केरल की विधानसभा में हाल ही में प्रस्तुत एक आंकड़ा राज्य की सरकारी नौकरियों में विभिन्न समुदायों की भागीदारी को उजागर करता है। राज्य के पास वर्तमान में कुल 5,45,423 सरकारी कर्मचारी हैं जो विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों में से 73,774 मुस्लिम हैं, जो कि कुल कर्मचारियों का 13.5% है। वहीं, ईसाई समुदाय के कर्मचारियों की संख्या इससे भी अधिक है।
ईसाई समुदाय की भागीदारी
ईसाई समुदाय के विभिन्न वर्गों में अगड़े ईसाई, लैटिन चर्च को मानने वाले, धर्मान्तरित ईसाई और नादर ईसाई शामिल हैं। अगड़े ईसाई कर्मचारियों की संख्या 73,714 है, जबकि लैटिन चर्च के 22,452 कर्मचारी राज्य सरकार के लिए काम करते हैं। इसके अतिरिक्त, 2,399 धर्मान्तरित ईसाई और 929 नादर ईसाई भी राज्य सरकार में कार्यरत हैं। इस प्रकार, सभी ईसाई समुदायों की कुल संख्या 99,494 है, जो कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों का 18.25% है।
अन्य धार्मिक और सामाजिक समूहों की भागीदारी
केरल सरकार में जैन समुदाय के 27 कर्मचारी हैं। इस प्रकार, राज्य की सरकारी नौकरियों में कुल 1,73,268 ईसाई और मुस्लिम कर्मचारी हैं, जो कि कुल सरकारी कर्मचारियों का 31.5% है। इसके अलावा, अनुसूचित जातियों से 51,783 और अनुसूचित जनजातियों से 10,513 कर्मचारी राज्य सरकार में कार्यरत हैं। ब्राह्मण समुदाय के 7,113 कर्मचारी भी राज्य सरकार में सेवा दे रहे हैं, जो कि कुल सरकारी कर्मचारियों का 1.5% भी नहीं है।
प्रमुख जातीय समूह
केरल सरकार में इझावा समुदाय के 1.15 लाख और नायर समुदाय के 1.08 लाख कर्मचारी हैं। इसके अतिरिक्त, केवल 26 यादव और 28 क्षत्रिय ही सरकारी नौकरी में हैं। राज्य सरकार में 955 कर्मचारी ऐसे भी हैं जो किसी भी वर्ग में वर्गीकृत नहीं करते।
धार्मिक जनसांख्यिकी और विपक्ष की आलोचना
केरल में मुस्लिम और ईसाई कुल जनसांख्यिकी का लगभग 50% हैं, जिसमें 27% इस्लाम धर्म को मानने वाले और 22% ईसाइयत को मानने वाले शामिल हैं। विपक्षी दल राज्य की वामपंथी सरकार पर राज्य में नौकरियों में विविधता की कमी के लिए लगातार निशाना साध रहे हैं।
इसके अलावा, राज्य की आर्थिक स्थिति और केरल पर बढ़ते कर्ज के लिए भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार सरकारी नौकरियों में धार्मिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने में विफल रही है। इसके साथ ही, राज्य की आर्थिक स्थिति और वित्तीय संकट को लेकर भी विपक्ष सरकार को आड़े हाथों ले रहा है।
समग्र निष्कर्ष
इस रिपोर्ट के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि केरल सरकार के विभिन्न विभागों में धार्मिक और सामाजिक समूहों की विविधता मौजूद है। हालांकि, विपक्ष की आलोचना इस बात पर केंद्रित है कि इस विविधता को और संतुलित करने की आवश्यकता है। राज्य की आर्थिक स्थिति और बढ़ते कर्ज को लेकर भी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। यह स्थिति सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है और इसे समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
समय की मांग है कि सरकार एक समावेशी नीति अपनाए, जो सभी धार्मिक और सामाजिक समूहों को समान अवसर प्रदान करे। इसके साथ ही, राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए भी ठोस नीतियों और योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि केरल एक स्थायी और समृद्ध राज्य के रूप में उभर सके।
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