देश में इस वक्त लोकसभा चुनाव का माहौल है। तमाम पार्टियां अपने उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार अभियान में जुटी हुई हैं। इसी प्रचार में बीती 21अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान ने सियासी पारा गर्म कर दिया है। पीएम ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र में किए गए कुछ वादों को लेकर सवाल किया है। प्रधानमंत्री ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के वर्षों पुराने बयान का हवाला देते हुए कांग्रेस से सवाल भी किया कि क्या जनता की मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा?
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद विपक्ष उन पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस ने इसे हेट स्पीच करार दिया है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में किसी से कुछ लेकर बांटने की बात नहीं कही गई है।
आइये जानते हैं कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र को लेकर क्या बयान दिया है? पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र के किन बिंदुओं को उठाया? आखिर किस आधार पर आरोप लगाया कि कांग्रेस संपत्ति बेच देगी, मंगलसूत्र बेच देगी? पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस ने क्या प्रतिक्रिया दी है?
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर क्या बयान दिया है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी अभियान के तहत रविवार(21अप्रैल) को राजस्थान का दौरा किया। यहां बांसवाड़ा में रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने अपने भाषण में कहा, ‘कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है यदि देश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हरेक की प्रॉपर्टी का सर्वे किया जाएगा। हमारी बहनों के पास सोना कितना है, उसकी जांच की जाएगी, उसका हिसाब लगाया जाएगा। हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है, उसका हिसाब लगाया जाएगा। सरकारी मुलाजिमों के पास कितनी जगह है, पैसे कहां हैं, नौकरी कहां है, उसकी जांच की जाएगी।’
पीएम ने आगे कहा, ‘ये जो बहनों का सोना है और जो संपत्ति है, ये सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएगी। क्या आपको मंजूर है ये। मेहनत करके कमाई हुई आपकी संपत्ति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या? क्या उस संपत्ति को माताओं-बहनों की जिंदगी में सोना सिर्फ शो करने के लिए नहीं होता है। यह उसके स्वाभिमान से जुड़ा होता है। उसका मंगलसूत्र एक सोने की कीमत का मुद्दा नहीं है, वो उसके सपनों से जुड़ा हुआ मुद्दा है।
अपने घोषणा पत्र में तुम उसे छीनने किए बात कर रहे है हो। गोल्ड ले लेंगे, सबको वितरित कर देंगे। और पहले जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बाटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बाटेंगे, घुसपैठियों को बाटेंगे।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा। आपको मंजूर है ये? ये कांग्रेस का घोषणा-पत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जप्ति करेंगे, जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे। और उनको बांटेगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।’
पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र के किन बिंदुओं को उठाया?
दरअसल, 5 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा-पत्र जारी किया था। कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र को ‘न्याय पत्र’ नाम से जारी किया था। 48 पन्ने के न्याय पत्र में तमाम वर्गों और क्षेत्रों के लिए न्याय के 10 स्तंभों जोर दिया गया। इन्हीं में से एक है हिस्सेदारी न्याय। घोषणा-पत्र के इसी हिस्से में अल्पसंख्यकों के लिए कुछ वादे किए गए हैं।
अल्पसंख्यक वर्ग के लिए घोषणा-पत्र में लिखा गया है, ‘धार्मिक बहुलता भारत के विविध इतिहास को दर्शाता है। इतिहास को बदला नहीं जा सकता। भारत में रहने वाले सभी लोग और भारत में पैदा हुए सभी बच्चे समान रूप से मानवाधिकारों के हकदार हैं, जिसमें कि अपने धर्म का पालन करने का अधिकार भी शामिल है।
बहुलतावाद और विविधता भारत की प्रकृति के मूल में हैं और हमारे संविधान की प्रस्तावना में निहित हैं। भारत के इतिहास और लोकतांत्रिक परंपराओं को समझते हुए कांग्रेस का मानना है कि तनाशाही या बहुसंख्यकवाद के लिए देश में कोई जगह नहीं है।
कांग्रेस के न्याय पत्र में आगे लिखा, ‘भाषीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत के किसी अन्य नागरिक की तरह ही मानव और नागरिक अधिकार प्राप्त है। कांग्रेस भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
इसके बाद कांग्रेस के घोषणा-पत्र में नौ अलग-अलग बिंदुओं में अल्पसंख्यकों को किए वादों का जिक्र है। ये बिंदु हैं:
- कांग्रेस भारत के संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 25, 28, 29 और 30 के तहत अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरकरार रखेगी।
- कांग्रेस भारत के संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 29 और 30 के तहत भाषा की दृष्टि से अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरकरार रखेगी।
- कांग्रेस अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों और युवाओं को शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, सेवाओं, खेल, कला और अन्य क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगी और सहायता देगी।
- कांग्रेस विदेश में अध्ययन के लिए मौलाना आजाद छात्रवृत्ति को फिर से लागू करेगी और छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाएगी।
- अल्पसंख्यक अपने मानवीय और नागरिक अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें इसके लिए उनका आर्थिक सशक्तिकरण आवश्यक है। कांग्रेस आसान ऋण प्रदान करने की नीति बनाएगी।
- कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सरकारी नौकरी, लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के उचित अवसर मिले।
- कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि, प्रत्येक नागरिक की तरह, अल्पसंख्यकों को भी पोशाक, खान-पान, भाषा और व्यक्तिगत कानूनों की स्वतंत्रता हो।
- कांग्रेस व्यक्तिगत कानूनों में सुधार को बढ़ावा देगी। यह सुधार संबंधित समुदायों की भागीदारी और सहमति से किए जाएंगे।
- कांग्रेस संविधान की आठवीं अनुसूची में अधिक भाषाओं को शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने का वादा करती है।
इसके अलावा हिस्सेदारी न्याय के हिस्से में आर्थिक-सामाजिक जाति जनगणना का जिक्र है। इसमें लिखा है, ‘कांग्रेस राष्ट्रव्यापी आर्थिक-सामाजिक जाति जनगणना करवाएगी। इसके माध्यम से कांग्रेस जातियों, उपजातियों और उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति का पता लगाएगी। जनगणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस उनकी स्थिति में सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाएगी।’
पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस ने क्या कहा है?
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद से कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं। इस बात पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और पीएम मोदी भारत की जनता को असल मुद्दों से भटकाने का काम कर रहे हैं।
वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में आर्थिक असमानताओं के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है। पार्टी ने यह भी कहा कि इसमें किसी से कुछ लेकर बांटने की बात नहीं कही गई है। ‘व्यापक सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना’ का समर्थन किया गया है।
पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को चुनौती है कि हमारे घोषणा-पत्र में कहीं भी हिंदू मुसलमान लिखा हो तो दिखा दें। हमने तो युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासियों, मध्यम वर्ग और श्रमिकों को न्याय की बात कही है।’
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