कोलकाता की 151 साल पुरानी ट्राम सर्विस का दौर खतम हुआ।
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की जान और शान माने जाने वाली 151 साल पुरानी ट्राम सर्विस अब बंद होंने जा रही है। मात्र 7 रुपए में 151 साल से ट्राम लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती आ रही है, लेकिन अब इसकी रफ्तार थम जाएगी। क्योंकि पश्चिम बंगाल की सरकार ने इस सर्विस को बंद करने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ममता बनर्जी सरकार अब सिर्फ मैदान से एस्प्लेनेड रूट को छोड़कर बाकी रूटों पर ट्राम सर्विस को बंद कर देगी। ब्रिटिश काल में साल 1873 में ट्राम सर्विस की शुरुआत हुई थी। पहले इसे घोड़ों से खींचा जाता था, 1900 के दशक में यह स्टीम यानी भाप से चलने लगी, आज कोलकाता ही एक ऐसा शहर है जहां ट्राम अभी भी चल रही है, हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब ट्राम ट्रेन का बोलबाला था।
बड़े शहर जैसे दिल्ली, बॉम्बे और मद्रास वहीं छोटे शहर जैसे पटना, नासिक और भावनगर में ट्राम ट्रेन ही शहरी लोगों के आवाजाही का साधन था। अब यह मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ कोलकाता की सड़कों पर दौड़ रही हैं। यलो टैक्सियों, कारों, ट्रकों और बसों के बीच से जब ट्राम गुजरती है, तो लोग ब्रिटिश जमाने को अनुभव करने के लिए रास्ते पर खड़े होकर इसे देखते हैं।
ट्राम अगर ट्राफिक न फंसे तो 20 किलोमीटर प्रति घंटे से चलती है जो की आमतौर पर कार की मिनिमम स्पीड होती है। हालांकि, कार के मुकाबले ट्राम से न तो हानिकारक धुआं निकलता है और न ही इससे कोई शोर होता है। यानी ट्राम ईको फ्रेंडली भी है। 1960 के दशक में कोलकाता में ट्राम की 37 लाइनें थीं। अब ट्राम सिर्फ 2 लाइनों पर ही चलती हैं। वर्तमान में कोलकाता में दो रूट्स पर ही ट्राम का संचालन किया जाता है – पहला- धर्मतल्ला से श्यामबाजार, दूसरा- धर्मतल्ला से बालीगंज। अब इन दोनों रूट्स पर भी ट्राम का संचालन बंद करने का फैसला लिया गया है।
बंगाल सरकार का कहना है कि धीमी गति से चलने वाली ट्राम से सड़कों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा होती है. सड़कों पर गाड़ियां और लोगों की भीड़ दोनों हर दिन बढ़ती जा रही हैं। लिहाजा ट्राम सर्विस को बंद किए जाने की तैयारी है। इस बीच कलकत्ता ट्राम उपयोगकर्ता संघ (CUTA) ने सरकार के इस फैसले का विरोध करने का ऐलान किया है।