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असम में काजी व्‍यवस्‍था खत्‍म, अब निकाह और तलाक के लिए रजिस्‍ट्रेशन कराना हुआ अनिवार्य

90 साल बाद बदला 'मजहबी कानून', अगला लक्ष्य है बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना: हिमंता बिस्‍व सरमा

Sambhrant Mishra द्वारा Sambhrant Mishra
30 August 2024
in चर्चित
मुसलमानों को असम पर नहीं करने देंगे कब्‍जा: हिमंत बिस्‍व सरमा
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असम विधानसभा ने बृहस्‍पतिवार को एक विधेयक पारित किया, जिसके अनुसार अब मुस्लिमों को निकाह और तलाक दोनों ही के लिए सरकारी रजिस्‍ट्रेशन कराना अनिवार्य हो गया है। अब मुस्लिम विवाह और तलाक का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक 2024 को राजस्‍व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने विधानसभा में पेश किया, जो मुस्लिम विवाह और तलाक अधिनियम 1935 की जगह लेगा। पुराना कानून बाल विवाह की अनुमति देथा था और बहुविवाह पर रोक नहीं लगाता था। इसके साथ ही असम सरकार ने मुस्लिमों के निकाह-तलाक में काजियों की भूमिका भी ख्‍त्‍म कर दी है।

आज का दिन बेटियों के लिए ऐतिहासिक

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस विधेयक के पारित होने पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस विधेयक को ऐतिहासिक बताया और कहा कि उनका अगला लक्ष्य बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना है। हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर लिखा, “आज असम की बेटियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। असम विधानसभा ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को पारित कर दिया है। इस नए कानून के लागू होने के बाद नाबालिग बेटी से विवाह की पंजीकरण एक कानूनी अपराध माना जाएगा। इसके अलावा, मुस्लिम विवाह की पंजीकरण अब काजी नहीं सकार करेगी। हमारी सरकार का एक ही उद्देश्य है: बेटी चाहे मुस्लिम हो या हिंदू, उसके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। मैं असम की जनता से प्रार्थना करता हूं कि इसमें हमारा साथ दीजिए और इस प्रथा को इतिहास के पन्नों तक सीमित रखिए। एक आधुनिक असम में इस प्रथा की कोई जगह नहीं है।”

नये कानून की विशेषता

असम मुस्लिम विवाह और तलाक का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक 2024 नाम के नये अधिनियम के अस्तित्‍व में आने के साथ ही मुस्लिमों के निकाह-तलाक में काजियों की भूमिका खत्‍म हो गई है। अब यह काम उप-रजिस्‍ट्रार करेगा।

नए कानून की सात मुख्य बातें

1-निकाह के दौरान लड़की की उम्र -18 साल, और लड़के की उम्र -21 साल होनी चाहिए।
2-दोनों पक्षों की सहमति से ही निकाह होना चाहिए, अगर जोर-जबरदस्ती की बात आई, तो 1 माह के अंदर इसकी शिकायत की जा सकती है।
3- जिस जिले में निकाह होना है, उस जिले में लड़की या लड़के का निवास कम से कम 30 दिनों से होना चाहिए। यानी बाहरी जिले के निवासी का उस जिले में सिर्फ निकाह के लिए आने का सिस्टम अब खत्म हो गया है। लड़का और लड़की दोनों गैर-जिले में जाकर निकाह नहीं कर सकते, इसके लिए उस जिले में लड़के या लड़की का 30 दिनों तक रहना जरूरी है।
4- लड़के और लड़की- दोनों ही पक्षों को निकाह के रजिस्ट्रेशन से कम से कम 30 दिन पहले पहचान, उम्र और निवास स्थान से जुड़े कागजात पेश करने होंगे। यानी निकाह की सूचना 1 माह पहले देनी होगी, ये शर्त स्पेशल मैरिज एक्ट की तरह ही है।
5- जोर-जबरदस्ती, कम उम्र, या बाहर के निवास जैसी किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर 30 दिनों के भीतर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। इसकी जांच रजिस्ट्रार करेंगे। अगर जांच के बाद कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो निकाह को खारिज भी किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में जिला रजिस्ट्रार या विवाह महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल) के सामने अपील की जा सकती है।
6- लड़की या लड़के के नाबालिग होने की सूचना अगर दस्तावेजों की जांच के दौरान सामने आती है, तो अधिकारी को तुरंत ही इसकी सूचना उच्च अधिकारी (विवाह संरक्षण अधिकारी) को देनी होगी। ये कदम बाल-विवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत अनिवार्य है। इस मामले में सक्षम अधिकारी कानूनी कार्रवाई करेगा।
7- अगर कोई अधिकारी ‘जान बूझकर’ किसी निकाह को गलत तरीके से मंजूरी देता है और उसका रजिस्ट्रेशन करता है, तो उसे 1 साल तक की जेल और 50 हजार रुपये का दंड भुगतना पड़ सकता है। यानी निकाह को गलत तरीके से मंजूरी देने वाला अधिकारी सीधे उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

