नई दिल्ली। भाजपा की चुनावी रणनीति में अब तक गुजरात मॉडल को रोल मॉडल माना जाता था। मगर लोकसभा चुनाव और बीते वर्ष के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा को मिली सफलता के बाद आरएसएस अब मध्यप्रदेश मॉडल को ही दूसरे चुनावी राज्यों में भी लागू करने के पक्ष में है। और भाजपा के मध्यप्रदेश मॉडल को लागू करने के मामले में हरियाणा पहला राज्य बनने जा रहा है। आरएसएस ने भाजपा को निर्देश दिया है कि वह हरियाणा का विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश के मॉडल पर लडे़। साथ ही आरएसएस ने भाजपा से कहा है कि वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का रोल निर्धारित करे।
सूत्रों के अनुसार बीते सोमवार 29 जुलाई को भाजपा के पुराने मुख्यालय 11अशोक रोड़ पर संघ-भाजपा की हुई समन्वय बैठक में आरएसएस अधिकारियों की ओर से भाजपा नेताओं को इस संबंध में निर्देश दिए गए कि वे मध्यप्रदेश के मॉडल पर हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ें। बैठक में उपस्थित संघ के सह सर कार्यवाह अरूण कुमार ने स्वयं भाजपा नेताओं को इस आशय के निर्देश दिए। सनद रहे कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से भाजपा संगठन या सरकार में सिर्फ गुजरात मॉडल की ही चर्चा होती थी। मगर अब संघ को मध्यप्रदेश मॉडल रास आने लगा है।
क्या है भाजपा का मध्यप्रदेश मॉडल
भाजपा की चुनावी राणनीति के लिए संघ के मध्यप्रदेश मॉडल को बयां करते हुए हरियाणा की चुनावी रणनीति से जुड़े एक नेता ने टीएफआई को बताया कि मध्यप्रदेश में पार्टी के उम्मीदवार चयन से लेकर अन्य रणनीति निर्धारण करने तक भाजपा नेताओं के साथ संघ अधिकारी साथ-साथ शामिल रहे। जबकि अन्य राज्यों में महज संघ की राय ली जाती है सभी निर्णय भाजपा स्वयं करती है।
गुजरात में तो कई मौकों पर भाजपा पर संघ की उपेक्षा के आरोप भी लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि हरियाणा चुनाव के लिए होने वाली हर अहम बैठक में अब राज्य के शीर्ष संघ अधिकारी भी भाजपा नेताओं के साथ शामिल होंगे। दरअसल संघ की ओर से भाजपा का काम देख रहे सह सरकार्यवाह अरूण कुमार का पहले केंद्र भी भोपाल रहा है। इसलिए उन्हें मध्यप्रदेश मॉडल की बखूबी जानकारी है। अब उन्होंने इसे हरियाणा में लागू करने का निर्देश दिया है। चूकि हरियाणा शुरूआत से ही उनकी कर्मभूमि रही है इसलिए वे भी हरियाणा की चुनावी रणनीति में प्रमुख रूप से भूमिका निभाएंगे।
संघ-भाजपा विवाद का समाधान है मध्यप्रदेश मॉडल!
भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा के संघ पर दिए गए बयान तथा लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से संघ-भाजपा के बीच रिश्तों में आई कड़वाहट के समाधान के रूप में भी मध्यप्रदेश के मॉडल को देखा जा रहा है। संघ की ओर से सबसे ज्यादा शिकायत इसी बात की थी कि भाजपा उसकी अनदेखी करती है अहम निर्णयों में संघ को पूछा नहीं जाता है, लेकिन अगर अब हरियाणा में भाजपा का मध्यप्रदेश मॉडल सफल होता है तो पार्टी इसे अन्य राज्यों में भी अपनाएगी। क्योंकि इस पहल की पेशकस स्वयं संघ के सह सरकार्यवाह अरूण कुमार की ओर से की गई है।
संघ ने खटटर का रोल किया तय,करनाल तक सिमटेंगे खटटर!
सूत्रों के अनुसार पुराने भाजपा मुख्यालय में हुई संघ-भाजपा की समन्वय बैठक में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की भूमिका को लेकर जब चर्चा चल रही थी तक उत्तर भारत के क्षेत्रीय संघ चालक पवन जिंदल ने स्पष्ट कहा कि इस बैठक में खट्टर का रोल स्पष्ट होना चाहिए। उनके द्वारा मुखरता से खट्टर का विषय उठाने के बाद बैठक में यह सहमति बनी कि खट्टर की भूमिका को पार्टी सिर्फ उनके करनाल लोकसभा तक सिमित रखेगी। इसकी बानगी देखने को भी मिली है. पार्टी ने उम्मीदवार चयन पर चर्चा की प्रक्रिया करनाल से ही शुरू की है. गुरुवार को खट्टर के लोधी रोड, दिल्ली स्थित आवास पर संपन्न बैठक में करनाल लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा उम्मीदवारों के नाम पर प्राइमरी चर्चा की। ताकि खट्टर को सम्मान प्रदान करने के साथ -साथ उनके रोल को भी सीमित रखा जा सके.
टिकट में अपने कार्यकर्ताओं को मिलेगी तरजीह
संघ-भाजपा समन्वय बैठक में यह सहमति बनी है कि टिकट वितरण में पार्टी अपने कार्यकर्ता के साथ युवाओं को तरजीह देगी। टिकट चयन में संघ-भाजपा का जोर जिताउ और नए चेहरों पर रहेगा। यह रणनीति पार्टी की सरकार के साथ जुड़ी एंटी इंकम्बेंसी को काटने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। वैसे देखा जाए तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और भाजपा अध्यक्ष के रूप में मोहन लाल बड़ोली का चयन कर पार्टी ने हरियाणा में यह संदेश दे दिया है कि वह भविष्य की राजनीति के मद्देनजर नए चेहरों को तवज्जो देगी।
अध्यक्ष बड़ोली को पड़ी बीएल संतोष से डांट!
सूत्र बताते हैं कि संघ-भाजपा समन्वय बैठक की सूचना मीडिया में लीक होने के मामले में भाजपा संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली को बैठक के शुरू में ही जमकर डांट लगाई। संतोष की शिकायत यह थी कि बडोली ने बैठक का समय और स्थान मीडिया में लीक किया। हालांकि बाद में बडोली की सफाई से वे संतुष्ट हुए।
बैठक में दिखी खिचड़ी डिप्लोमेसी!
वैसे संघ अधिकारियों को भोजन में खिचड़ी बेहद पसंद आती है। इस समन्वय बैठक में भी अन्य व्यंजनों के साथ खाने में खिचड़ी और करेले की सब्जी परोसी गई। भाजपा की राजनीति में खिचड़ी का एक अहम रोल है। जब अटल बिहारी वाजपेई की लाल कृष्ण आडवाणी से किसी विषय पर कुछ अनबन हो जाती थी तो वाजपेई जी आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी से उनके हाथ की बनी खिचड़ी खाने का आग्रह कर श्री आडवाणी के निवास पर खिचडी खाने चले जाते थे। और खाने की टेबल पर ही आडवाणी के अपनी अनबन को खत्म कर देते थे। चूंकि संघ-भाजपा विवाद के बाद दोनों संगठनों के बीच यह पहली औपचारिक बैठक थी। इसलिए यहां रात्रि भोज में परोसी गई खिचड़ी को डिप्लोमेसी के रूप में देखा जा रहा है।
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