चीन के बजाय भारत करे तीस्ता परियोजना का विकास: शेख हसीना

पीएम शेख हसीना का यह निर्णय कि तीस्ता नदी विकास परियोजना को चीन के बजाय भारत द्वारा क्रियान्वित किया जाए, एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है।

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बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने अपने देश की चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में बीजिंग की अपनी यात्रा को अचानक समाप्त कर ढाका लौटने के बाद, उन्होंने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि वे बांग्लादेश में $1 बिलियन के तीस्ता नदी विकास परियोजना को चीन के बजाय भारत से करवाना चाहती हैं। शेख हसीना ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “चीन तैयार है लेकिन मैं चाहती हूं कि यह परियोजना भारत द्वारा की जाए।”

भारत को प्राथमिकता देने की नीति

प्रधान मंत्री हसीना ने कहा कि चीन ने प्रस्ताव दिया है और एक व्यवहार्यता अध्ययन भी किया है। “भारत ने भी एक प्रस्ताव दिया है और वह भी एक व्यवहार्यता अध्ययन करेगा। इसके बाद हम जो उचित होगा, वह निर्णय लेंगे। लेकिन मैं चाहूंगी कि यह परियोजना भारत द्वारा की जाए क्योंकि भारत ने तीस्ता की जल आपूर्ति को रोका हुआ है।” 

हसीना का मानना है कि यदि भारत को बांग्लादेश को तीस्ता का पानी देना है, तो उन्हें इस परियोजना को भी क्रियान्वित करना चाहिए ताकि बांग्लादेश को उसकी आवश्यकता अनुसार पानी मिल सके।

परियोजना की महत्ता और राजनीतिक पृष्ठभूमि

तीस्ता नदी बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है और इसका विकास लंबे समय से लंबित है। यह परियोजना कई बार सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के घोषणापत्र में भी शामिल रही है। 

इस वर्ष जून में जब प्रधान मंत्री हसीना नई दिल्ली दौरे पर गईं थीं, तब भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बातचीत में भी तीस्ता परियोजना प्रमुखता से उभरी थी। मोदी ने आश्वासन दिया था कि भारतीय तकनीकी टीम जल्द ही ढाका आएगी ताकि तीस्ता के संरक्षण और प्रबंधन पर बातचीत की जा सके।

तीस्ता नदी और भारत-बांग्लादेश जल समझौते

भारत और बांग्लादेश के बीच लगभग 54 नदियां साझा होती हैं और तीस्ता उनमें से एक है। हालांकि, तीस्ता एकमात्र ऐसी सीमा-पार नदी है जिस पर दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का समझौता नहीं हो पाया है। इसकी मुख्य वजह पश्चिम बंगाल सरकार की आपत्ति रही है। भारतीय संविधान के तहत, ऐसे जल समझौतों के लिए राज्य सरकारों की सहमति अनिवार्य होती है। 

2011 में तीस्ता जल बंटवारे पर एक मसौदा समझौता तैयार किया गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण इसे हस्ताक्षरित नहीं किया जा सका। बनर्जी का दावा था कि इस संधि से राज्य के कुछ हिस्सों में सूखा पड़ जाएगा।

चीन की भूमिका और सुरक्षा चिंताएं

जब भारत इस मुद्दे को हल करने में देरी कर रहा था, तब चीन ने अपनी प्रस्तावना के साथ आगे बढ़ने की कोशिश की। इस वर्ष की शुरुआत में, भारत ने सुरक्षा चिंताओं को उठाया कि यदि चीन को यह परियोजना सौंपी जाती है, तो चीनी इंजीनियर भारत की सीमा के निकट काम करेंगे। इसके चलते नई दिल्ली ने भी तीस्ता परियोजना के लिए बांग्लादेश को अपना प्रस्ताव दिया।

निष्कर्ष

प्रधान मंत्री शेख हसीना का यह निर्णय कि तीस्ता नदी विकास परियोजना को चीन के बजाय भारत द्वारा क्रियान्वित किया जाए, एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है। यह न केवल बांग्लादेश की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है बल्कि भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में भी एक कदम है। 

यह निर्णय बांग्लादेश के लिए दीर्घकालिक जल संसाधन प्रबंधन और क्षेत्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। शेख हसीना का भारत पर बढ़ता विश्वास और चीन से दूर होने का संकेत बांग्लादेश की कूटनीतिक दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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