शिवाजी महाराज मूर्ति विवाद: बीजेपी और मोदी की आलोचना इसलिए बेमानी है

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में 26 अगस्त को शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छत्रपति शिवाजी की इस मूर्ति को भारतीय नौसेना ने बनवाया था और पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 4 दिसंबर को इसका उद्घाटन किया था। नौ महीने के अंदर मूर्ति गिरने से सवाल उठने के साथ ही सियासी बवाल मचा हुआ है। हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर की तरह महाराष्ट्र भी चुनावी साल वाला राज्य है, लिहाजा सियासी दलों में बीजेपी और पीएम मोदी पर हमला करने की मानो होड़ सी मची है। छत्रपति शिवाजी महाराज महज महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक महान प्रेरणादायक शख्सियत हैं। ऐसे में उनकी मूर्ति धराशाई होने के लिए जिम्मेदार लोगों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। जहां तक बात बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेने की है, तो चलिए चंद तथ्यों से आपको रूबरू कराते हैं। आपको बताते हैं कि बीजेपी ने शिवाजी महाराज और उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए ऐसा क्या किया है, जैसा करना तो दूर विपक्ष कभी सोचने की भी हिम्मत नहीं कर सका।

समुद्र के अंदर भव्य शिव स्मारक

शिवाजी का भव्य स्मारक मुंबई में अरब सागर के अंदर बनाया जा रहा है। निर्माण के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा (अभी गुजरात में सरदार पटेल का स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) होगी। शिवाजी महाराज की 210 मीटर ऊंची विशाल प्रतिमा आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र होगी। पीएम मोदी ने 24 दिसंबर 2016 को भव्य शिव स्मारक की नींव रखी थी। बीजेपी सरकार और देवेंद्र फडणवीस के सीएम रहते हुए इस प्रोजेक्ट का खाका खींचा गया था। गिरगांव चौपाटी के पास तट से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर समुद्र में इस विशालकाय प्रतिमा को स्थापित करने का काम चल रहा है। इसकी अनुमानित लागत चार हजार करोड़ रुपये के आसपास आंकी जा रही है।

शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ

हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होने पर महाराष्ट्र की महायुति बीजेपी सरकार ने बड़ा ऐलान किया था। इस मौके को भव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए 350 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया। 6 जून 1674 को महान मराठा योद्धा शिवाजी महाराज का रायगढ़ किले में राज्याभिषेक हुआ था। पीएम मोदी ने जून 2023 में रायगढ़ किले से शानदार आयोजन के दौरान राष्ट्र को संबोधित किया था। 2 जून 2023 से शिव राज्याभिषेक महोत्सव की शुरुआत के बाद एक सप्ताह तक शिवाजी महाराज को समर्पित कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिस शिवनेरी दुर्ग में शिवाजी का जन्म हुआ था, उसे संग्रहालय का रूप दिया जा रहा है। पुणे के अंबेगांव में छत्रपति शिवाजी महाराज थीम पार्क के लिए 50 करोड़ रुपये का बजट है। 2023 में पीएम मोदी ने मॉरिशस में भी शिवाजी महाराज की मूर्ति का उद्घाटन किया था। महाराष्ट्र में लगातार 15 साल तक शासन के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से क्या कोई ऐसी पहल देखने को मिली? 2019 में जब महाविकास अघाड़ी ने सरकार बनाई तो उद्धव ठाकरे या शरद पवार ने शिवाजी की विरासत को संजोने के लिए कोई बड़ा कदम उठाया?

भारतीय नौसेना का झंडा

2 सितंबर 2022 को पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना को नया ध्वज सौंपा था। पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी को नौसेना का जनक बताते हुए कहा कि अब तक नौसेना के ध्वज में गुलामी की निशानी (लाल क्रॉस) थी। इसे शिवाजी महाराज से प्रेरित और समर्पित नए ध्वज से बदला जा रहा है। ‘नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो, नमो, नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा। आज इसी ध्वज वंदना के साथ मैं यह ध्वज नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी को समर्पित करता हूं।‘ शिवाजी के सम्मान में ध्वज बदलने का ऐलान करते हुए पीएम मोदी का यह अंदाज राष्ट्र की नई चेतना को प्रतिबिंबत करता दिखा। नौसेना के नए ध्वज में नीले रंग के बैकग्राउंड पर सुनहरे रंग में अशोक का चिह्न बना हुआ है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर जैसा है। पीएम मोदी और बीजेपी को मूर्ति विवाद में घेरने वाले विपक्ष से सवाल है कि क्या गुलामी की निशानी को हटाने के बारे में उन्होंने कभी सोचा?

भावी पीढ़ी को शिवाजी रूबरू कराने की पहल

2018 में एनसीईआरटी सातवीं कक्षा की इतिहास की किताब में छत्रपति शिवाजी पर ज्यादा जानकारियां जोड़ी गईं। यानी भावी पीढ़ी को शिवाजी के प्रेरणादायक व्यक्तित्व से रूबरू कराने के लिए बीजेपी सरकार ने कसर नहीं छोड़ी। वहीं इससे पहले जब विपक्षी यूपीए सरकार अस्तित्व में थी, तो 2013 में छठी कक्षा की हिस्ट्री बुक से शिवाजी महाराज पर अध्याय को छोटा कर दिया गया। यही नहीं मराठा शासक के बारे में पाठ्यपुस्तक में बहुत कम और अपर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराई गई। यही नहीं Our Pasts-II नाम की इस किताब में छात्रों के लिए शिवाजी महाराज की एक तस्वीर तक नहीं मुहैया नहीं कराई गई।

ऐसे में सवाल उठता है कि जो राजनीतिक दल सिंधुदुर्ग में शिवाजी की मूर्ति गिरने की आड़ में बीजेपी पर निशाना साध रही हैं, उन्होंने भारत की भावी पीढ़ी और छात्रों को महान मराठा शासक से परिचित कराने के लिए क्या किया? भारतीय इतिहास के महापुरुष शिवाजी के जीवन और संघर्ष से प्रेरणा दिलवाने के लिए ऐसे दलों ने क्या कदम उठाए? पिछले साल अगस्त में कर्नाटक के बगलकोट जिले के एक ट्रैफिक प्वाइंट से शिवाजी महाराज की मूर्ति हटा दी गई थी। जो न जानते हों उनकी जानकारी के लिए बता दें कि कर्नाटक में 2022 से कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस ने इस घटना पर क्यों चुप्पी साधे रखी? क्या शिवाजी महाराज वोट बैंक की राजनीति के हिसाब से अलग-अलग राज्य में अलग महत्व रखते हैं?

-सुधाकर सिंह

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