ये कानून मुस्लिम कानून से अलग है। खासकर नाबालिग लड़कियों के निकाह से जुड़े मामले में। दरअसल, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत यौवन प्राप्‍त कर लेने वाली (जिनकी माहवारी शुरू हो गई हो) लड़कियों को शादी के योग्‍य मान लिया जाता है। अगर माहवारी न शुरू हुई हो या इसकी जानकारी न हो तो 15 साल की उम्र की लड़कियों को निकाह योग्‍य मान लिया जाता है।

कानूनी उम्र 18 साल करने को लेकर कोर्ट में बहस जारी

हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है। जिसमें विवाह के लिए कम से कम कानूनी उम्र को 18 साल करने को लेकर बहस जारी है। अगर सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम पर्सनल लॉ पर बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को लागू (जिसमें 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी अवैध) का फैसला लेता है, तो कानून में बदलाव किया जाएगा और इस उम्र को कड़ाई से 18 वर्ष किया जा सकेगा। हालांकि मुस्लिम लड़कियों की उम्र को लेकर अलग-अलग हाई कोर्ट ने अलग-अलग समय में अलग-अलग टिप्पणियां दी हैं।

विधानसभा में अमीनुल इस्‍लाम ने रखा अपना पक्ष 

एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम ने विधानसभा में कहा कि अगर इस कानून का उद्देश्य सिर्फ बाल-विवाह रोकना है, तो 1935 के अधिनियम को रद्द करने की जरूरत नहीं, बल्कि पुराने कानून में धारा 8 और 10 में संशोधन करके ही ये लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इस्लाम ने कहा कि 1935 के कानून में साल 2010 में बदलाव किया गया था, जिसमें निकाह का रजिस्ट्रेशन स्वैच्छिक था। इसे ही सिर्फ अनिवार्य कर देने की जरूरत थी।

मुख्‍यमंत्री सरमा ने दिया जवाब 

इस पर मुख्‍यमंत्री हिमंत बिस्‍व सरमा ने जवाब  दिय कि ये संशोधन पर्याप्‍त नहीं होंगे और सरकार का इरादा काजियों की भूमिका को भी समाप्‍त करना है। उन्‍होंने विगत वर्ष बाल विवाह के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का जिक्र किया, जिसमें 4000 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। अधिकतर वे पुरुष थे जिन्‍होंने कम उम्र की लड़कियों से शादी की थी, और उनके रिश्‍तेदार और धार्मिक पदाधिकारियों ने इन शादियों को संपन्‍न कराया था।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने पाया कि काजी बाल विवाह पंजीकृत करते हैं। जब मामले हाई कोर्ट में आए, तो उन्होंने कहा कि उनके पास बाल विवाह पंजीकृत करने का अधिकार है। ऐसे में हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी क्योंकि काजियों के पास मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम के तहत बाल विवाह पंजीकृत करने का अधिकार है। इसका मतलब है कि वे (काजी) सैद्धांतिक रूप में बाल विवाह के खिलाफ नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारी द्वारा पंजीकरण से जवाबदेही बढ़ेगी। सरमा ने सीमा बनाम अश्विनी कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले के हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकारों को विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। “इसका मतलब है कि विवाहों का पंजीकरण करवाने की जिम्‍मेदारी राज्‍य को ही दी गई है। राज्‍य इसके लिए काजी व्‍यवस्‍था पर निर्भर नहीं रह सकता” “उन्‍होंने काजियों को” “निजी संस्‍था” करार दिया।

विश्‍व नाथ झा।

Tags: AssamAssemblyHimanta Biswa Sarmamarriage reformMuslimregistrationTalaq
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13 December 2025

13 दिसंबर 2001—वह तारीख जिसे भारत कभी नहीं भूल सकता। आज से 24 वर्ष पहले ठीक इसी दिन देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था- संसद भवन...

हिंदी में पढ़ें वीर सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमाला’
इतिहास

हिंदी में पढ़ें वीर सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमाला’

12 December 2025

संघ प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंडमान निकोबार में वीर सावरकर की प्रतिमा का अनावरण किया। ये कार्यक्रम वीर सावरकर...

अंडमान में एक मंच पर होंगे अमित शाह और मोहन भागवत; वीर सावरकर के कार्यक्रम में संघ-भाजपा के मजबूत तालमेल का संदेश
चर्चित

अंडमान में एक मंच पर होंगे अमित शाह और मोहन भागवत; वीर सावरकर के कार्यक्रम में संघ-भाजपा के मजबूत तालमेल का संदेश

12 December 2025

अंडमान-निकोबार में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक ही नहीं, राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम रहने वाला है। क्योंकि आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और...

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