शहरी इलाकों में रोजगार और श्रम बल में बड़ा उछाल: RBI 

आरबीआई के इस डेटा से स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार और श्रम शक्ति भागीदारी दर में सुधार हो रहा है।

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भारत के रोजगार दर में 31 मार्च 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2022-23 के 3.2 प्रतिशत की वृद्धि दर से अधिक है। यह जानकारी ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट से सामने आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ‘इंडिया केएलईएमएस’ (KLEMS: Capital, Labour, Energy, Material, and Services) डेटाबेस के अनुसार, 2023-24 में देश में रोजगार 4.67 करोड़ बढ़कर 64.33 करोड़ (अस्थायी) हो गया, जबकि 2022-23 में यह 59.67 करोड़ था।

रोजगार वृद्धि दर में उल्लेखनीय वृद्धि

2022-23 के अंत में देश में रोजगार 57.75 करोड़ था, जो 2021-22 में 56.56 करोड़ था। यह डेटाबेस 27 उद्योगों को कवर करता है, जो पूरे भारतीय अर्थव्यवस्था को समाहित करते हैं। इसमें कृषि, निर्माण और सेवा क्षेत्र के व्यापक स्तरों पर और पूरे भारत के स्तर पर अनुमान प्रदान किए जाते हैं। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि रोजगार में हो रही वृद्धि न केवल उद्योगों तक सीमित है, बल्कि यह व्यापक स्तर पर सभी क्षेत्रों में देखी जा सकती है।

शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में कमी

उसी रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर (UR) जनवरी-मार्च 2023 के 6.8 प्रतिशत से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 6.7 प्रतिशत हो गई है, जो 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए है। यह परिवर्तन दिखाता है कि सरकार और उद्योगों के विभिन्न प्रयासों से रोजगार सृजन में प्रगति हो रही है। इसके अतिरिक्त, महिला बेरोजगारी दर भी जनवरी-मार्च 2023 के 9.2 प्रतिशत से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 8.5 प्रतिशत हो गई है। यह महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों में सुधार का संकेत है, जो एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की ओर इशारा करता है।

श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) में वृद्धि

शहरी क्षेत्रों में श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) जनवरी-मार्च 2023 के 48.5 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी-मार्च 2024 में 50.2 प्रतिशत हो गई है, जो 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए है। इस वृद्धि से स्पष्ट है कि अधिक लोग रोजगार की तलाश में हैं और श्रम बाजार में सक्रिय हैं। यह आर्थिक गतिविधियों में सुधार और रोजगार के अवसरों की बढ़ती उपलब्धता को दर्शाता है।

कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR) में सुधार

जनवरी-मार्च 2023 के 45.2 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी-मार्च 2024 में 46.9 प्रतिशत हो गया है, जो 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR) को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि कार्यशील जनसंख्या का हिस्सा बढ़ रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था में उत्पादकता और योगदान में सुधार हो रहा है।

महिला कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात में सकारात्मक बदलाव

शहरी क्षेत्रों में महिला कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात जनवरी-मार्च 2023 के 20.6 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी-मार्च 2024 में 23.4 प्रतिशत हो गया है। यह दर्शाता है कि अधिक महिलाएं कार्यबल में शामिल हो रही हैं, जो न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि समग्र आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह सुधार सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

निष्कर्ष

आरबीआई के इस डेटा से स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार और श्रम शक्ति भागीदारी दर में सुधार हो रहा है। सरकार और उद्योगों के संयुक्त प्रयासों से यह वृद्धि संभव हो पाई है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में कमी और श्रम शक्ति भागीदारी दर में वृद्धि दर्शाती है कि अधिक लोग रोजगार की तलाश में हैं और उन्हें रोजगार मिल भी रहा है।

महिलाओं के रोजगार में वृद्धि भी एक सकारात्मक संकेत है, जो देश के समग्र सामाजिक और आर्थिक विकास को मजबूत करेगा। यह आवश्यक है कि सरकार और उद्योग इन प्रयासों को जारी रखें और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और श्रम शक्ति भागीदारी दर को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करें।

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