आज के डिजिटल युग में, तकनीक का दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है। हैकिंग, डिफेक वीडियो, ऑनलाइन फ्रॉड और सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी खबरें फैलाने की घटनाएं आम हो गई हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एक नया बिल लाने जा रही है, जिसका नाम ‘डिजिटल इंडिया बिल’ हो सकता है। यह ‘मोदी 3.0’ के प्रमुख निर्णयों में से एक होगा।
AI और डिफेक वीडियो की समस्या
डीपफेक वीडियो का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति की छवि को बदलना और गलत तरीके से प्रस्तुत करना आजकल काफी आम हो गया है। प्रसिद्ध हस्तियों जैसे अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, रश्मिका मंदाना, आलिया भट्ट और आमिर खान तक इसका शिकार बन चुके हैं। इन वीडियो का उपयोग करके भ्रामक सामग्री का विज्ञापन कराना, किसी के लिए अपशब्दों का उपयोग कराना या अश्लील रूप में दिखाना संभव है। इसके कारण लोगों की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
डिजिटल इंडिया बिल की आवश्यकता
नए डिजिटल इंडिया बिल के माध्यम से सरकार का उद्देश्य AI द्वारा जनरेट किए गए फर्जी कंटेंट्स पर लगाम लगाना है। इस बिल के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे YouTube, ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) और अन्य पर भी निगरानी रखी जाएगी, ताकि वहां से फर्जी खबरें फैलाने वालों पर कार्रवाई की जा सके।
पिछले प्रयास और नए कदम
इससे पहले सरकार ने डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश किया था, जिसमें कंपनियों पर यूजर्स के डेटा का दुरुपयोग करने पर 500 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया था। अब सरकार डीपफेक वीडियो और फर्जी खबरों पर नियंत्रण के लिए डिजिटल इंडिया बिल ला रही है। यह बिल संसद में पेश किए जाने से पहले सभी दलों से विचार-विमर्श कर आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
डिजिटल इंडिया बिल की प्रमुख बातें
- डीपफेक वीडियो पर रोक: AI द्वारा जनरेट किए गए डिफेक वीडियो पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
- फेक न्यूज़ पर नियंत्रण: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलने वाली फर्जी खबरों पर निगरानी रखी जाएगी।
- डेटा सुरक्षा: यूजर्स के डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए जाएंगे।
- सोशल मीडिया रेगुलेशन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी रेगुलेट किया जाएगा, ताकि वहां से फैलने वाली भ्रामक और फर्जी खबरों पर रोक लगाई जा सके।
संसदीय प्रक्रिया
यह बिल आगामी संसद सत्र में पेश किया जा सकता है। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार (24 जून, 2024) से शुरू होगा और 3 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद 22 जुलाई को मॉनसून सत्र भी शुरू होगा जो 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान इस बिल पर चर्चा की जाएगी और इसे पारित करने का प्रयास किया जाएगा।
राजीव चंद्रशेखर का बयान
पिछली सरकार में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं IT राज्यमंत्री रहे राजीव चंद्रशेखर ने भी इस ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि सभी चीजें लगभग तैयार हैं, लेकिन चुनाव तक इस पर बहस नहीं हो पाएगी, इसीलिए अगली सरकार में इसे लाया जाएगा।
फेक न्यूज फैलाने वालों पर नजर
YouTube और ‘X’ जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ध्रुव राठी, पुण्य प्रसून वाजपेयी और मोहम्मद ज़ुबैर जैसे कई लोग फर्जी खबरें फैलाते हैं। इनके जरिए भ्रामक और फेक दावों के साथ वीडियो बनाए जाते हैं। विपक्षी नेता भी कई बार फर्जी खबरें फैला चुके हैं। (जिसमें अमित शाह का डिफेक वीडियो बनाकर वायरल किया गया था) इन सभी पर नए डिजिटल इंडिया बिल के जरिए कड़ी नजर रखी जाएगी।
निष्कर्ष
डीपफेक वीडियो और ऑनलाइन फेक न्यूज के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए ‘डिजिटल इंडिया बिल’ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बिल न केवल फर्जी कंटेंट्स पर रोक लगाएगा बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी रेगुलेट करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का यह प्रयास डिजिटल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि फर्जी खबरों के फैलाव पर भी रोक लगेगी।