अर्बन नक्सलियों के लिए महाराष्ट्र सरकार का गिफ्ट।

‘महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी बिल 2024’ राज्य में नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम है।

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महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी बिल 2024’ राज्य में नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस बिल का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में सक्रिय उन व्यक्तियों और संगठनों पर लगाम लगाना है जो नक्सली विचारधारा को समर्थन प्रदान करते हैं और राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं। इस कानून के तहत अर्बन नक्सलियों के इकोसिस्टम में शामिल तथाकथित ‘बुद्धिजीवियों’ पर कार्रवाई की जाएगी।

अर्बन नक्सलियों का प्रभाव और उनकी कार्यप्रणाली

बिल के मसौदे में कहा गया है कि मुखौटा संगठनों के जरिए शहरी क्षेत्रों में नक्सली अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं। ये संगठन नक्सलियों को शरण, संसाधन और अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं। नक्सलियों के पास से जब्त किए गए साहित्यों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में उनके कई गुप्त ठिकाने हैं। यह चिंताजनक है कि जो लोग अपना घर इन नक्सलियों को रहने के लिए देते हैं, वे सोशल मीडिया और आमजनों के बीच नक्सली विचारधारा को प्रचारित कर रहे हैं। यह स्थिति राज्य और देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

अन्य राज्यों का अनुभव और महाराष्ट्र की पहल

छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों ने पहले ही ऐसे 48 संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया है। अब महाराष्ट्र सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही है, विशेषकर जब अक्टूबर में राज्य में चुनाव होने वाले हैं। इस बिल में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे किसी भी संगठन की बैठकों या सभाओं में प्रतिबंधित संगठन का कोई सदस्य किसी भी माध्यम से भाग लेता है या मदद करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल की सज़ा और 3 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

सलाहकार समिति और पुलिस की भूमिका

राज्य सरकार ऐसे संगठनों को चिह्नित करने के लिए एक सलाहकार समिति का गठन करेगी। यह कानून बनने के बाद पुलिस शक के आधार पर किसी भी परिसर में घुस कर नक्सली विचारधारा वाले साहित्य को जब्त कर सकती है। साथ ही अर्बन नक्सलियों की संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान है। इस प्रकार की सख्त कार्यवाही से नक्सली गतिविधियों पर लगाम कसने में मदद मिलेगी।

संगठन और सदस्यों पर कड़ी सज़ा

इस बिल में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी प्रतिबंधित संगठन का कोई सदस्य किसी भी माध्यम से भाग लेता है या मदद करता है, तो उसे सज़ा होगी। राज्य सरकार ऐसे संगठनों को प्रतिबंधित करने के आदेश उसके अधिकारियों को देगी और यदि दफ्तर नहीं है तो नोटिस अख़बारों में छापा जाएगा। एडवाइजरी बोर्ड में एक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज भी होंगे, जो निष्पक्षता सुनिश्चित करेंगे।

वित्तीय मदद पर प्रतिबंध

बिल में यह भी प्रावधान है कि किसी प्रतिबंधित संगठन या उसके सदस्य की वित्तीय मदद करने पर भी जेल होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नक्सली संगठनों को आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हो सकेगी, जिससे उनकी गतिविधियों पर रोक लगेगी। साथ ही, कोई संगठन नाम बदल कर भी नहीं बच सकता, क्योंकि जब तक वो ऐसी गतिविधियों में शामिल रहेगा वो प्रतिबंधित रहेगा।

निष्कर्ष

‘महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी बिल 2024’ राज्य में नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम है। इस बिल से न केवल अर्बन नक्सलियों पर लगाम कसी जा सकेगी, बल्कि राज्य की सुरक्षा को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा। हालांकि, इस बिल के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि इसका दुरुपयोग न हो और केवल वास्तविक दोषियों पर ही कार्रवाई हो। समाज के हर वर्ग को इस पहल का समर्थन करना चाहिए ताकि नक्सली विचारधारा का उन्मूलन हो सके और राज्य में शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त हो।

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