नीट यूजी 2024 पेपर लीक मामले में, एम्स पटना के तीन डॉक्टरों को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इन डॉक्टरों पर “पेपर सॉल्विंग” गैंग से जुड़े होने का आरोप है। यह गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के कुछ घंटे पहले हुई है, जो इस विवादित मेडिकल प्रवेश परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पेपर लीक और डॉक्टरों की गिरफ्तारी
सीबीआई ने एम्स पटना के तीन डॉक्टरों को हिरासत में लिया है, जो कथित रूप से पेपर सॉल्विंग गैंग का हिस्सा हैं। सूत्रों के अनुसार, सीबीआई ने इन डॉक्टरों के फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं और उनके कमरे सील कर दिए हैं। सीबीआई अब इनसे पूछताछ करेगी।
पेपर चोरी और अन्य गिरफ्तारियां
17 जुलाई को, सीबीआई ने दो और लोगों – पंकज कुमार और राजू सिंह – को नीट यूजी 2024 का पेपर चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया। पंकज कुमार, जिन्हें आदित्य के नाम से भी जाना जाता है, 2017 बैच के सिविल इंजीनियर हैं, जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) जमशेदपुर से हैं। पंकज ने राजू की मदद से नीट-यूजी प्रश्न पत्र चुराए। पुलिस ने राजू को हजारीबाग से गिरफ्तार किया।
न्यायिक कार्रवाई
पटना की एक विशेष अदालत ने पंकज कुमार को 14 दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है, जबकि राजू को 10 दिनों की हिरासत में भेजा गया है। रिपोर्टों के अनुसार, हजारीबाग के ओएसिस स्कूल में आए नीट यूजी 2024 के प्रश्नपत्रों के ट्रंक में विसंगतियां थीं।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को नीट यूजी 2024 से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। कुछ याचिकाओं में परीक्षा रद्द करने, पुनः परीक्षा कराने और परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला तथा मनोज मिश्रा की बेंच नीट-यूजी विवाद से संबंधित 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
शिक्षा प्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया
यह मामला केवल नीट यूजी 2024 पेपर लीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की शिक्षा प्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को भी दर्शाता है। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में कितनी बड़ी चुनौतियाँ हैं और न्यायिक प्रक्रिया किस प्रकार इन चुनौतियों से निपटने का प्रयास करती है।
निष्कर्ष
नीट यूजी 2024 पेपर लीक मामला एक गंभीर मुद्दा है जिसने चिकित्सा शिक्षा और उसके प्रवेश परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। एम्स पटना के डॉक्टरों की गिरफ्तारी और सीबीआई की जांच से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से उम्मीद है कि इस मामले में न्याय होगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे।
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