नई दिल्ली। काशी और हरिद्वार में गंगा आरती की तरह अब जम्मू की जीवनरेखा जम्मूतवी नदी, या फिर श्रीनगर की झेलम नदी, यहां भी आरती होगी। झेलम के वैदिक नाम वितस्ता के नाम पर यहां वितस्ता आरती करने की तैयारी है। साथ ही जम्मू से लेकर कश्मीर तक आतंक के दौर में टूटे एक हजार मंदिरों को फिर से बनाकर यहां अखंड पूजापाठ शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मिशन कश्मीर का यह बड़ा प्लान है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में जम्मू-कश्मीर की पुरानी संस्कृति लौटाने का बड़ा वादा कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। अब इस कदम के मायने तलाशे जा रहे हैं।
कभी ऋषि कश्यप की धरती के रूप में हिंदू संस्कृति के पालनहार की पहचान रखने वाला कश्मीर, कालांतर में इस्लामीकरण का गढ़ बन गया। 90 के दशक में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने घाटी में कश्मीरी पंडितों का व्यापक नरसंहार कर पलायन पर मजबूर कर दिया। हिंदुओं के जान बचाकर भागने से सूने पड़े मंदिरों को आतंकवादियों ने तोड़ डाला। अब फिजाओं में भजन नहीं सिर्फ अजान गूंजने लगी। इसी के साथ एक जमाने में हिंदू संस्कृति का केंद्र माने जाने वाली खूबसूरत वादियों में तेजी से इस्लामीकरण हुआ। लेकिन, राज्य में आतंकवादियों ने जिन मंदिरों को तोड़ा था, अब उनकी सूरत फिर से संवारने की तैयारी है।
भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में एक हजार मंदिरों को चिह्नित कर पुराने स्वरूप में लाने का वादा किया है। यूं तो भाजपा ने संकल्प पत्र में सरकार बनने पर ये वादा पूरा करने की बात कही है, लेकिन इसे प्रो-एक्टिव अप्रोच कहेंगे कि वादे से पहले ही प्रोजेक्ट पर अमल तेज है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से घाटी के वीरान हो चुके और टूटे मंदिरों को संवारने का प्रोजेक्ट चल रहा है। जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में खासतौर से घाटी क्षेत्र का इस्लामीकरण हो रहा है, माना जा रहा है उसे रोकने के लिए भाजपा का यह बड़ा प्रोजेक्ट है। क्योंकि जिस तरह से सुरक्षा बढ़ने के बाद कश्मीर में लाखों पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है, उससे इन मंदिरों को आकर्षण का केंद्र बनाकर श्रद्धालुओं को लाने की तैयारी है। जब दुर्गम इलाके में बसे मंदिरों में घंटे-घड़ियाल गूंजेंगे, चहल पहल बढ़ेगी तो इससे हिंदू संस्कृति का पुराना दौर घाटी में फिर लौटेगा। वहीं अलगाववादियों और आतंकवादियों का मनोबल भी टूटेगा।
अब तक 15 मंदिरों की हो चुकी है कायापलट
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर के ऐतिहासिक मंदिरों की कायापलट की योजना बनी। अब तक 15 मंदिरों की कायापलट हो चुकी है। मिसाल के तौर पर देखें तो दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित 1600 वर्ष पुराने मार्तंड सूर्य मंदिर की सूरत संवारने का कार्य तेजी से चल रहा है। यहां सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड की मूर्ति स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया, जिन्होंने 8वीं शताब्दी के दौरान मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। श्रीनगर शहर के मध्य में स्थित 700 साल पुराने मंगलेश्वर भैरव मंदिर के जीर्णोद्धार का काम भी चल रहा है।
ऋषि कश्यप तीर्थ योजना से होगा कार्य
भाजपा ने चुनावी घोषणापत्र में इन टूटे मंदिरों के लिए ऋषि कश्यप तीर्थ पुनरुद्धार योजना चलाने का वादा किया है। पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने जम्मू कश्मीर की संस्कृति और सभ्यता की विरासत को पुनर्जीवित किया है। शारदा और मार्तण्ड सूर्य मंदिरों जैसे प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार से ले कर कश्मीरी पंडितों से जुड़े तीर्थ स्थलों की सुरक्षा पर कार्य कर इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत का सम्मान किया है। ऋषि कश्यप तीर्थ पुनरुद्धार अभियान के अंतर्गत हिन्दू मंदिरों और धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। धार्मिक और आध्यात्मिक संगठनों के सक्रिय भागीदारी से शंकराचार्य मंदिर, रघुनाथ मंदिर आदि के सुंदरीकरण पर जोर होगा। मंदिरों के साथ गुरुद्वारों को भी संरक्षित करने की तैयारी है। इसके लिए एक समर्पित कानूनी और प्रशासनिक ढांचा बनाया जाएगा।
धार्मिक टूरिज्म सर्किट का निर्माण
जिस तरह से 2023-24 में ही अमरनाथ यात्रा के लिए साढ़े पांच लाख और श्री माता वैष्णो देवी दर्शन के 93 लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं, उससे उत्साहित भाजपा ने कई पर्यटक परिपथ बनाकर आवाजाही आसान करने की पहल की है। बूढ़ा अमरनाथ, माता वैष्णो देवी, शारदा देवी पीठ और मचैल माता मंदिर से जुड़े पर्यटक परिपथ बनाने का पार्टी ने वादा किया है।