CAPFs में पूर्व-अग्निवीरों के लिए भर्ती प्रक्रिया में दी गई नई छूटें।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुखों ने घोषणा की है कि वे पूर्व-अग्निवीरों को अपने बलों में शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं।

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अग्निवीर योजना को लेकर विवाद और चर्चाओं के बीच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, CAPFs ने पूर्व-अग्निवीरों के लिए पद आरक्षित किए हैं और भर्ती नियमों में छूट प्रदान की है। यह घोषणा उन सभी प्रश्नों और चिंताओं के बीच आई है जो अग्निपथ भर्ती योजना के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई हैं। इस लेख में, हम इस घोषणा के विभिन्न पहलुओं, सरकार के निर्देशों और अग्निपथ योजना से जुड़े विवादों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा

गृह मंत्रालय ने 12 जुलाई को एक बार फिर से यह दोहराया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में पूर्व-अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था होगी। यह घोषणा उस समय आई है जब विपक्षी दल और यहां तक कि भाजपा के कुछ सहयोगी भी अग्निपथ योजना पर सवाल उठा रहे थे, खासकर उन 75 प्रतिशत अग्निवीरों के भविष्य को लेकर जिन्हें चार साल की सेवा के बाद नहीं रखा जाएगा।

CAPFs द्वारा उठाए गए कदम

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुखों ने घोषणा की है कि वे पूर्व-अग्निवीरों को अपने बलों में शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से बलों को प्रशिक्षित और अनुशासित कर्मी प्राप्त होंगे।

CISF का कदम

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की महानिदेशक नीना सिंह ने कहा कि CISF सभी भविष्य की कांस्टेबल नियुक्तियों में पूर्व-अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत पद आरक्षित करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि शारीरिक परीक्षणों में भी उन्हें छूट दी जाएगी और आयु में भी छूट प्रदान की जाएगी। पहले साल में आयु छूट पांच साल होगी और उसके बाद के सालों में यह तीन साल होगी।

BSF की घोषणा

सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक नितिन अग्रवाल ने भी घोषणा की कि BSF में पूर्व-अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत पद आरक्षित होंगे। उन्होंने इसे बहुत अच्छा कदम बताया, जिससे बलों को तैयार सैनिक प्राप्त होंगे।

अन्य बलों की घोषणाएं

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और रेलवे पुलिस बल (RPF) के प्रमुखों ने भी पूर्व-अग्निवीरों के लिए इसी तरह की आरक्षण योजनाओं की घोषणा की। SSB ने यह भी कहा कि पहले बैच के अग्निवीरों को पांच साल की आयु छूट मिलेगी और उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षण (PET) से भी छूट दी जाएगी।

सरकारी निर्देश

यह घोषणा मोदी सरकार के दिसंबर 2023 में किए गए वादों के अनुरूप है। उस समय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि CAPFs और असम राइफल्स (AR) में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी)/राइफलमैन के पद पर भर्ती के लिए एक नई श्रेणी ‘पूर्व-अग्निवीर’ बनाई जा रही है। इसके तहत 10 प्रतिशत रिक्तियों के आरक्षण और ऊपरी आयु सीमा में तीन साल की छूट का प्रावधान है।

अग्निपथ योजना पर विवाद

अग्निपथ योजना, जिसे जून 2022 में शुरू किया गया था, 17.5 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करती है। हाल ही में संपन्न संसद सत्र में विपक्ष ने इस योजना को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे अग्निवीरों को ‘उपयोग करो और फेंको’ मजदूर समझते हैं।

रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस देश को गुमराह न करे। उन्होंने कहा कि एक अग्निवीर जो सेवा में रहते हुए अपने जीवन का बलिदान देता है, उसे 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलता है।

सेना की प्रतिक्रिया

भारतीय सेना ने भी राहुल गांधी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि संबंधित परिवार को 98.39 लाख रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है और अग्निवीर योजना के प्रावधानों के अनुसार लागू लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस सत्यापन के बाद जल्द ही अंतिम खाता निपटान पर भुगतान किए जाएंगे।

एनडीए में दरार

2024 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जीत के बाद, गठबंधन में दरारें उभरने लगीं जब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल-यूनाइटेड (JD(U)) और चिराग पासवान ने अग्निपथ योजना की समीक्षा की मांग की।

योजना के आलोचक

अग्निपथ योजना की शुरुआत से ही इसका कड़ा विरोध हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, और राजस्थान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। आलोचकों का तर्क है कि यह योजना सैनिकों की एक ‘निचली’ श्रेणी बनाती है, जिन्हें पूर्ण कमीशन वाले सैनिकों के समान कार्यों के लिए कम वेतन, लाभ और अवसर मिलते हैं।

दिग्गजों की चिंताएं

अग्निपथ योजना को लेकर सशस्त्र बलों के दिग्गजों ने भी चिंताएं व्यक्त की हैं। मेजर जनरल जी.डी. बख्शी (सेवानिवृत्त) ने ट्वीट किया था कि यह योजना भारतीय सशस्त्र बलों को एक अल्पकालिक अर्द्ध-संविधानिक बल में बदल देगी। लेफ्टिनेंट जनरल राज काद्यान (सेवानिवृत्त), पूर्व उप सेना प्रमुख, ने भी कहा कि अगर युद्ध होता है, तो चार साल के बाद का सोचने वाला व्यक्ति अपने जीवन का बलिदान देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं होगा।

निष्कर्ष

CAPFs द्वारा पूर्व-अग्निवीरों के लिए आरक्षण और छूट की घोषणा निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे बलों को प्रशिक्षित और अनुशासित कर्मी प्राप्त होंगे, जो उनकी दक्षता को बढ़ाएंगे। हालांकि, अग्निपथ योजना के विवाद और आलोचनाएं यह दर्शाती हैं कि इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर गंभीर विचार और समीक्षा की आवश्यकता है। सरकार और संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, इस योजना को और अधिक प्रभावी और लाभप्रद बनाया जाए।

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