रूसी राजनीतिक दार्शनिक अलेक्जेंडर दुगिन अखंड भारत को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने इस लेख में भारत के उदय को लेकर रूस की सोच को प्रकट किया है। दुगिन के अनुसार, भारत हमारी आंखों के सामने एक नए वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने अपने लेख में भारत की अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को लेकर भी खुशी जताई है।
दुगिन ने लिखा कि आज पूरी दुनिया में भारतीय मूल लोग बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। पश्चिमी देशों में अलेक्जेंडर दुगिन को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दार्शनिक के रूप में माना जाता है। अलेक्जेंडर दुगिन का पूरा नाम अलेक्सांद्र गेलीविच दुगिन है। पश्चिमी देशों का आरोप है कि दुगिन फासीवादी विचारधारा के कट्टर समर्थक हैं।
दुगिन के लेख के महत्वपूर्ण बिंदु
आर्थिक विकास: 2023 में 8.4% सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के साथ भारत वर्तमान में विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का अनुमान है।
वैश्विक प्रभाव: भारतीय मूल के लोग पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण प्रभाव प्राप्त कर रहे हैं। सिलिकॉन वैली समेत कई प्रमुख क्षेत्रों को नियंत्रित कर रहे हैं। ऋषि सुनक और विवेक रामास्वामी जैसे व्यक्ति ब्रिटेन और अमेरिका की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
राजनीतिक बदलाव: भारतीय जनता पार्टी ने 1996 में सत्ता में आने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व को समाप्त कर दिया। उन्होंने अपने लेख में बीजेपी को दक्षिणपंथी और कांग्रेस को वामपंथी झुकाव वाली पार्टी कहा है। उन्होंने लिखा, “यह वामपंथी झुकाव से दक्षिणपंथी-रूढ़िवादी शासन में बदलाव को दर्शाता है।”
सांस्कृतिक और वैचारिक परिवर्तन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत, भारत का आधिकारिक नाम बदलकर इसके संस्कृत संस्करण “भारत” कर दिया गया, जो एक रूढ़िवादी और पारंपरिक विचारधारा की ओर एक कदम का संकेत देता है।
उपनिवेशीकरण और संप्रभुता: मोदी का प्रशासन “भारतीय दिमाग के उपनिवेशीकरण” और भारत को एक वैदिक सभ्यता-राज्य के रूप में बढ़ावा देने पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य पूर्ण संप्रभुता है।
भू-राजनीतिक रणनीतियां: अमेरिका और इजरायल के साथ गठबंधन करने के बावजूद, भारत को चीन के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उसने इस्लामी दुनिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ किया है। यह रणनीति संप्रभुता को मजबूत करने के लिए वैश्वीकरण का उपयोग करते हुए चीन के ऐतिहासिक उत्थान को दर्शाती है।
बाहरी विरोध: अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस जैसी शख्सियतों ने मोदी की नीतियों का विरोध किया है, जिससे भारत के भीतर सामाजिक और जातीय तनाव भड़क गया है।
रूसी परिप्रेक्ष्य: रूस भारत में परिवर्तन को पहचानता है और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारत और चीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने की वकालत करता है।
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