भारत ने चंद्रयान 3 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया और अब इससे जुड़ी एक और बड़ी खुशखबरी आई है। चंद्रयान 3 मिशन को सफल बनाने वाली टीम का अमेरिका में डंका बजा है। चंद्रयान 3 मिशन टीम को अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रतिष्ठित 2024 जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार मिला है।
कोलोराडो में वार्षिक अंतरिक्ष सेमिनार के दौरान इसरो की ओर से ह्यूस्टन में भारत के महावाणिज्य दूत डीसी मंजूनाथ ने यह पुरस्कार प्राप्त किया है। स्पेस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हीदर प्रिंगल ने जनवरी में पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा था कि ‘अंतरिक्ष में भारत का नेतृत्व दुनिया के लिए प्रेरणा है।’
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का अहम योगदान
हीदर प्रिंगल का कहना है कि चंद्रयान 3 मिशन की टीम ने अंतरिक्ष अन्वेषण के स्तर को फिर से बढ़ा दिया है। उनकी चंद्रमा पर शानदार लैंडिंग हम सभी के लिए एक मॉडल है। बधाई, हम यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते कि आप आगे क्या करते हैं।
अब इससे यह तो साफ है कि स्पेस के क्षेत्र में भारत तेज गति से कदम बढ़ा रहा है। दुनिया भी यह मान रही है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का योगदान अहम है और आने वाले समय में भारत सफलता के नए अध्याय रचेगा।
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हर भारतीय को होगा गर्व
जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार चंद्रयान 3 मिशन की टीम को मिला है लेकिन यह हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। यह पुरस्कार स्पेस के क्षेत्र में शीर्ष पुरस्कार है। अब ऐसे में सवाल भी कई हैं कि आकिर यह पुस्कार क्यों दिया जाता, कौन पुरस्कार देता है, पुरस्कार दिए जाने का आधार क्या है। तो चलिए आपके सभी सवालों का जवाब हम दिए देते हैं।
जानें पुरस्कार के बारे में
जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार अमेरिका-आधारित स्पेस फाउंडेशन का एक शीर्ष पुरस्कार है। 2004 में अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए पुरस्कार जॉन एल “जैक” स्विगर्ट, जूनियर की स्मृति में स्पेस फाउंडेशन की ओर से स्थापित किया गया था।
जॉन एल “जैक” स्विगर्ट, जूनियर नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के चंद्रमा पर अपोलो 13 मिशन का हिस्सा थे, जिसे ऑक्सीजन टैंक में रिसाव के कारण रद्द कर दिया गया था और फिर नासा ने सभी तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को सकुशल वापस धरती पर लाया था।
पुरस्कार दिए जाने का आधार
जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार अंतरिक्ष के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने को लेकर दिया जाता है। यह पुरस्कार अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन स्पेस फाउंडेशन की ओर से अंतरिक्ष अन्वेषण और खोज के क्षेत्र में अंतरिक्ष एजेंसी, कंपनी या संगठनों के संघ को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है।
स्पेस से जुड़ी तकनीकी और इंजीनियरिंग में शानदार उपलब्धियों को समर्पित यह पुरस्कार हर साल स्पेस फाउंडेशन की ओर से आयोजित अंतरिक्ष सेमिनार में प्रदान किया जाता है। 2023 में नासा की जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप टीम को जैक स्विगर्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
भारत के लिए पुरस्कार के मायने
चंद्रयान 3 मिशन की टीम को जॉन एल ‘जैक’ स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार मिलना अपने आप में यह दिखाता है कि दुनियाभर की नजर भारत के अंतरिक्ष मिशन पर रहती है। यह पुरस्कार कई मायनों में भारत की शानदार सफल कहानी बयां कर रहा है।
स्पेस के क्षेत्र में भारत की तकनीक और इंजीनियरिंग का दुनिया लोहा मान रही है। अंतरिक्ष के क्षेत्र इसरो के लगातार बढ़ते कदमों से भारत नाम रोशन होगा। दुनियाभर में भारतीयों का रुतबा बढ़ेगा साथ ही आने वाली पीढ़ियों को इससे प्रेरणा मिलेगी।
दुनिया को भारत का संदेश, मिलेंगे जवाब
चंद्रयान 3 जैसे मिशन के सफल होने से भविष्य में भारतीयों को कई तरह के लाभ मिलेंगे। मौसम से जुड़ी सटीक सूचनाएं मिल सकेंगी साथ ही कम्युनिकेशन और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। आम लोगों को उन सवालों के जवाब मिलेंगे जो सवाल सालों में उनके जेहन हैं।
जैसे क्या वो कभी चांद पर जा पाएंगे, चांद पर जिंदगी है या नहीं, क्या चांद पर खेती की जा सकती है या नहीं या फिर चांद पर आखिर है क्या। चंद्रयान 3 का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। स्पेस टेक और साइंस के क्षेत्र में काम बढ़ेगा, साथ ही रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।
एक नजर चंद्रयान 3 मिशन पर
इसरो ने 14 जुलाई, 2023 को जीएसएलवी- मार्क III (एलवीएम -3) रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से चंद्रयान 3 मिशन लॉन्च किया था। अंतरिक्ष यान में विक्रम नाम का एक लैंडर और प्रज्ञान नामक एक रोवर शामिल था। लैंडर 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा।
भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला पहला देश बना। जिस बिंदु पर चंद्रयान 3 लैंडर उतरा था उसे शिव शक् प्वाइंट नाम दिया गया। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला दुनिया का चौथा देश बना।
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