मोदी की ऑस्ट्रिया यात्रा से क्या रहेंगी उम्मीदें?

नरेंद्र मोदी का ऑस्ट्रिया आगमन विशेष अवसर है क्योंकि भारत और ऑस्ट्रिया अपनी कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो-दिवसीय ऑस्ट्रिया यात्रा (9 और 10 जुलाई) भारतीय और ऑस्ट्रियाई संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। पिछले चार दशकों में यह पहली बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया है। यह यात्रा ना केवल दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम देगी, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण चर्चाओं का मंच प्रदान करेगी। आइए, इस यात्रा के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार करते हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्वागत

नरेंद्र मोदी का ऑस्ट्रिया आगमन विशेष अवसर है क्योंकि भारत और ऑस्ट्रिया अपनी कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। वियना पहुंचने पर ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस यात्रा से पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने साझा मूल्यों जैसे लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन को दोनों देशों के बीच निकट संबंधों की नींव बताया।

यात्रा का महत्व और प्रमुख उद्देश्य

यह यात्रा ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डर बेलेन और चांसलर कार्ल नेहमर के साथ महत्वपूर्ण बैठकों का अवसर प्रदान करेगी। विदेशी सचिव विनय क्वात्रा के अनुसार, मोदी का यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर भी चर्चा को प्रोत्साहित करेगा।

आर्थिक और व्यापारिक सहयोग

ऑस्ट्रिया के साथ आर्थिक सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप्स और मीडिया और मनोरंजन शामिल हैं। फरवरी 2024 में शुरू हुए इंडिया-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज ने दोनों देशों के स्टार्टअप्स के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने के अवसर बढ़ाए हैं।

भारत-ऑस्ट्रिया संबंधों की ऐतिहासिक झलक

1955 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस यात्रा की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है। 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया था।

सांस्कृतिक और प्रवासी संबंध

भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पुरानी परंपरा रही है। 16वीं शताब्दी से ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने 1921 और 1926 में वियना का दौरा किया था। वर्तमान में, ऑस्ट्रिया में लगभग 31,000 भारतीय निवास कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर केरल और पंजाब से हैं।

व्यापार और निवेश

वित्तीय वर्ष 2023 में भारत और ऑस्ट्रिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार $2.93 बिलियन तक पहुंच गया। भारत ऑस्ट्रिया को इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र, परिधान, जूते और रसायन निर्यात करता है, जबकि ऑस्ट्रिया से मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स और रसायन भारत आते हैं।

सामरिक और वैश्विक मुद्दे

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण चर्चाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी। ऑस्ट्रिया में कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन मुख्यालय स्थापित हैं, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO), और संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) शामिल हैं।

भारतीय प्रवासियों की प्रतिक्रियाएं

ऑस्ट्रिया में भारतीय समुदाय ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा पर हर्ष व्यक्त किया है। महाराष्ट्रीयन समीर, जो पिछले 12 सालों से वियना में रह रहे हैं, ने कहा, “यह महान है कि प्रधानमंत्री मोदी यहां आ रहे हैं। यह 40 साल बाद हो रहा है और यह सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के लिए एक अच्छा कदम होगा।”

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह ऐतिहासिक यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम देगी। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण चर्चाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी। भारतीय और ऑस्ट्रियाई नेतृत्व के बीच इस यात्रा से होने वाले संवाद और सहयोग से निश्चित रूप से दोनों देशों के भविष्य के संबंध और भी मजबूत होंगे।

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