पश्चिम बंगाल भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया जिसकी भाजपा में सख्त जरूरत है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश किए गए ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को अनावश्यक बताते हुए भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा को समाप्त करने का सुझाव दिया।
‘सबका साथ, सबका विकास’ पर सवाल
कोलकाता में लोकसभा चुनावों के बाद राज्य भाजपा की पहली कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए अधिकारी ने कहा, “हम हिंदुओं को बचाएंगे और हम संविधान को बचाएंगे। मैंने राष्ट्रवादी मुसलमानों के बारे में बात की और आप सभी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ कहा। लेकिन अब मैं इसे नहीं कहूंगा।”
उन्होंने आगे कहा, “अब हम कहेंगे ‘जो हमारे साथ, हम उनके साथ’। ‘सबका साथ, सबका विकास’ बंद करो। भाजपा के लिए अल्पसंख्यक मोर्चा की कोई जरूरत नहीं है।”
बीजेपी की हालिया लोकसभा चुनावी पराजय
हाल के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने 2019 में जीती गई 18 सीटों की तुलना में इस बार केवल 12 सीटें ही जीतीं। इस गिरावट का कारण समझने के लिए पार्टी के भीतर विचार-विमर्श चल रहा है।
उम्मीदवार चयन में अधिकारी की भूमिका
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सुवेंदु अधिकारी ने लगभग 30 सीटों के लिए उम्मीदवार चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके कारण उन्हें पार्टी के कुछ नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा।
भाजपा राज्य अध्यक्ष का बयान
बीजेपी राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी इस बात को स्वीकार किया कि पार्टी केवल केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर टीएमसी के नेताओं को जेल में डालकर चुनाव नहीं जीत सकती। मजूमदार ने कथित तौर पर कहा, “कभी-कभी, कार्यकर्ता सीबीआई कार्रवाई की मांग करते हैं ताकि किसी को गिरफ्तार किया जा सके। उन्हें लगता है कि इससे निर्वाचन क्षेत्र में जीत सुनिश्चित होगी। लेकिन ऐसा नहीं होगा। कार्यकर्ता सोच सकते हैं कि किसी नेता को गिरफ्तार करना निर्वाचन क्षेत्र से जीत सुनिश्चित करेगा। लेकिन यह संभव नहीं है।”
भाजपा की रणनीति पर पुनर्विचार
अधिकारी और मजूमदार के बयानों से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल भाजपा के भीतर रणनीति और नीतियों पर गंभीर पुनर्विचार हो रहा है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा, जिसने भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, अब राज्य स्तर पर आलोचना का सामना कर रहा है।
अल्पसंख्यक मोर्चा की भूमिका पर सवाल उठाने से पार्टी की आंतरिक संरचना और कार्यप्रणाली पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अधिकारी का बयान दर्शाता है कि वे हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने के लिए पार्टी को एक नई दिशा में ले जाना चाहते हैं।
भविष्य की दिशा
यह देखना दिलचस्प होगा कि अधिकारी के इन बयानों का पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा और क्या इससे भाजपा की रणनीति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन बयानों का क्या असर होगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में सुवेंदु अधिकारी का बयान निश्चित रूप से एक नई बहस को जन्म देगा। भाजपा को अपनी आंतरिक संरचना और चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस नई चुनौती का सामना कैसे करती है और क्या यह बयान भाजपा की चुनावी सफलता को प्रभावित करेगा।
और पढ़ें:- दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण पर क्यों हो रहा विवाद?