शिमला: कांग्रेस वैसे तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कट्टर आलोचक है। मौके-मौके पर योगी सरकार के कामकाज और आदेशों पर सवाल उठाती रहती है। रणदीप सुरजेवाला जैसे उनके प्रवक्ता योगी आदित्यनाथ की पहचान अजय सिंह बिष्ट बताकर ठाकुरवाद के आरोप लगाते हैं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा उल्टा है। कांग्रेस को योगी आदित्यनाथ का एक मॉडल पसंद आ रहा है। दरअसल यूपी में योगी सरकार ने खाने-पीने के ढाबे, रेस्तरां और होटलों पर नाम और पते की नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया है। इसका सख्ती से पालन करने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। खाने-पीने की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट मिलाने की कई घटनाएं सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया। योगी सरकार के इस फैसले का ऐलान होने के 24 घंटे के अंदर ही हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इसी तरह का कदम उठाया है। अब हिमाचल में भी हर भोजनालय और फास्टफूड रेहड़ी पर मालिक की आईडी लगाई जाएगी। आखिर इस फैसले के पीछे क्या वजह है? क्या इसे शिमला और मंडी में हाल ही में हुए हिंदू समुदाय के आंदोलनों से जोड़कर देखा जा सकता है?
शिमला-मंडी में अवैध मस्जिद के खिलाफ मुहिम
हिमाचल प्रदेश के शिमला और मंडी में मस्जिदों के अवैध निर्माण के खिलाफ उबाल देखा गया था। शिमला के संजौली में एक मस्जिद के अंदर अवैध निर्माण का मामला सुर्खियों में छाया रहा था। इसके विरोध में हिंदू संगठनों के साथ ही हजारों लोग सड़क पर उतर आए थे। शुरुआत में तो कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार इसे भाजपा की साजिश बताकर अपनी गर्दन बचाती रही लेकिन जब पानी सिर से ऊपर हो गया तो मंत्रियों को खुलकर बोलना पड़ा। मंत्री विक्रमादित्य सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने इस मामले में अपनी ही सरकार को नसीहत दी थी। राज्य के पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की टिप्पणी गौर करने वाली है।। उन्होंने विधानसभा में कहा, ‘संजौली बाजार में महिलाओं का चलना मुश्किल हो गया है। चोरियां और लव जिहाद के मामले हो रहे हैं, जो देश के लिए खतरनाक हैं। मस्जिद का अवैध निर्माण हुआ। पहले एक मंजिल बनाई फिर बिना परमिशन के बाकी मंजिलें बना दी गईं। प्रशासन ने मस्जिद के अवैध निर्माण का बिजली-पानी क्यों नहीं काटा?‘
शिमला की संजौली मस्जिद का विवाद
शिमला के संजौली में मस्जिद का विवाद 14 साल पहले शुरू हुआ था। 1994-95 में यहां 200 वर्गफीट की एक छोटी सी इमारत थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक काम के सिलसिले में यूपी से आए सलीम नाम के एक टेलर ने अपने को मौलवी बताते हुए इस इमारत को मस्जिद घोषित कर दिया। इसके बाद यहां बिना किसी नियम-कानून का पालन किए पांच मंजिला इमारत बन गई। 2010 में आपत्ति के बाद विवाद शिमला नगर निगम में पहुंचा। इसके बाद मामला दबा रहा लेकिन 2024 में एक बार फिर स्थानीय लोगों के आंदोलन ने पूरे देश का ध्यान खींचा। एक स्थानीय हिंदू दुकानदार पर हमले में मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति का नाम आया। घायल हुए शख्स के सिर में 14 टांके लगे थे। इसके बाद स्थानीय लोगों ने हत्या की कोशिश का केस दर्ज करने की मांग करते हुए संजौली बाजार में विरोध मार्च निकाला। विरोध प्रदर्शन का सिलसिला बढ़ने के साथ ही मस्जिद का अवैध निर्माण तोड़ने की मांग भी तेज हुई थी। हिमाचल के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा था, ‘क्षेत्र में अचानक तेज हुई हिंसा की घटनाओं में स्थानीय नहीं बाहरी तत्वों का हाथ है। इसी के बाद स्थानीय लोगों ने मस्जिद के अवैध निर्माण के विरोध में प्रतिक्रिया दी है।‘
हिमाचल की डेमोग्राफी बदलने की साजिश?
