जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घड़ी आ गई है। पहले चरण में 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर मतदान है। राज्य में 10 साल के बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 को भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया है। इस बीच हरियाणा में एक चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी से एक सवाल पूछा। अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को बताना चाहिए कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का काम अच्छा है या बुरा? राहुल गांधी अब तक 370 के मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। क्या 370 मधुमक्खी का छत्ता है, जिसको छेड़ने से राहुल गांधी बचना चाहते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो राहुल गांधी, क्यों कुछ बोल नहीं रहे हैं? यह सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि राहुल की कांग्रेस पार्टी का उस नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन है, जिसने अपने मेनिफेस्टो में 370 को बहाल करने का वादा किया है। हालांकि यह भी सच है कि बिना केंद्र में बहुमत के 370 की बहाली किसी सूरत में नहीं हो सकती। आखिर 370 पर क्या है राहुल गांधी की उलझन?
एंटी हिंदू स्टैंड का नैरेटिव न बनने पाए
2024 से कांग्रेस की रणनीति बदल गई है। वह अब सॉफ्ट हिंदुत्व की स्ट्रैटिजी पर काम कर रही है। वह अपने आप को एंटी हिंदू नहीं दिखाना चाहती है। राहुल गांधी जो संवेदनशील मुद्दे हैं यानी हिंदू सेंटीमेंट्स से जुड़े जो मुद्दे हैं, उन मसलों पर वो कमेंट करने से बच रहे हैं। यह एक तरीके से पॉलिटिकली करेक्ट लाइन है। आज से कुछ साल पहले तक राहुल गांधी इस तरह के नहीं थे। भारतीय संसद ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने को मंजूरी दी थी। इसके अगले ही दिन राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर को एकतरफा फैसले से टुकड़ों में बांटा गया है। यह संविधान का उल्लंघन है। देश लोगों से बनता है, जमीन के भूखंडों से नहीं। शक्ति के गलत इस्तेमाल से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस का उभार हुआ है, अब पार्टी वहीं से शुरू करना चाहती है। लोकसभा चुनाव को कांग्रेस ने रेफरेंस प्वाइंट बना दिया है। वहां से उसे आगे बढ़ना है। कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी बार-बार उसे ऐसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश करेगी, जिस पर हिंदू समुदाय में ध्रुवीकरण हो सकता है। इसलिए ऐसे मुद्दों पर कांग्रेस, बीजेपी का काउंटर नहीं करेगी। वह उनसे बचने की कोशिश करेगी। ऐसे में 370 पर कांग्रेस की तरफ से प्रतिक्रिया में कहीं एंटी हिंदू स्टैंड लेने का नैरेटिव न बनने पाए, इसी वजह से कांग्रेस या राहुल गांधी की तरफ से जवाब नहीं दिया जा रहा है।
राहुल बाबा झूठ बोलने की एक बड़ी मशीन हैं।
राहुल बाबा आप हरियाणा के चुनाव से पहले स्पष्ट करिए कि कश्मीर में धारा 370 हटाने का जो काम हुआ, वो अच्छा हुआ या बुरा?
वो संसद में कहते हैं कि अयोध्या में SP के सांसद जीत गए, वो कहते हैं कि हमने अयोध्या के मकसद को हरा दिया।
मैं कहना… pic.twitter.com/kGhqXzdHME
— BJP (@BJP4India) September 17, 2024
कांग्रेस 370 नहीं अग्निवीर के मुद्दे पर लड़ना चाहती है
हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जहां भारतीय सेना में भर्ती होने वाले जवानों की संख्या सबसे ज्यादा रहती है। हरियाणा उन चंद राज्यों में होगा, जहां के जवान जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में सर्वाधिक शहादत देते हैं। ऐसे में एक सवाल और उठता है कि क्या 370 पर राहुल गांधी की चुप्पी की वजह हरियाणा चुनाव भी है? कांग्रेस को 2024 के चुनाव में जो थोड़ी कामयाबी मिली, वह इस वजह से थी क्योंकि उसने एक नैरेटिव सेट किया था। कांग्रेस बार-बार कह रही थी कि बीजेपी अगर सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी। आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर देगी। कांग्रेस हरियाणा में अग्निवीर के मुद्दे पर लड़ना चाहती है। इसलिए वह हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों जगह भावनाओं से जुड़े मुद्दे पर सीधी लड़ाई से बचने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस को जम्मू जीतना होगा
कांग्रेस को यह अच्छे से पता है कि अगर बीजेपी को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में हराना है, तो जम्मू रीजन में बीजेपी को हराना पड़ेगा। बीजेपी का पूरा चुनावी दारोमदार इसी क्षेत्र पर है। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जम्मू क्षेत्र की 37 में से 25 सीटें मिली थीं। अगर जम्मू रीजन में बीजेपी की सीट कम होती है, तो कांग्रेस को अपनी सरकार बनाने का मौका मिल सकता है। 370 पर राहुल गांधी इसलिए कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि वह बीजेपी के ट्रैप में नहीं आना चाहते हैं। बीजेपी उनको फंसाना चाहती है, इसीलिए बार-बार 370 पर सवाल पूछ रही है। हरियाणा में कांग्रेस लगातार अग्निवीर का मुद्दा उठा रही है। एक तरह से राहुल गांधी और कांग्रेस की रणनीति यह है कि जो विवादास्पद मुद्दे हैं, उनको उठाने या किसी तरह की जुबानी जंग में फंसने से बचा जाए। कांग्रेस अपना चुनावी नैरेटिव सेट करना चाहती है। वह 370 की बहस में फंसने की बजाए बीजेपी से पूछना चाहती है कि अग्निवीर पर पार्टी का क्या स्टैंड है?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भी कांग्रेस को किया कंफ्यूज
11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दाखिल अर्जी पर फैसला सुनाया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 हटाने को वैध माना। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान की व्याख्या करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भारत की संसद और दूसरे शब्दों में मोदी सरकार के फैसले को संवैधानिक मंजूरी दी। कोर्ट ने फैसले में कहा था कि 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने की शक्ति थी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की बाकी राज्यों से हटकर कोई अलग संप्रभुता नहीं है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय होने के साथ ही उसकी संप्रभुता खत्म हो गई थी, यानी वह आंतरिक रूप से संप्रभु नहीं था। ऐसे में राहुल गांधी के लिए एक मुश्किल यह है कि अगर वह 370 की बहस में उलझे तो उन पर न्यायपालिका का अनादर करने का आरोप लग सकता है। बीजेपी उन्हें एक चक्रव्यूह में उलझा सकती है। 6 अगस्त 2019 को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने 370 हटाने के बाद एक बैठक की थी। इसमें सीडब्ल्यूसी का तर्क था कि 1947 में जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच विलय पत्र की शर्तों में से अनुच्छेद 370 संवैधानिक मान्यता का प्रतीक थी। हालांकि यह बात भी सही है कि पार्टी के भीतर 370 को लेकर दो तरह की राय थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस कंफ्यूज हो गई कि 370 पर क्या स्टैंड लिया जाए, इसलिए न तो वह समर्थन का साहस जुटा पा रही है और न ही खुलकर विरोध कर सकती है।