा करने के लिए विभिन्न घटकों को जोड़ने की क्षमता वाले पक्ष को रणनीतिक लाभ होगा।
एसटीईएजी की स्थापना डिजिटल डोमेन में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और संचालन के दौरान निर्बाध संचार समर्थन सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी में प्रगति को आत्मसात करने की सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “युद्ध के मैदान के लिए तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों में, बेहतर संचार प्रौद्योगिकियों और सूचना साझा करने के लिए विभिन्न घटकों को जोड़ने की क्षमता वाले पक्ष को अपने प्रतिद्वंद्वी पर बढ़त मिलेगी।”
उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध में संचालन के दौरान इकाइयों और संरचनाओं को निर्बाध संचार सहायता प्रदान करने के लिए नए उपकरणों को शामिल करने की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी में ऐसी प्रगति को आत्मसात करने के लिए, भारतीय सेना ने इस अभूतपूर्व प्रौद्योगिकी-उन्मुख इकाई एसटीईएजी की स्थापना की है जो डिजिटल क्षेत्र में इसकी क्षमताओं को बढ़ाएगी।”
और पढ़ें:- रक्षा मंत्रालय ने HAL से खरीदें 34 ध्रुव MK-3 हेलीकॉप्टर, 8073 करोड़ में हुई डील