हाल ही में आई हिंदू जागरण मंच की एक रिपोर्ट देखें, तो डेमोग्राफी बदलने के आरोपों को आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में 127 नई मस्जिदें बनाई गईं और कुछ का काम अब भी रुका नहीं है। हिंदू जागरण मंच का दावा है कि हिमाचल प्रदेश में मस्जिदों की संख्या 393 से बढ़कर 520 तक पहुंच गई है। मंच की रिपोर्ट के मुताबिक अभी हिमाचल में मुस्लिम आबादी तकरीबन डेढ़ लाख है। इस लिहाज से औसतन 300 मुसलमानों के लिए अभी एक मस्जिद मौजूद है। हिंदू जागरण मंच की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा 130 मस्जिद सिरमौर जिले में है। चंबा में 87 और कांगड़ा में 40 मस्जिदें हैं। मंच का आरोप यह भी है कि बाहरी क्षेत्रों से मुस्लिम यहां आकर बस रहे हैं। पिछली दो जनगणनाओं के आंकड़े देखें तो जहां 2001 में राज्य में मुस्लिम आबादी 1.96 प्रतिशत थी, वहीं 2011 में इस आंकड़े में दशमलव 22 प्रतिशत का इजाफा (2.18 प्रतिशत) हुआ है।
अब विक्रमादित्य ने योगी का मॉडल अपनाया
हिंदू जागरण मंच की हालिया रिपोर्ट को आधार मानें तो राज्य के सिरमौर, शिमला, कांगड़ा, चंबा और बिलासपुर जैसे जिलों में मुस्लिम आबादी का ग्राफ बढ़ा है। हिमाचल के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह पहले भी कह चुके हैं कि फेक आईडी लेकर हिमाचल आ रहे लोग राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। अब विक्रमादित्य को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का मॉडल भाया है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश वाली खबर की कटिंग फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘हिमाचल में भी हर भोजनालय और फास्टफूड रेहड़ी पर ओनर की ID लगाई जाएगी, ताकि लोगों को किसी भी तरीके की परेशानी न हो।‘ विक्रमादित्य ने कहा है कि स्ट्रीट वेंडिंग कमिटी की ओर से आईडी जारी की जाएगी। रेहड़ी लगाने वाले को आईडी लगाने के साथ ही पूरी जानकारी देनी होगी। मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘हमने कल एक बैठक की थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वच्छ भोजन बेचा जाए, सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक निर्णय लिया गया है। लोगों ने बहुत सारी चिंताएं और आशंकाएं व्यक्त की थी और जिस तरह से उत्तर प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि उनको अपना नाम-आईडी लगानी होगी, तो हमने भी इसे यहां मजबूती से लागू करने का निर्णय लिया है।’
#WATCH शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "हमने कल एक बैठक की थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वच्छ भोजन बेचा जाए, सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक निर्णय लिया गया है…लोगों ने बहुत सारी चिंताएं और आशंकाएं व्यक्त की थी और जिस तरह से उत्तर प्रदेश में… pic.twitter.com/ZT1ZsgOJDJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 25, 2024
इसलिए हिमाचल की कांग्रेस सरकार को झुकना पड़ा
संजौली और मंडी की मस्जिद में अवैध निर्माण ने गंभीर सवाल भी खड़े किए। आरोप लगे कि मस्जिद में बाहरी राज्यों से मुस्लिम समुदाय के लोगों का आना बढ़ गया और यह कहीं न कहीं इलाके की डेमोग्राफी बदलने की साजिश है। एक और आरोप कानून-व्यवस्था के लिहाज से गंभीर है। बाहर से आने वाले ये लोग पहाड़ी समाज की महिलाओं के साथ छेड़खानी की कई घटनाओं में शामिल पाए गए। कई दूसरे अपराधों में भी इनका नाम सामने आया। यही वजह है कि स्थानीय पहाड़ी समाज के लोग इस मुद्दे पर खुलकर सड़कों पर उतर आए। कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप बीजेपी लंबे अरसे से लगा रही है। हिमाचल में हिंदू बहुलता और मुस्लिमों की आबादी नगण्य होने से कांग्रेस सरकार पर दबाव भी था। ऐसे में जनभावना को देखते हुए कांग्रेस की सुक्खू सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ा। वहीं बहुसंख्यक समाज के तेवर से मुस्लिम पक्ष को भी पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। मंडी में मस्जिद के जिस हिस्से पर हिंदू समुदाय ने आपत्ति जताई थी, उसे मुस्लिम समुदाय ने 12 सितंबर को खुद ही तोड़ दिया। शिमला के संजौली की मस्जिद के मामले में भी मुस्लिम पक्ष पीछे हटा है। प्रशासन से सहमति जताई गई है कि कोर्ट मस्जिद का जितना हिस्सा अवैध घोषित करेगा, उसे मुस्लिम समुदाय खुद ही तोड़ देगा। फिलहाल नगर निगम शिमला कमिश्नर की कोर्ट में मामला चल रहा है और 5 अक्टूबर को सुनवाई है।