34 हजार करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में DHFL के पूर्व डायरेक्टर गिरफ्तार!

DHFL के पूर्व डायरेक्टर धीरज वधावन को ₹34,000 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

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दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के पूर्व डायरेक्टर धीरज वधावन को ₹34,000 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने वधावन को 13 मई की शाम को मुंबई में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इससे पहले वधावन को यस बैंक भ्रष्टाचार जांच में CBI ने हिरासत में लिया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

इस मामले में अब तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में

CBI के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि DHFL के पूर्व डायरेक्टर और उनके भाई कपिल को इस मामले में पहले 19 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया गया था। 15 अक्टूबर 2022 को कपिल और धीरज सहित 75 संस्थाओं के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।

3 दिसंबर 2022 को स्पेशल कोर्ट ने इस आधार पर जमानत दी थी कि जांच अधूरी है और दायर किया गया आरोप पत्र टुकड़ों में है। इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। अब वर्तमान में तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं – धीरज वधावन और उनके भाई कपिल वधावन और अजय नवांदर।

फरवरी 2021 में SEBI ने बैंक अकाउंट कुर्क करने का आदेश दिया था

सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने फरवरी 2021 में पूर्व DHFL प्रमोटरों, धीरज और कपिल वधावन के बैंक अकाउंट, शेयर्स और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को कुर्क करने का आदेश दिया था। मार्केट रेगुलेटर ने यह आदेश डिस्कोजर नियमों का पालन न करने के कारण उन पर लगाए गए जुर्माने को चुकाने में विफल रहने के बाद दिया था।

बैंकों के एक कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड का यह मामला

यह मामला 17 बैंकों के एक कंसोर्टियम (संघ) के साथ कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है और इसे भारत में सबसे बड़ा बैंकिंग लोन स्कैम कहा जा रहा है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम से आरोपी फर्मों ने 2010 से से लोन लेना शुरू किया था।

अलग-अलग समय में इस लोन को NPA घोषित किया गया था। फंड के डायवर्जन, राउंड ट्रिपिंग और फंड की हेराफेरी के आरोपों पर मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद इसकी जांच शुरू की गई थी। इसके बाद 1 फरवरी 2019 को कर्ज देने वाले बैंकों ने मीटिंग की थी।

ऑडिट में सामने आया फंड डायवर्जन

KPMG को 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2018 तक DHFL के स्पेशल रिव्यू ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया। इसके बाद बैंकों ने 18 अक्टूबर 2019 को कपिल और धीरज वाधावन के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने की मांग की ताकि उन्हें देश छोड़ने से रोका जा सके। ऑडिट में कपिल और धीरज वाधवान की ओर से किए गए फंड डायवर्जन, फंड की राउंड ट्रिपिंग और अन्य वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थी।

2 साल पहले CBI ने इस मामले में स्थानों पर छापेमारी की थी

CBI ने इस केस में 2 साल पहले मुंबई में 12 स्थानों पर छापेमारी की थी। इस केस में CBI ने DHFL, कपिल वाधवान, धीरज वाधवान, स्काईलार्क बिल्डकॉन प्रा. लिमिटेड, दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिगटिया कंस्ट्रक्शन बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, टाउनशिप डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, शिशिर रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड, सनब्लिंक रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, सुधाकर शेट्टी और अन्य को आरोपी बनाया था।

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