विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि देशभर में इसाई एवं मुसलमानों के हजारों संगठन अवैध धर्मांतरण में लगे हुए हैं। इनकी संख्या तकरीबन 50 हजार के आसपास है। 12000 संगठनों के एफसीआरए पर तो भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिए हैं। 250 वर्षों से यह गैरकानूनी कार्य चल रहा है।
आजादी के बाद से ही मिल रहा था प्रश्रय
आजादी के बाद भी 70 वर्षों तक केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा इसे प्रश्रय दिया गया। आर्थिक सहयोग के रूप में हजारों करोड़ डॉलर इन्हें प्रतिवर्ष सहयोग के रूप में मिलता है। इसके बावजूद धर्मांतरण कम होना कही न कही हिंदू समाज के जागरूक होने के कारण ही संभव हो रहा है। विश्व हिंदू परिषद जैसे कुछ संगठन तो पिछले 50-60 वर्षों से ही सामाजिक जागरण और सेवा के माध्यम से घर वापसी के अभियान में लगे हुए हैं। आज लाखों इसाई और मुसलमान घर वापसी कर रहे हैं जो पहले नहीं होता था। यह एक सुखद संकेत है।
हिंदू समाज की एकता को भंग करने की रची जा रही साजिश
परांडे ने कहा कि अवैध धर्मांतरण में लगे संगठन हिंदू समाज की एकता को भंग करने के लिए हमेशा साजिश रचते रहते हैं। वैचारिक विमर्श में भी कम्युनिष्टों का प्रभाव रहा है। उन्हें सत्ता में हमेशा प्रश्रय मिलते रहा। इन सबके बावजूद अब अनुकूलता की स्थिति बन रही है। समाज में भी परिवर्तन आया है। घरवापसी करने वालों को लोग स्वीकार करने लगे हैं।
विदेश में अब अन्य धर्मावलम्बी बन रहे हैं हिंदू
परांडे ने कहा कि विहिप के कामों का प्रभाव यह हुआ है कि अमेरिका, रूस,इटली, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में मुस्लिम और ईसाई हिंदू बन रहे हैं। हिंदू धर्म आंतरिक शक्ति के आधार परा फैल रहा है, तलवार के बल पर नहीं। जो व्यवस्था विरोधियों ने बनाया उसे ध्वस्त करना है। हमलोग अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए सेवा हिंदू संस्कारों का दृढ़ीकरण, सघन संपर्क और उपयुक्त कानून कैसे लागू हो इस पर ध्यान दे रहे हैं।
धर्मांतरित एससी और एसटी के आरक्षण पर उठाया सवाल
धर्मांतरित अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण के सवाल पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि संविधान सभा, संसद, सुप्रीम कोर्ट, महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू धर्मांतरित एससी को आरक्षण का लाभ मिले नकार चुके हैं। जब 1932 में पुणे पैक्ट के तहत गांधी और आंबेउकर में सहमति बनी थी कि हिंदू एससी को ही आरक्षण का लाभ मिलेगा उसके बाद 1935 से ही ईसाई मिशनरियां धर्मांतरित एससी को आरक्षण का लाभ देने की मांग कर रही है। इस संबंध में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कोई अभी तक नया निर्णय नहीं लिया है। जहां तक अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का सवाल है तो संविधान में अनुसूचित जाति को हिंदू समाज में व्याप्त भेदभाव को दूर करने के लिए और अनुसूचित जनजाति को अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया। अभी 18 प्रतिशत धर्मांतरित लोग 80 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।
धर्मांतरण रोकने के लिए सबको मिलकर करना होगा प्रयास
परांडे ने कहा कि देश के 6.30 लाख गांवों में से 66 हजार गांवों में अभी विहिप का काम चल रहा है। इस बार उेढ़ लाख गांवों तक पहुंचने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 5703 सेवा के चल रहे हैं। इसे और स्थानों पर शुरू करने की योजना है। इससे धर्मांतरण रोकने में मदद मिलने की संभावना है।
जनसंख्या असंतुलन पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत
जनसंख्या असंतुलन को लेकर उन्होंने कहा, बांग्लादेशी घुसपैठिए, लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण के कारण देश के कई हिस्सों में जनसंख्या असंतुलन पैदा हो रहा है। इसके साथ ही मुस्लिम महिलाओं में प्रजनन दर 2.3 है जबकि हिंदुओं में 1.9 है। परिवार नियोजन पर भी हिंदू अधिक जोर दे रहा है। इससे भविष्य में स्थिति और बिगड़ेगी। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाते समय सभी बातों पर ध्यान रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ने अयोध्या, मथुरा, काशी इन तीन स्थानों को लेकर जो संकल्प लिया वह अब पूर्ण होने ही बाला है।
विश्व नाथ झा।