महिलाओं के लिए आवाज उठाने वाली स्वाति मालीवाल के लिए कोई क्यों नहीं उठा रहा आवाज​?

जो स्वाति मालीवाल बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर पहुंच जाती थी, आज उनके लिए कोई नहीं आवाज उठा रहा है?

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13 मई की सुबह एक खबर मीडिया पोर्टलों पर तैरने लगी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के निजी सहायक ने आम आदमी पार्टी (आआपा) की नेता और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हाथापाई की। गुस्साई स्वाति ने दिल्ली पुलिस को आनन-फानन में फोन लगा दिया और कंट्रोल रूम में अपनी शिकायत दर्ज कराई। बाद में वे सिविल लाइंस थाने भी गईं और पुलिस से कहा कि वे बाद में लिखित शिकायत दर्ज कराने आएंगी। 

स्वाति मालीवाल जब तक दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थी, तब तक अपने क्रियाकलापों से लगातार चर्चा में रहा ही करती थी। मगर अब खुद ही खबर बनी हुई हैं। जो मालीवाल महिलाओं को न्याय दिलाने का दम भरती नजर आती थीं, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के खिलाफ आवाज उठाती थीं, दुर्भाग्य आज वे अपनी ही बात नहीं रख पा रही हैं। 

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि पार्टी की एक महिला नेता, जो न केवल राज्यसभा सांसद हैं, बल्कि महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं, मुख्यमंत्री आवास में उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार हो जाता है और आआपा और उसके नेता पूरी तरह से चुप्पी साधे रहते हैं! 

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पार्टी का कोई भी पदाधिकारी इस मसले पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है! जब बहुत ज्यादा भद पिटी तो सांसद संजय सिंह मीडिया के सामने घटना का पक्ष रखते हुए लीपापोती करते दिखे। दरअसल यह वही पार्टी है जो मणिपुर की महिलाओं से लेकर हाथरस की लड़कियों को ‘न्याय’ दिलाने के लिए आंदोलन करने को कमर कस रही थी, पर आज अपनी ही नेता के अपमान पर चुप है।

दिल्ली की महिलाओं को न्याय दिलाने का दंभ भरने वाले अरविंद केजरीवाल पूरी घटना पर मुंह सिले हुए हैं। और तो और ये वही स्वाति मालीवाल हैं जो बिना डरे मणिपुर चली जाती हैं और बाद में कहती हैं कि ‘भारतीय जनता पार्टी की सरकार यह नहीं चाहती कि सच सामने आए’। वही स्वाति अपने साथ हुए सच को दबाए क्यों बैठी रहीं? 

राजनीतिक कारणों से उनका संदेशखाली जैसे स्थानों पर पीड़ित महिलाओं के पक्ष में न बोलना समझ में आता है, परंतु अपने लिए? क्या वे अपने लिए भी किसी राजनीतिक कारण से मौन रहीं? और ये वही स्वाति मालीवाल हैं जो दिल्ली में बैठी पहलवानों के लिए भी आवाज उठा रही थी। जिनके साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया था।

इन सबके बीच अब कई सवाल उठने लगे हैं। जो स्वाति मालीवाल बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर पहुंच जाती थी और पूरी लेफ्ट मीडिया या विपक्षी पार्टियों के नेता सब इन्हीं स्वाती मालीवाल को लेडी सिंघम के नाम से बुलाने लगते थे तो आज स्वाति मालीवाल के साथ एक राज्य के मुख्यमंत्री के आवास में इतनी बड़ी घटना घट जाती है तो यह लोग आज चुप क्यों है? 

वहीं, दिल्ली में बैठे पहलवानों ने अपने साथ हुई घटना को लेकर प्रधानमंत्री तक को कोसन तक की कसर नहीं झोड़ी थी और स्वाति मालीवाल इनके समर्थन में आई थी, लेकिन आज उनके के लिए यह पहलवान सामने क्यों नहीं आ रहे हैं? क्यों अब अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा नहीं मांगा जा रहा है? कहां गए महिला सुरक्षा की बात करने वाले? आज वह स्वाति मालीवाल के लिए आवाज क्यों नहीं उठा रहे हैं? 

कांग्रेस का तो नारा रहा है लड़की है लड़ सकती है तो आज कांग्रेस क्यों नहीं स्वाति मालीवाल के लिए खुलकर अरविंद केजरीवाल से उनका इस्तीफा मांग रही है? क्या किसी महिला के सम्मान से बड़ा भला कुछ है? 

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