अमेरिका की दिग्गज कंपनी ऐपल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर आईफोन बनाने वाली ताइवान की एक और कंपनी टाटा ग्रुप की झोली में आने वाली है। सूत्रों के मुताबिक टाटा ग्रुप ताइवानी कंपनी पेगाट्रॉन की इंडिया यूनिट में मैज्योरिटी स्टेक खरीदने के लिए की तैयारी में है। दोनों कंपनियों के बीच बातचीत एडवांस स्टेज में है।
इससे पहले टाटा ग्रुप एप्पल की एक और कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर विस्ट्रॉन को खरीद चुकी है। सूत्रों का कहना है कि यह डील आने वाले दो से तीन महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह विस्ट्रॉन की तरह का अधिग्रहण होगा या जॉइंट वेंचर। अभी दोनों विकल्प खुले हैं।
पेगाट्रॉन और फॉक्सकॉन की तरह विस्ट्रॉन भी एप्पल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर आईफोन बनाती है। टाटा ग्रुप ने पिछले साल नवंबर में 12.5 करोड़ डॉलर (1,000 करोड़ रुपये) में इसकी लोकल यूनिट को खरीदा था और आईफोन बनाने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई।
टाटा के पेगाट्रॉन की खरीदने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि मोबाइल फोन निर्माण में भारतीय चैंपियन उभर रहे हैं। जैसे-जैसे यह सेक्टर बढ़ रहा है, ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं।
एक सूत्र ने कहा कि इस डील की रकम विस्ट्रॉन सौदे से कम होने वाली है। इसकी वजह यह है कि पेगाट्रॉन एक छोटी कंपनी है और जब यह अधिग्रहण पूरा होगा तो उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) स्कीम के तहत दो साल से भी कम समय बाकी रहेगा। एक सूत्र ने कहा कि टाटा ग्रुप अपनी सहायक कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के जरिए यह डील पूरा करने की तैयारी में है।
और पढ़ें:- पेटीएम का अंतिम लेनदेन: भारत के फिनटेक क्षेत्र में एक युग का अंत
क्या है एप्पल की योजना
जानकारों का कहना है कि एप्पल इस डील को जल्द से जल्द बंद करना चाहती है ताकि एनुअल लॉन्च से पहले पहले ऑनरशिप को लेकर किसी तरह का कनफ्यूजन न हो। कंपनी सितंबर में नए आईफोन लॉन्च करेगी जिनका प्रॉडक्शन जून-अगस्त में शुरू होगा। इस बारे में टाटा ग्रुप, पेगाट्रॉन और एप्पल ने प्रश्नों का जवाब नहीं दिया।
पेगाट्रॉन के भारत में लगभग 9,500 कर्मचारी हैं और वह सालाना लगभग 45 लाख आईफोन बनाती है। कंपनी ने 2022 में भारत में बिजनस शुरू किया था। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट है।
पेगाट्रॉन ऐपल के तीन कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर्स में से एक है जिन्हें स्मार्टफोन PLI स्कीम के तहत चुना गया है। लेकिन इसे केवल चार साल ही फायदा मिलेगा क्योंकि उसने फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन की तुलना में एक साल बाद निर्माण शुरू किया था। कंपनी ने PLI स्कीम के तहत FY23 और FY25 के बीच 1,132 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया था।
अभी भारत में अधिकांश आईफोन फॉक्सकॉन बनाती है। अगर टाटा और पेगाट्रॉन की डील होती है तो पेगाट्रॉन के कर्मचारी नई यूनिट में चले जाएंगे। एक सूत्र ने कहा कि एप्पल भारत में अपना बिजनस बढ़ाना चाहती है और टाटा द्वारा पेगाट्रॉन का अधिग्रहण इसी योजना का हिस्सा हो सकता है।
एप्पल चीन में इसी रणनीति के तहत काम करती है जहां 90% आपूर्तिकर्ता चीनी हैं। वियतनाम का मामला अलग है क्योंकि वहां कोई मजबूत कंपनी नहीं है। कंपनी वियतनाम में iPad और Mac पर्सनल कंप्यूटर बनाती है लेकिन वहां iPhone नहीं बनाए जाते हैं।
चीन से एपल बना रहा दूरी
आईफोन ब्रांड की मालिक कंपनी एप्पल भी चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के चलते अपनी सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई कर रही है। वह चीन के अलावा अन्य देशों में अपनी प्रोडक्शन लाइन बनाने पर फोकस बढ़ा रही है। टाटा के लिए भी आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग की ये डील उसके एप्पल आईफोन बनाने के प्लान्स में एक बड़ा तोहफा होगी।
और पढ़ें:- केजरीवाल के आईफोन को अनलॉक नहीं करेगा एप्पल, ईडी ने मांगी थी मदद।