राहुल गांधी जब-जब विदेश जाते हैं, तब-तब देश को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। लेकिन इस बार राहुल गांधी ने जो किया है, उसने पूरे भारत का सिर नीचा कर दिया है। राहुल गांधी आरक्षण पर बोलें, चलिए सियासत में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए ठीक है। पर अगर आप विदेश में देश का मान-सम्मान और प्रतिष्ठा गिराने का काम करेंगे, तो यह कतई स्वीकार नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि राहुल गांधी ने बेसिर-पैर का बयान देकर अमेरिका में भारत की ‘पगड़ी’ उछाली है। ऐसा कहकर उन्होंने खालिस्तानी आतंकियों के विभाजनकारी एजेंडे को अपनी सहमति दी है। क्या राहुल गांधी ने अमेरिका में देश की पगड़ी उछालकर खालिस्तान का हाथ मजबूत किया है? मेरे विचार से उन्होंने देश का ही नहीं सिख समाज का भी अपमान किया है।
राहुल गांधी ने पगड़ी पर क्या कहा है?
अमेरिका के वर्जीनिया में राहुल गांधी ने बलिंदर सिंह नाम के एक शख्स से उसका नाम पूछने के बाद कहा, ‘पहले आप लोगों को यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में चल रही है? यह लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है। लड़ाई इस बारे में है कि आपका नाम क्या है? एक सिख के तौर पर क्या उन लोगों को पगड़ी पहनने की इजाजत दी जाएगी? एक सिख के तौर पर क्या भारत में कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी? क्या एक सिख गुरुद्वारा जा सकेगा? ऐसी लड़ाई सिर्फ सिखों की नहीं, बल्कि सभी धर्मों की है।‘
राहुल बाबा आपने नफरती झूठ की दुकान खोली
यानी राहुल गांधी कह रहे हैं कि देश में सिखों को पगड़ी पहनने की इजाजत नहीं है। ऐसा घृणा फैलाने वाला बयान देकर राहुल गांधी ने खालिस्तान की मांग करने वाले आतंकियों के नापाक मंसूबों को हवा दी है। भारत में सिख समाज की धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए उन्हें सार्वजनिक जगहों पर विशेषाधिकार मिले हुए हैं। देश में सिख समुदाय पगड़ी और कड़ा पहनने के साथ ही कृपाण रखकर कहीं भी जा सकता है। सरकारी कार्यालय के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज और फ्लाइट में भी कृपाण रखकर जाने की अनुमति भारत में है। फिर राहुल गांधी ने पगड़ी पर ऐसा सिरफिरा बयान क्यों दे डाला? राहुल बाबा आप कहते हैं कि मैं नफरत को मिटाने आया हूं और मैंने नफरत का बाजार नहीं फैलाया, बल्कि मोहब्बत की दुकान खोली है। हकीकत इसके उलट है। एक ओर तो आप समुदाय के बीच वैमनस्य फैलाने वाले नफरती बयान दे रहे हैं, जिनका आधार झूठ पर टिका है। देश के किस हिस्से में किसी सिख के पगड़ी पहनने पर रोक है, अगर आपके पास कोई सबूत हो तो कृपया सार्वजनिक करें।
खालिस्तानी आतंकियों के साथ आपका हाथ
राहुल बाबा आपने अमेरिकी की धरती से खालिस्तान का हाथ मजबूत किया है। यकीन नहीं है तो खालिस्तानी आतंकी और सिख फॉर जस्टिस के सह संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू का बयान पढ़ लीजिए। आतंकी गुरपतवंत पन्नू ने राहुल गांधी के बयान की तारीफ की है। पन्नू ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की ओर से राहुल के बयान पर एक खत जारी करते हुए कहा, ‘भारत में सिखों के अस्तित्व के लिए खतरे वाला राहुल गांधी का बयान न केवल साहसिक है, बल्कि 1947 के बाद से लगातार सिखों को भारत में जिस हालात का सामना करना पड़ रहा है, यह उस तथ्यात्मक इतिहास पर आधारित है। यह सिखों के अलग देश खालिस्तान की स्थापना के लिए पंजाब स्वतंत्रता जनमत संग्रह की जरूरत पर एसएफजे के रुख की पुष्टि करता है। जब राहुल गांधी कहते हैं कि भारत में लड़ाई इस बात की है कि एक सिख को पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत मिलेगी, तो यह एसएफजे के ग्लोबल खालिस्तान रेफरेंडम (जनमत संग्रह) अभियान को न्यायोचित ठहराता है।‘
देश में कहीं भी सिखों को पगड़ी पहनने की आजादी
यानी खालिस्तानी आतंकियों के सरगना ने भी राहुल गांधी को प्रमाण पत्र दे दिया है। राहुल गांधी जी मेरे आपसे कुछ सवाल हैं। आप नेता विपक्ष की जिम्मेदार कुर्सी पर हैं, यानी कहीं न कहीं देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था संसद के आप नुमाइंदे हैं, जहां संविधान की बात होती है। जहां नए कानून बनते हैं। फिर यह कैसी अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बात आपने अमेरिका में की है। राहुल बाबा पंजाब तो छोड़ दीजिए देश के किसी भी हिस्से में सिख समुदाय पगड़ी पहनने के लिए स्वतंत्र है। सिख समाज के लोग बाइक या स्कूटर चलाते समय भी पगड़ी पहने रहें, इसके लिए उन्हें देश के कानून में छूट मिली हुई है। सिख भाइयों पर हेल्मेट न लगाने के लिए मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत न तो चालान किया जा सकता है और न ही कोई जुर्माना हो सकता है। इससे ज्यादा धार्मिक आजादी क्या हो सकती है, क्योंकि यह छूट देश में किसी और धर्म के लोगों को नहीं मिली है।
