भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिका सबसे आकर्षक बाजार बना हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय कारोबार 118.3 अरब डालर रहा है। इसके बावजूद अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार नहीं है। बीते वर्ष चीन भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार रहा है।
इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 118.41 अरब डालर रहा है। यह बात वैश्विक कारोबार पर शोध करने वाली एजेंसी जीटीआरआइ की नई रिपोर्ट में कही गई है।रिपोर्ट के अनुसार, बीते पांच वर्षों के दौरान अमेरिका को भारत से होने वाला निर्यात 47.9 प्रतिशत बढ़कर 77.52 अरब डालर हो चुका है।
वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने चीन को इतने का किया था निर्यात
कारोबार संतुलन पूरी तरह से भारत के पक्ष में (36.74 अरब डालर) है। हालांकि, पिछले पांच वर्षों में चीन से होने वाला आयात 44.7 प्रतिशत बढ़कर 70.32 अरब डालर से 101.72 अरब डालर हो गया है। जबकि इस दौरान चीन को होने वाला निर्यात लगभग उसी स्तर पर है।
वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने चीन को 16.8 अरब डालर का निर्यात किया था, जो वर्ष 2023-24 में 16.66 अरब डालर रहा है। पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत से निर्यात में 2022-23 के मुकाबले 8.7 प्रतिशत की वृद्धि रही है।
अमेरिका को इन उत्पादों का किया गया निर्यात
वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार रहा है। अमेरिका को जिन उत्पादों का निर्यात किया गया है उनमें लौह अयस्क, कपास, हैंडलूम उत्पाद, मसाले, फल व सब्जियां और प्लास्टिक उत्पाद शामिल हैं।
यह रिपोर्ट भारत के मौजूदा आयात-निर्यात परि²श्य को लेकर कुछ रोचक तथ्य सामने रखता है। दुनिया में सिर्फ दो देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार 100 अरब डालर से ज्यादा है। इसमें चीन और अमेरिका ही शामिल हैं।
अमेरिका को भारत से लगातार बढ़ रहा है निर्यात
चीन से इसलिए ज्यादा है कि हम वहां से ज्यादा आयात कर रहे हैं, जबकि अमेरिका को भारत से निर्यात लगातार बढ़ रहा है, इसलिए वहां कारोबार बढ़ रहा है। एक तरफ अमेरिका के सैन्य उपकरणों का भारत एक बड़ा बाजार बनता जा रहा है, तो दूसरी तरफ भारत निर्मित उत्पादों का प्रसार अमेरिकी बाजार में बढ़ रहा है।
इस वर्ग में कुल आयात का 44 प्रतिशत
चीन से आयात में कमी नहीं होने के कारण रिपोर्ट में चीन से आयात में कमी नहीं आने के कारण भी बताए गए हैं। इसके मुताबिक, भारत ने 2023-24 में चीन से 4.2 अरब डालर का टेलीकाम व मोबाइल फोन आयात किया है, जो इस वर्ग में कुल आयात का 44 प्रतिशत है।
इसी तरह, भारत ने कुल कंप्यूटर व प्रौद्योगिकी आयात का 77 प्रतिशत, नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े उपकरणों के आयात का 65.5 प्रतिशत, ईवी बैटरी के कुल आयात का 75 प्रतिशत हिस्सा चीन से मंगाया है। यानी हम आवश्यक व रणनीतिक तौर पर बेहद जरूरी सेक्टर में भी चीन से आयातित उत्पादों पर काफी निर्भर है।
चीन पर निर्भरता कम करने के लिए उठाए गए कई कदम
साफ है कि कोरोना महामारी के बाद रणनीतिक क्षेत्र में सप्लाई चेन के विस्तार करने की जो बातें हुई हैं, उसका अभी जमीनी तौर पर असर नहीं दिखा है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 के बाद से चीन पर निर्भरता कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
उसका असर संभवत: आने वाले दिनों में दिखेगा।रूस के साथ तेजी से बढ़ा कारोबारबीते पांच वर्षों के दौरान रूस के साथ भारत का कारोबार राकेट की रफ्तार से बढ़ा है। इस दौरान भारत और रूस का द्विपक्षीय कारोबार 8.23 अरब डालर से बढ़कर 61.44 अरब डालर हो गया है।
भारत ने रूस से सबसे ज्यादा खरीदा कच्चा तेल
इसमें रूस से आयात का हिस्सा ज्यादा (57.14 अरब डालर) है, जबकि निर्यात सिर्फ 5.84 अरब डालर है। वजह यह है कि भारत ने रूस से फरवरी, 2020 के बाद से काफी ज्यादा कच्चे तेल की खरीदा है। 2023-24 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तीसरा बड़ा कारोबारी साझेदार रहा है। इस दौरान दोनों देशों के बीच 83.6 अरब डालर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ है।
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