इटली से सीखिए कैसे रोकते हैं घुसपैठ: अन्य नेता भी मेलोनी की नीति के मुरीद, कैसे बचेगी यूरोप की संस्कृति?

इटली ने आखिर कैसे घुसपैठ को 64% कम कर दिया?

जॉर्जिया मेलोनी, इटली, मुस्लिम

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (बाएँ), यूरोप के देश में जश्न मनाते अप्रवासी (दाएँ)

अवैध घुसपैठ की समस्या से केवल भारत ही नहीं, पूरा विश्व परेशान है। खासकर यूरोप में इसका असर दिखना शुरू हो गया है। कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं जहाँ लोग समुद्री बीच पर एन्जॉय कर रहे होते हैं, अचानक से नावों से अवैध घुसपैठिए पहुँचते हैं और सभ्य लोगों में भगदड़ का माहौल बन जाता है। यूरोप की अपनी एक संस्कृति रही है, आर्किटेक्चर रहा है, वहाँ की एक अलग सभ्यता रही है। अवैध घुसपैठ के कारण इन सबको खतरा है। ये केवल एक मजहब के लोगों द्वारा घुसपैठ का ही मामला नहीं है, बल्कि स्थानीय संस्कृति के दूषित होने का मामला है।

इटली एक ऐसा देश है, जो अवैध घुसपैठ को लेकर सख्त है। वो EU (यूरोपियन यूनियन) का भी सदस्य है। वहाँ की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और उनकी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी दक्षिणपंथी विचारधारा रखती है। ऐसे में वहाँ अवैध घुसपैठ को रोकने और स्थानीय संस्कृति को बचाने के लिए कुछ सख्त क़दम उठाए जा रहे हैं। असल में खबर आई है कि इटली के साथ-साथ जर्मनी, फ्रांस, हंगरी और नीदरलैंड ने भी घुसपैठियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का फैसला लिया है। घुसपैठियों को रोकने के लिए इन देशों ने एक साझा कार्यक्रम तैयार किया है।

अल्बानिया के साथ इटली का EXCLUCIVE करार

इसका कारण ये है कि ये अवैध घुसपैठिए यूरोप में अक्सर विभिन्न अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं। ये लोग सीरिया, अल्जीरिया, मोरक्को और मिस्र से लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक से वहाँ पहुँचते हैं। EU के 27 देशों में से 15 ने बॉर्डर लॉ लागू कर दिए हैं, जिससे एक-दूसरे देशों में आने-जाने वाले नियम कड़े होंगे। जर्मनी इस सूची में ताज़ा नाम है। यहाँ सबसे पहले बात करते हैं इटली की। वहाँ समुद्री रास्ते से पहुँच रहे अवैध प्रवासियों को खदेड़ने के लिए विशेष पेट्रोलिंग शुरू की गई है। इटली में साल 2023 में 1.25 लाख अवैध प्रवासी घुसे हैं, साथ ही 44,000 से भी अधिक को धर-दबोचने में भी कामयाबी मिली है।

इटली अब वहाँ पकड़े जा रहे अवैध प्रवासियों को पड़ोसी मुल्क अल्बानिया में भेज रहा है। इसके लिए अल्बानिया को 6250 करोड़ रुपए भी दिए जा रहे हैं। ट्यूनीशिया और लीबिया जैसे देशों में इटली ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पीएम जार्जिया मेलोनी का कहना है कि ये अवैध प्रवासी एक दिन भी अब बर्दाश्त नहीं किए जाएँगे। इसका असर दिख भी रहा है। 2023 के मुकाबले इस साल इन घुसपैठियों की संख्या में अच्छी कमी आई है। अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा ने कहा है कि इटली के साथ जिस डील पर उन्होंने हस्ताक्षर किया है वो एकबारगी ही है, यानी किसी और देश के साथ ऐसा कोई करार नहीं किया जाएगा।

ताज़ा आँकड़ों की बात करें तो केवल 21-22 सितंबर, 2024 को ही इटली में 1200 अवैध प्रवासी पहुँचे हैं। हालाँकि, इटली में भी कई ऐसे तत्व हैं जो चाहते हैं कि इन अवैध घुसपैठियों को वहाँ की नागरिकता प्रदान की जाए। कई NGO वहाँ काम कर रहे हैं जो इन अवैध प्रवासियों को ‘रेस्क्यू’ करते हैं। इसी तरह का एक संगठन है ‘ओपन आर्म्स’ नाम का, इटली के उप-प्रधानमंत्री माटेओ साल्विनी को जेल भेजना चाहता है। आरोप है कि अगस्त 2019 में जब वो देश के गृह मंत्री थे तब उन्होंने उक्त NGO के एक शिप को इटली में किनारे नहीं लगने दिया था। उन्हें जेल भेजने की माँग पर उन्होंने कहा है कि अगर इटली की सुरक्षा करना अपराध है तो वो इस पर कोई समझौता नहीं करेंगे। जॉर्जिया मेलोनी ने उन्हें खुला समर्थन दिया है, दोनों गठबंधन साथी भी हैं।

UK के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी इटली-अल्बानिया डील में रुचि दिखाई है, लेकिन अल्बानिया के पीएम के बयान के कारण उन्हें झटका लगा है। इटली अब नया कानून लेकर आया है, जिसमें अवैध घुसपैठ रोकने के लिए कई कड़े नियम हैं। जैसे, जिनके पास दस्तावेज नहीं होंगे उन्हें सिम कार्ड नहीं मिलेगा। इटली में भी विपक्ष इसका उसी तरह से विरोध कर रहा है, जैसे भारत में रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए आवाज़ उठाई जाती है। इटली के कुछ सेलेब्रिटी और संगठन वहाँ के नागरिकता कानून को आसान बनाने के लिए भी आंदोलन कर रहे हैं, हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। उनका कहना है कि नागरिकता पाने की अवधि 10 साल की जगह 5 साल की जाए।

यूरोप के कई नेता इटली क नीति से प्रभावित, एमनेस्टी विरोध में

हालाँकि, प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी नागरिकता कानून में बदलाव के खिलाफ हैं और वो कह चुकी हैं कि इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। इटली में भी भारत की तरह ही कई NGO घुसपैठियों के लिए पैरवी करते रहते हैं। इटली की माइग्रेशन स्ट्रेटेजी को स्पेन भी इसे अपनाना चाह रहा है। स्पेन की पीपल्स पार्टी के नेता अल्बर्टो नुनेज़ फ़ेइजू ने जॉर्जिया मेलोनी से मिल कर उनकी नीतियों को समझा। वो स्पेन में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं, उनका कहना है कि अवैध आप्रवासियों से निपटने की इटली की नीति अच्छी है, लेकिन स्पेन की नहीं। वो इस समस्या के खिलाफ पूरे यूरोप का दौरा कर एक साझा नीति के लिए सहमति बनाने में लगे हुए हैं।

हालाँकि, एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं को इटली की नीति से बहुत समस्याएँ हैं। एमनेस्टी वही संस्था है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोपों के कारण विवादों में था। सितंबर 2020 में इसने भारत से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया था। Frontex के आँकड़ों की मानें तो 2023 के मुकाबले 2024 के पहले 8 महीनों में अवैध घुसपैठ में 64% की कमी आई है। ये एक प्रभावी आँकड़ा है, जिसे इटली की नई माइग्रेशन नीति का कमाल बताया जा रहा है। स्पेन में तो हालात बहुत ही खराब हैं, वहाँ के कैनरी द्वीपसमूह पर तो पिछले साल के मुकाबले अवैध घुसपैठ में 123% की वृद्धि दर्ज की गई है। ग्रीस में भी ये आँकड़ा 39% है।

इसी तरह, यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भी इटली की योजना से खासे प्रभावित हैं। लंदन की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, वहाँ की डेमोग्राफी बदल चुकी है। फिलिस्तीन के समर्थन में मजहबी नारे लगाती हुई भीड़ को हमने देखा। सादिक खान वहाँ पिछले 8 वर्षों से मेयर हैं। पाकिस्तानियों की भी लंदन में अच्छी-खासी जनसंख्या है। इंग्लैंड के पीएम कीर स्टार्मर समझना चाहते हैं कि इटली में अवैध घुसपैठ के आँकड़े इतने कम कैसे हो गए। वहाँ भी विपक्षी लेबर पार्टी उनके इस बयान की निंदा कर रही है। लेबर पार्टी ने जॉर्जिया मेलोनी की सरकार को नियो-फासिस्ट सरकार बताया है।

ISTAT द्वारा दिए गए आँकड़ों के अनुसार, इटली में 50 लाख से भी अधिक घुसपैठिए रह रहे हैं। भारत के 14 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों की जनसंख्या इससे कम है। इनमें से 83% अवैध अप्रवासी सेन्ट्रल-नॉर्थ इटली में बसे हुए हैं। इटली को एक तरह से अवैध घुसपैठ के लिए यूरोप का गेटवे बना दिया गया था। जैसा कि हमने ऊपर बताया, ये मजहबी लड़ाइयों से अधिक सभ्यताओं के टकराव और स्थानीय संस्कृति के दूषित होने वाली समस्या है। इटली की संस्कृति रोमन काल, Renaissance (पुनर्जागरण काल) और कैथोलिक रीति-रिवाजों पर आधारित है। मौजूदा पश्चिमी जगह की नीतियों की जड़ें रोमन साम्राज्य में ही हैं।

अवैध घुसपैठ से कैसे दूषित होती हैं संस्कृति

कोलोसियम, रोमन फोरम और पैंथियन आज भी रोमन सभ्यता की यादें दिलाता है, ये इमारतें रोमन स्थापत्य कला की भव्यता दर्शाती हैं। इसी तरह, इटली की सभ्यता पुनर्जागरण काल से भी प्रभावित हैं। लिओनार्डो दा विंची, माइकल एंजेलो और राफेल उस युग के कलाकारों में से एक हैं। गैलीलियो और कोपरनिकस जैसे वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड को लेकर नए सिद्धांत प्रस्तुत किए। सुकरात के विचारों पर आधारित मानवतावाद का जन्म हुआ। दाँते, पेट्रार्क, और बोकाचियो जैसे लेखक हुए। वेटिकन सिटी दुनिया भर के कैथोलिक ईसाइयों का मुख्य प्रशासन स्थल है, ऐसे में इटली की सभ्यता कैथोलिक प्रभाव भी रखती है।

इस्लामी घुसपैठियों के आने से इटली को क्या समस्या है? इटली का लिबरल समाज हिजाब-बुर्का से लेकर अन्य तरह की इस्लामी पाबंदियों को कभी स्वीकार नहीं कर सकता। उत्तरी अफ्रीका से इटली की भौगोलिक नजदीकी के कारण यहाँ इस्लामी आतंकवाद के फैलने का भी खतरा है। हलाल भोजन से लेकर अन्य तमाम तरह की चीजें इटली स्वीकार नहीं कर पा रहा है। Pew Research के आँकड़े कहते हैं कि इटली की जनता का अधिकतर हिस्सा इन घुसपैठियों को लेकर नकारात्मक विचार रखता है, वहाँ फार-राइट के सत्ता में आने का यही कारण है।

एक समस्या ये भी होती है कि इन घुसपैठियों में से अधिकतर के पास कौशल की कमी होती है, न ही वो उतने पढ़े-लिखे होते हैं। इस कारण वहाँ गरीबों की बस्ती बन जाती है। ग़रीबी होगी, तो अपराध भी बढ़ते हैं। फिर वहाँ के सभ्य स्थानीय लोगों से उनका टकराव होता है। ये समस्या इटली ही नहीं, वो हर देश झेलेगा जो अवैध घुसपैठ पर नरमी बरतेगा। भारत में हिमाचल प्रदेश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को इन्हीं सभ्यतागत टकरावों के रूप में देखिए। वहाँ भी अवैध मस्जिदों के निर्माण को लेकर विवाद शुरू हुआ। कैथोलिक बहुल इटली में भी ये समस्या है। इटली ने समाधान ढूँढ लिया है, देखते हैं बाकी कब खोजते हैं।

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