सरकार ने आखिरकार ‘अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम (आईएसओ एक्ट)’ को मंजूरी दे दी है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश की आजादी के बाद सेना के ढांचे में सबसे बड़े बदलाव का रास्ता बनेगा। इस एक्ट के तहत सेना के तीनों अंगों- थलसेना, वायुसेना और नौसेना को मिलाकर एकीकृत थिएटर कमांड बनाए जाएंगे।
पिछले साल संसद में हुआ था पारित
पिछले साल अगस्त में संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद आईएसओ एक्ट को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी। इस कदम को उठाने से पहले बीजेपी ने पिछले महीने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि वे दिसंबर 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद बनाने के बाद और बेहतर तरीके से काम करने के लिए सैन्य थियेटर कमांड स्थापित करेंगे।
15 अगस्त 2019 को लाल किले से दिए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘जिस तरह ‘युद्ध के दायरे और रूप-रंग बदल रहे हैं और जिस तरह टेक्नोलॉजी की भूमिका बढ़ रही है, उसकी वजह से भारत का काम टुकड़ों में सोचने से नहीं चलेगा और देश की पूरी सैन्यशक्ति को एकजुट होकर एक साथ आगे बढ़ना होगा।’
आईटीसी बनाने की प्रक्रिया तेज
इसी के साथ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बीते गुरुवार और शुक्रवार को ‘परिवर्तन चिंतन’ नामक बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में 12 उप-समितियों ने “आने वाले समय में बनने वाले थियेटर कमांड” को ध्यान में रखते हुए सेना के अलग-अलग अंगों के बीच बेहतर तालमेल और एकीकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
हालिया गतिविधियों से यह संकेत मिलता है कि एकीकृत थिएटर कमांड (आईटीसी) बनाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के दिसंबर 2021 में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन के बाद यह प्रक्रिया रुक गई थी।
क्या है आईटीसी एक्ट?
भारत को अभी तक सेना के तीनों अंगों को अलग-अलग चलाने की व्यवस्था (सेना के 7 कमांड, वायुसेना के 7 कमांड और नौसेना के 3 कमांड) की जगह एक ज्यादा किफायती और ताकतवर सैन्य ढांचे की जरूरत है। मौजूदा व्यवस्था में तीनों अंगों के बीच योजना बनाने, संसाधन जुटाने और युद्ध अभियान चलाने में तालमेल की कमी होती है।
आईटीसी एक्ट सेना के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के मौजूदा संयुक्त संगठनों के सैन्य कमांडरों को उनके अधीन काम करने वाले सैनिकों पर पूरा प्रशासनिक और अनुशासनिक नियंत्रण रखने की शक्ति देता है।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि इससे ‘हर सेवा की अपनी अलग सेवा शर्तों’ में कोई बदलाव नहीं होगा। अब तक, सैनिकों पर “वायुसेना अधिनियम, 1950”, “सेना अधिनियम, 1950” और “नौसेना अधिनियम, 1957” जैसे उनके अपने सेवा से जुड़े अधिनियम लागू होते थे।
कहां बनेंगी इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड?
जो जानकारी सामने आईं हैं उसके मुताबिक, तीन एकीकृत थिएटर कमांड में से पहली जयपुर में बनेगी। इस कमांड की नजर मुख्य रूप से पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा पर होगी। साथ ही ऐसे संकेत हैं कि चीन से लगी सीमाओं पर नजर रखने वाली एक थिएटर कमांड लखनऊ में बनेगी।
इसी तरह भारत के समुद्री और तटीय हितों की देखभाल के लिए समुद्री थिएटर कमांड कर्नाटक के कारवाड़ में बनेगी। कारवाड़ भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है और गोवा के नजदीक है।
इस वक़्त भारत में कुल 17 सैन्य कमांड हैं। इनमें से थल और वायु सेना की सात-सात कमांड हैं और नौसेना की तीन कमांड हैं। साथ ही दो ‘ट्राई-सर्विसेज़’ या ‘त्रि-सेवा कमांड’ भी हैं, अंडमान और निकोबार कमांड (एएनसी), जिसका नेतृत्व तीनों सेनाओं के अधिकारी करते हैं और स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड जो भारत की परमाणु संपत्ति के लिए ज़िम्मेदार है।
एकीकृत थिएटर कमांड के प्रस्ताव पर जब चर्चा शुरू हुई थी तब पहले चरण में एयर डिफेंस कमांड बनाने का प्रस्ताव था। ये कहा जा रहा था कि एयर डिफेंस या वायु रक्षा कमांड तीनों सेवाओं के वायु रक्षा संसाधनों को नियंत्रित करेगी और साथ ही सैन्य संपत्तियों को हवाई दुश्मनों से बचाने की ज़िम्मेदारी भी इसी की होगी। ख़बरों की मानें तो भारतीय वायु सेना के आपत्ति जताने के बाद वायु रक्षा कमांड के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया है।
तीनों सेनाओं को मिलेगी मजबूती
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि, “यह अधिनियम आईएसओ के प्रमुखों को सशक्त बनाएगा और मामलों के तेजी से निपटारे करने में मदद करेगा। इसके साथ ही इस एक्ट की मदद से सशस्त्र बलों के जवानों के बेहतर तालमेल बिठाया जा सकेगा, ये सुरक्षा बल एक साथ एक दिशा में संयुक्त रूप से काम कर पाएंगे।
भारत के पास फिलहाल केवल दो एकीकृत कमांड हैं – 2001 में स्थापित भौगोलिक अंडमान और निकोबार कमांड और पाकिस्तान के साथ कारगिल संघर्ष के बाद 2003 में स्थापित कार्य-क्षेत्रीय सामरिक बल कमान, जो देश के परमाणु हथियारों को संभालता है।
गौरतलब है कि चीन ने अपनी 20 लाख से अधिक सैनिकों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को 2016 की शुरुआत में आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने और बेहतर कमांड और नियंत्रण ढांचे स्थापित करने के लिए पांच थिएटर कमांड में पुनर्गठित किया था।
उदाहरण के लिए, इसका पश्चिमी थिएटर कमांड वास्तविक नियंत्रण रेखा की पूरी 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को संभालता है। इसके विपरीत, भारत के पास चीन के साथ उत्तरी सीमाओं के लिए चार थलसेना और तीन वायुसेना कमांड हैं।
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