‘राहुल की भाषा आतंकी पन्नू से मिलती है’
राहुल गांधी जो बात कह रहे हैं, उसी झूठ की दुकान को कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने भी खोल रखी है। राहुल गांधी जब कहते हैं कि सिखों को पगड़ी पहनने से रोका जा रहा है, तो यह उसी अलगाववादी एजेंडे पर मुहर है, जिसकी बात गुरपतवंत सिंह पन्नू भी करता रहा है। राहुल गांधी का एक तरह से वह खत जारी करके धन्यवाद ज्ञापित कर रहा है। राहुल गांधी ने उन ताकतों को हवा दी है, जिन्होंने किसान आंदोलन की आड़ लेकर लाल किले पर तिरंगा नहीं, बल्कि खालिस्तान का झंडा फहरा दिया। अपने बयान से वह उन संगठनों का समर्थन कर रहे हैं, जो आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले का महिमामंडन करते नहीं थकते। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि राहुल गांधी खतरनाक और झूठे विवादों को जन्म दे रहे हैं। राहुल की भाषा आतंकी पन्नू से मिलती है। क्या राहुल गांधी पन्नू से मिल रहे हैं?
अलगाववादी समूह के नेता बनने की ओर अग्रसर राहुल: योगी
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भारत विरोधी अलगाववादी समूह के नेता बनने की ओर अग्रसर हैं। इनका एकमात्र लक्ष्य भारत की एकता, अखण्डता और सामाजिक समरसता को छिन्न-भिन्न करके देश को गृह युद्ध की ओर धकेलना है। राष्ट्र विरोधी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन करने वाली और पिछड़ों के आरक्षण में सेंधमारी कर उसका बड़ा हिस्सा मुसलमानों को सौंपने वाली कांग्रेस के युवराज अब देश से आरक्षण को समाप्त करने का कुचक्र रच रहे हैं। किंतु, राहुल गांधी को समझ लेना चाहिए कि इस देश में जब तक भाजपा का एक भी कार्यकर्ता है, उनकी यह विभाजनकारी मंशा सफल नहीं होने पाएगी। हम भारत के लोग कांग्रेस सहित सभी राष्ट्र विरोधी ताकतों के विरुद्ध एकजुट हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में NDA सरकार शोषित, पीड़ित और वंचित के उत्थान के लिए कृतसंकल्पित है।‘
सिख समाज के बीच देश के पीएम पगड़ी पहनते हैं
और तो छोड़िए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी किसी गुरुद्वारे या सिख समुदाय के कार्यक्रम में जाते हैं, तो पगड़ी अवश्य पहनते हैं। उनके मंत्रिमंडल में भी हरदीप सिंह पुरी और रवनीत सिंह बिट्टू पगड़ीधारी सिख हैं। उत्तर प्रदेश में एक फीसदी भी सिख नहीं हैं लेकिन यहां पगड़ीधारी सिख बलदेव सिंह औलख मंत्री हैं। पगड़ीधारी सिख डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और पगड़ीधारी सिख सरदार ज्ञानी जैल सिंह देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति की कुर्सी संभाल चुके हैं। देश के आर्मी चीफ की कुर्सी पर जनरल जेजे सिंह और जनरल बिक्रम सिंह जैसे पगड़ीधारी सिख रह चुके हैं। देश की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत सिख हैं। एक पगड़ीधारी सिख दिलजीत दोसांझ पूरे देश के चहेते सिंगर हैं।
‘जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है’
31 अक्टूबर 1984 को देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई। अगले दिन से दिल्ली और देश के कुछ हिस्से सिख विरोधी दंगों की आग में जल उठे। तारीख 19 नवंबर 1984। जगह दिल्ली का बोट क्लब। देश के सबसे जिम्मेदार पद पर बैठे शख्स ने कहा, ‘जब इंदिराजी की हत्या हुई थी तो हमारे देश में कुछ दंगे-फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध और गुस्सा आया। कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।‘ मैं राहुल गांधी से जाते-जाते एक सवाल पूछना चाहता हूं, क्या वह शख्स इस नरसंहार को सही ठहरा रहा था? देश की राजधानी के अंदर हजारों सिखों के कत्लेआम पर यह बेदर्द और जख्मों पर नमक छिड़कने वाला बयान किसने दिया था? मैं बताता हूं राहुल जी। यह कहने वाले आपके पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। अब आप देश-समाज को बांटने वाला बयान देकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं?