कोलकाता: हाथ जोड़े हुए भावुक अंदाज। कोलकाता ने ममता बनर्जी का गुरुवार को एक अलग ही रूप देखा। ममता बनर्जी हाथ जोड़कर माफी मांग रही हैं। ममता बनर्जी न्याय मांग रही हैं। अब तक के शासनकाल में शायद पहली बार पश्चिम बंगाल की सीएम बेबस दिख रही हैं। सख्त तेवरों वाली ममता डॉक्टरों से हाथ जोड़कर काम पर लौटने की अपील कर रही हैं। ममता बनर्जी इस्तीफा देने के लिए खुद को तैयार बता रही हैं। लेकिन एक मिनट रुकिए। ममता के ये बदले-बदले से तेवर आपको कुछ अजीब नहीं लग रहे हैं। अगर इस्तीफा देना ही है तो मीडिया के सामने आकर बयान देने की क्या जरूरत है? तो क्या ममता बनर्जी इस्तीफे का नाटक कर रही हैं?
पहली बार इतने दबाव में ममता बनर्जी
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से हैवानियत के बाद देशभर में उबाल है। पश्चिम बंगाल की राजधानी में पिछले एक महीने से डॉक्टर हड़ताल पर हैं। ममता बनर्जी सरकार के इकबाल पर चौतरफा सवाल उठ रहे हैं। इन सबके बीच ममता बनर्जी मीडिया के सामने आती हैं और हाथ जोड़कर सीधे इस्तीफे की पेशकश कर देती हैं। ममता बनर्जी 2011 से सत्ता में हैं और उनकी राजनीति को करीब से जानने वाले इस नए तेवर से हैरान हैं। ममता बनर्जी हमेशा उग्र तेवरों के साथ सियासत करने के लिए जानी जाती हैं। ममता बनर्जी भले इस्तीफा दें या न दें लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब उन्हें देश और बंगाल की जनता को देना चाहिए।
पहला सवाल: कोलकाता के पुलिस कमिश्नर से इस्तीफा क्यों नहीं लिया?
ममता बनर्जी अपने इस्तीफे का नाटक तो कर रही हैं लेकिन सवाल इस बात का है कि इस मामले में जो सबसे पहले निशाने पर है, उसका इस्तीफा क्यों नहीं लिया गया? ममता बनर्जी ने सीधे-सीधे कोलकाता पुलिस को इस मामले में क्लीन चिट दे दी। कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल का ममता बनर्जी ने बचाव किया, जिसने गुस्से की आग को और भड़का दिया। ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि पुलिस कमिश्नर गोयल इस्तीफा देने के लिए खुद उनके पास आए थे लेकिन उनको इस्तीफा नहीं देने को कहा गया है। ममता दलील दे रही हैं कि दुर्गा पूजा के दौरान किसी अनुभवी अफसर का होना जरूरी है। क्या ममता सरकार को विनीय गोयल के अलावा पूरे पुलिस महकमे में कोई अनुभवी अधिकारी नहीं दिख रहा है, जो कोलकाता की कानून व्यवस्था को संभाल सके।
दूसरा सवाल: ममता ने कोलकाता पुलिस को क्लीन चिट क्यों दी?
ममता बनर्जी शुरुआत से ही कोलकाता पुलिस का बचाव कर रही हैं। सीएम ने लगातार दलील दी है कि कोलकाता पुलिस ने बेहतर काम किया और कुछ घंटों के अंदर ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या सिर्फ इतने भर से कोलकाता पुलिस की जवाबदेही खत्म हो जाती है? ममता बनर्जी को लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। कोई ऐक्शन लेना तो दूर, ममता बनर्जी पुलिस की पीठ थपथपा रही हैं। क्या इस दिल दहला देने वाले मामले में कोलकाता पुलिस की प्रशंसा करना ममता बनर्जी के लिए जरूरी था?
तीसरा सवाल: डॉक्टरों की मांगों पर साफ जवाब क्यों नहीं दे रही हैं ममता?
डॉक्टरों ने ममता सरकार से जो मांग की है, उस पर स्पष्ट जवाब देने की बजाए ममता बनर्जी विक्टिम कार्ड खेल रही हैं। डॉक्टर चाहते थे कि ममता बनर्जी 30 सदस्यीय डेलिगेशन के साथ बात करें और इस बैठक का लाइव टेलीकास्ट हो। इसको ममता बनर्जी क्यों नहीं मान रही हैं? वह मामला विचाराधीन होने का हवाला दे रही हैं, लेकिन खुले मन से बातचीत की टेबल पर आने को तैयार नहीं हैं। डॉक्टरों की मांग है कि दोषियों और सबूत मिटाने की कोशिश करने वालों को कड़ी सजा मिलने के अलावा कोलकाता पुलिस आयुक्त का इस्तीफा, राज्य के मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही भयमुक्त माहौल बनाने की मांग है। क्या यह मांग ऐसी है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता? एक ऐसा जघन्य कांड, जिससे पूरा देश हिल उठा हो उस मामले में तो ममता बनर्जी को ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए, जो देश के लिए एक नजीर बन जाए। पर ममता बनर्जी किसी मांग पर साफ जवाब क्यों नहीं दे रही हैं?
चौथा सवाल: क्या एक बार फिर विक्टिम कार्ड खेल रही हैं बंगाल सीएम?
पश्चिम बंगाल का 2021 का विधानसभा चुनाव सभी को याद होगा। जब ममता बनर्जी के पैर में चोट लगी थी और वह पूरे चुनाव प्रचार के दौरान प्लास्टर वाले पैर के साथ घूमती रहीं। जब ममता को चोट लगी थी तो उनके आसपास कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। किसी को आज तक नहीं पता चला कि वह हमला आखिर किसने किया या करवाया था? ममता ने सिर्फ इतना कहा था कि चार-पांच लोगों ने धक्का दिया और उनके ऊपर दरवाजा बंद करने की कोशिश की। अधीर रंजन चौधरी से लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने तब कहा था कि जनता की सहानुभूति जुटाने के लिए ममता बनर्जी ने विक्टिम कार्ड खेला। एक बीजेपी नेता ने तो मांग की थी कि सैटेलाइट से देखा जाए कि ममता को किसने धक्का मारा था? चुनाव के बाद ममता की सरकार आई और किसी को नहीं पता चल पाया कि उस हमले की कथित साजिश के पीछे कौन था? अब तीन साल बाद ममता बनर्जी क्या फिर विक्टिम कार्ड खेल रही हैं? ऐसा इसलिए, क्योंकि ममता अपने बयान से साफ तौर पर जनता की सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रही हैं।
ममता ने कहा कि मुझे कुर्सी से प्यार नहीं है, मैं आम लोगों के लिए न्याय चाहती हूं। यानी ममता दिखाना चाहती हैं कि डॉक्टर समुदाय ही अड़ा हुआ है, तृणमूल कांग्रेस की सरकार झुकने को तैयार है। अगर ममता को जनता की इतनी ही चिंता थी, तो उन्होंने गतिरोध दूर करने के लिए ताबड़तोड़ फैसले क्यों नहीं लिए? डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला दे रही हैं। सीधे तौर पर ममता खुद को असहाय दिखाकर जनता की सहानुभूति बटोरना चाहती हैं। जताना चाहती हैं कि डॉक्टर ही मानने को तैयार नहीं है। हकीकत यह है कि बंगाल में डॉक्टर से हैवानियत के बाद इस आंदोलन को आम लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। ममता इस आंदोलन से परेशान हैं और उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। ममता बनर्जी डॉक्टरों को भरोसा दिलाने की जगह यह क्यों कह रही हैं कि हम कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। क्या ममता इमोशनल कार्ड के जरिए डॉक्टरों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं?