2019 में मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में जब तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया था तो कट्टरपंथी मुस्लिमों और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने इसे इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए इसका पुरज़ोर विरोध किया था। ओवैसी ने तो उस समय इसे ‘मुस्लिमों की पहचान और नागरिकता’ पर हमले का एक हिस्सा तक बता दिया था।
तीन तलाक खत्म होने का महिलाओं-बच्चों पर सकारात्मक असर -आरिफ मोहम्मद खान
आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में तीन तलाक को लेकर कहा, “तलाक पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है सिर्फ तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा है और उसके नतीजे में 95% से ज्यादा तलाक की दरों में कमी आ गई है।” उन्होंने कहा कि इससे केवल उन मुस्लिम महिलाओं का फायदा नहीं हुआ जो तलाक के बाद सड़क पर आ जाती थी बल्कि उन बच्चों का भी फायदा हुआ है जिनका भविष्य तलाक के चलते अंधकार में चला जाता था।
40 साल बाद दिखेगा इस फैसले का असर- आरिफ मोहम्मद खान
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कुछ लोगों ने कहा था कि इससे मुस्लिम समाज को नुकसान होगा लेकिन इससे फायदा ही हुआ है। उन्होंने कहा, “अभी तो सिर्फ 4 साल हुए हैं, 40 साल गुजर जाने दीजिए 40 साल के बाद की जो नस्ल होगी वो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस तरह देखेगी कि 1,000 साल से ज़्यादा की कुरीति जिसके चलते महिलाओं का जीवन नरकीय हो गया था, कितने बच्चों का जीवन अंधकार में चला जाता था।” आरिफ मोहम्मद ने कहा कि 40 साल बाद आंकलन होगा कि यह कितना बड़ा सुधारात्मक काम हुआ है।
केंद्र ने तीन तलाक के कानून को लेकर SC में क्या कहा है ?
केंद्र सरकार ने कुछ दिनों पहले तीन तलाक की संवैधानिक वैधता के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने कहा कि तीन तलाक की प्रथा न सिर्फ सामाजिक संस्था विवाह के लिए घातक है बल्कि यह मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को बहुत दयनीय बनाता है। हलफनामे में कहा गया है कि ऐसे कानूनी प्रावधान की जरूरत थी जिससे मुस्लिम पतियों को बलपूर्वक तुरंत तलाक देने से रोका जा सकता हो। सरकार ने पुरानी स्थिति को लेकर बताया कि तीन तलाक की पीड़ितों के पास पुलिस के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है और पुलिस असहाय थी क्योंकि कानून में दंडात्मक प्रावधानों के अभाव में पतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती थी और इसे रोकने के लिए ही यह कानून लाया गया है।
किन देशों में बैन ट्रिपल तलाक ?
तीन तलाक की कानून स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और तुर्किये जैसे कट्टर इस्लामी देशों में भी तीन तलाक पर बैन लगा हुआ है। इसके अलावा बांग्लादेश, ईरान, ट्यूनीशिया, मिस्र, इंडोनेशिया, मोरक्को, श्रीलंका, सीरिया, ब्रुनेई, कतर, यूएई, साइप्रस और जार्डन में भी तीन तलाक बैन है।