दिल्ली में भाजपा का चेहरा होंगी स्मृति ईरानी!

दक्षिण दिल्ली की विधानसभा सीट पर है निगाहें, सदस्यता अभियान के बहाने दिल्ली की राजनीति में दोबारा से हुईं सक्रिय

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भाजपा का चेहरा बना सकती है। ईरानी को पार्टी ने सदस्यता अभियान के जरिये देश की राजधानी में सक्रिय होने का पुनः एक मौका दिया है। सूत्र बताते हैं कि ईरानी की नजर दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में विधायकी का चुनाव लडने पर है। वे दक्षिण दिल्ली की एक अहम सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। इसके मददेनजर उन्होंने दक्षिण दिल्ली की एक पाॉश कॉलोनी में अपना मकान भी खरीदा है और ग्रेटर कैलाश विधानसभा के कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने पीछले सप्ताह बैठक भी की है। जिसके बाद से दिल्ली भाजपा में इस बात के सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि स्मृति ईरानी को पार्टी राज्य के चेहरे के रूप में पेश कर सकती है।
दरअसल इन दिनों भाजपा का सदस्यता अभियान चल रहा है और पार्टी ने स्मृति ईरानी दिल्ली की 7 जिलों यानी की ढ़ाई लोकसभा क्षेत्रों का प्रभारी बनाया हुआ है। इस दायित्व के मिलने के बाद से ईरानी ने दिल्ली संगठन में कार्यकर्ताओं के बीच अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। जिसके वजह से इस सियासी बात को बल मिल रहा है कि वे दिल्ली भाजपा का चेहरा बन सकती हैं। पार्टी ने ऐसी परंपरा अन्य राज्यों में भी अपनाया है। बडे़ नेता को किसी न किसी बहाने राज्य संगठन की गतिविधियों में शामिल कर उन्हें आगे बढ़ाया गया है।

संपर्क प्रमुख की सीढ़ी पकड़ बिप्लब बने त्रिपुरा के सीएम
ईरानी के दिल्ली भाजपा का चेहरा बनने के सियासी चर्चाओं को इस बात से भी बल मिल रहा है कि त्रिपुरा में भगवा सरकार बनाने वाले बिप्लब कुमार देब भी संपर्क प्रमुख की सीढ़ी चढ़ मुख्यमंत्री बने थे। दिल्ली में रहे रहे देब को भाजपा ने 2016 में त्रिपुरा में संपर्क अभियान का प्रभारी बना कर भेजा था उसके बाद वे अध्यक्ष बने और पार्टी को जीत दिलाने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसे ध्यान में रखते हुए माना जा रहा है कि सदस्यता अभियान से दिल्ली में सक्रियता बढ़ाने वाली स्मृति ईरानी राज्य में भाजपा का चेहरा हो सकती हैं।

प्रदेश में नहीं है केजरीवाल के कद का नेता
दरअसल भाजपा को दिल्ली में स्मृति को लाने की मजबूरी यह भी है कि सूबे में पार्टी के पास अरविंद केजरीवाल से मुकाबला करने के लिए कोई कद्दावर नेता नहीं है। ऐसे में पार्टी यदि स्मृति ईरानी को दिल्ली में चेहरे के रूप में पेश करती है तो उसे बड़ा राजनीतिक लाभ मिलेगा। दिल्ली में भाजपा का मजबूत चेहरा बनने की सारी खूबियां ईरानी में विद्यमान हैं। एक तो अमेठी में राहुल गांधी को चुनावी पटखनी देकर वो अपने राजनीतिक कौशल मनवा चुकी हैं। तो दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री के रूप में 10 साल का गवर्नेंस का अनुभव उनके राजनीतिक व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है। इसके साथ महिला होने का उन्हें अलग से सियासी लाभ मिलने की संभावना है।

 

महिला चेहरा पेश करने की पहले भी कोशिश कर चुकी है भाजपा
दिल्ली को पहली महिला मुख्यमंत्री देने का तमगा भाजपा के पास ही है। पार्टी ने 1998 में सुषमा स्वराज को केंद्रीय मंत्रिमंडल से लाकर दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि 1999 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला। तब वे पुनः केंद्र की राजनीति में लौट गईं। अब पार्टी के पास अवसर है कि स्मृति ईरानी के रूप में दिल्ली में महिला चेहरा पेश कर लंबे समय के सत्ता के वनवास को खत्म करे। केजरीवाल से पहले शीला दीक्षित 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। इसलिए ईरानी का चेहरा केजरीवाल के सामने भाजपा का सबसे मजबूत सियासी औजार साबित हो सकता है।

ईरानी को है दिल्ली का सियासी अनुभव
वैसे स्मृति ईरानी को दिल्ली का पुराना सियासी अनुभव है। टीवी सीरीयल सास भी कभी बहू थी से सोहरत बटोरने वाली ईरानी दिल्ली में ही पली-बढ़ी हैं। भाजपा में 2003 में शामिल होने के बाद उन्होंने 2004 में अपना पहला चुनाव चांदनी चौक लोकसभा से लड़ा था। इस नाते दिल्ली से उनका पुराना रिश्ता है और वे यहां के पार्टी नेता व कार्यकर्ताओं से बखूबी संपर्क में हैं।

कामिनी शाह

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