जमीन से जुड़े निवेश को लेकर काम करने वाली एक कंपनी CBRE ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक डाटा सेंटर क्षमता वाला देश है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में 950 मेगावॉट की डाटा सेंटर क्षमता है, जो कि सक्रिय है। भारत ने इस मामले में जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, और सिंगापुर जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, आगे भी भारत के नेतृत्व के बने रहने की आशा है क्योंकि 2024 से 2026 के बीच भारत 850 मेगावॉट की क्षमता बढ़ाएगा। यह आसपास के किसी भी देश से अधिक है। रिपोर्ट बताती है कि भारत के पास 2023 के 2023 के अंत तक सक्रिय और निष्क्रिय डाटा सेंटर क्षमता कुल 1030 मेगावॉट थी। इसके 2024 के अंत तक 1370 मेगावॉट तक बढ़ने की उम्मीद है, जो कि इस वर्ष में 30% की बढ़ोतरी है।
रिपोर्ट में कहा गया, “भारत डाटा सेंटर सेक्टर, अपने आकर्षक निवेश के रिटर्न के कारण निवेशकों के लिए एक बढ़िया सेक्टर बन कर उभरा है। इस सेक्टर की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2018-2023 के बीच इसमें स्थानीय और विदेशी निवेशकों ने 40 बिलियन डॉलर (लगभग ₹3.3 लाख करोड़) निवेश करने के वादे किए हैं।
क्या होते हैं डाटा सेंटर?
हम और आप इंटरनेट पर जो भी देखते हैं, वह हमारे फोन या मोबाइल में सेव नहीं होता है। इसके उलट जब भी हम इन्टरनेट पर कोई गूगल सर्च या अन्य तरीक से इसकी खोज करते हैं तो यह हमारे सामने आ जाता है। ऐसे में जो भी हम देखते हैं, इसे कहीं ना कहीं स्टोर करने की जरूरत पड़ती है।
डाटा सेंटर यही काम करते हैं। इनमें इंटरनेट का डाटा संग्रहित किया जाता है। जब भी कोई यूजर इसकी माँग करता है तो इस डाटा सेंटर से वह डाटा उस तक इंटरनेट के माध्यम पहुँचा दिया जाता है। यह काम कुछ माइक्रोसेकंड्स में होता है।
लगातार बढ़ते इंटरनेट के उपयोग के कारण डाटा सेंटर की माँग में तेजी देखी गई है। यह एक नए व्यापारिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। देश में बड़े बड़े दता सेंटर बनाए जा रहे हैं। सुरक्षा दृष्टि से भी यह जरूरी है कि भारत का इंटरनेट डाटा, भारत में ही रहे। डाटा सेंटर की आवश्यकता भी लगातार बढ़ रही है। दरअसल, इसके कारण कई आईटी कम्पनियों को अपने खुद के संसाधन इस काम में नहीं लगाने पड़ते और वह बाकी चीजों पर ध्यान लगा सकती हैं।
भारत में लगातार बढ़ रहा दायरा
भारत में बीते कुछ वर्षों में इंटरनेट का उपयोग तेजी से बढ़ा है। इस कारण से डाटा सेंटर की जरूरत भी बढ़ी है। इस क्षेत्र में अब विदेशी निवेशक भी पैसा लगा रहे हैं, वह भारतीय निवेशकों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। इस क्षेत्र में लाभ भी काफी अधिक है। 2018 से 2023 के बीच भारत को इस संबंध में ₹3.5 लाख करोड़ के निवेश के वादे मिले, यह इस क्षेत्र की मजबूती को दिखाता है।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्य में इस क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश आए हैं। इस क्षेत्र में निवेश करने वाली बड़ी विदेशी कम्पनियों की नजर भी अब भारत पर पड़ी है। वह भारत में नए मॉडल के तहत डाटा सेंटर बना रही हैं। आने वाले समय में भारत के इस क्षेत्र में और आगे बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि नई IT सेवाओं को बड़े स्तर पर डाटा सेंटर की आवश्यकता होती है।