9 जून 2024 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में मंदिर दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं पर हुए आतंकी हमले ने देश को हिला कर रख दिया। इस हमले में 9 लोगों की जान चली गई, जिसमें मासूम बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। इस आतंकी कृत्य की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर ‘All eyes on Reasi’ और ‘All eyes on Vaishno Devi attack’ जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं।
हमले की निंदा और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस आतंकी हमले की व्यापक निंदा हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना के प्रति गुस्सा और दुख व्यक्त कर रहे हैं। पाकिस्तानी क्रिकेटर हसन अली ने भी इस हमले के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की, जिसके बाद उन्हें कट्टरपंथियों की गालियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में ‘All eyes on Vaishno Devi attack’ पोस्ट किया, जिसे लेकर कट्टरपंथियों ने उन्हें निशाना बनाया।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति
इस घटना ने एक बार फिर से पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों, जैसे हिंदू, सिख, और जैन समुदाय की स्थिति पर सवाल खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को उनके धर्म के आधार पर अत्यधिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। इस संदर्भ में हसन अली की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी पत्नी भारतीय हैं और उनकी ससुराल हरियाणा के नूहं में है।
हसन अली पर हमले और उनकी प्रतिक्रिया
हसन अली द्वारा श्रद्धालुओं के समर्थन में पोस्ट डालने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों से धमकियां मिलने लगीं। टाइगर खान ने उन्हें ‘शिया’ कहकर बुलाया और शेख इबादत ने उन्हें पोस्ट हटाने की धमकी दी। अब्दुल्ला बेग और अर्बा सिद्दीकी ने तो उन्हें गोली मारने की इच्छा जताई। नूर ने कटाक्ष किया कि यदि हसन अली किसी मशहूर पाकिस्तानी अभिनेत्री के साथ शूट करवा लेते, तो उन्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता। कुछ अन्य कट्टरपंथियों ने भी हसन अली के खिलाफ अपशब्द और धमकियां दीं।
कट्टरपंथियों की प्रतिक्रियाएं
कट्टरपंथियों की प्रतिक्रियाएँ अत्यंत घृणित और अमानवीय थीं। जीशान ने हसन अली को अपशब्द कहे, गाजी हसन ने उन्हें टिकटॉक बनाने की सलाह दी, और प्रिक कलीम ने उन्हें सेमीफाइनल हार का दोषी ठहराया। इन तमाम अपशब्दों और धमकियों के बाद, हसन अली ने अपनी सफाई दी कि वह हर इंसान की मौत पर दुखी होते हैं, और गाजा का उदाहरण दिया।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर के रियासी इलाके में हुए इस आतंकी हमले ने देश और दुनिया को एक बार फिर से आतंकवाद की विभीषिका का सामना कराया है। हसन अली की प्रतिक्रिया और उस पर मिली धमकियों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी एक बार फिर से सवाल खड़े किए हैं। इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि धार्मिक सहिष्णुता और मानवता ही हमारे समाज की सच्ची नींव होनी चाहिए।
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