ठाणे: तिरुपति प्रसादम में मिलावट के मामले ने देश में एक बहस छेड़ दी है। बहस इस बात की है कि हिंदू मंदिरों की देखरेख के लिए एक सनातन धर्म बोर्ड क्यों नहीं अस्तित्व में आना चाहिए? भारत जैसे देश में जहां हिंदू बहुसंख्यक आबादी में हैं, वहां ऐसा कोई भी बोर्ड दूर की कौड़ी बना हुआ है। उंगली पर गिने जाने वाले बड़े मंदिरों में जो ट्रस्ट हैं, वे भी सरकारी दखल से अछूते नहीं हैं। प्रसादम मामले ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ट्रस्ट में अपरोक्ष सरकारी नियंत्रण और सियासत को उजागर किया है। कैसे सत्ताधारी पार्टी से करीबी रखने वाले गैर हिंदू को टीटीडी जैसे प्रतिष्ठित ट्रस्ट बोर्ड का चीफ बना दिया जाता है। अब संत रामभद्राचार्य ने तिरुपति लड्डू प्रसादम विवाद में बड़ी बात कही है।
मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण न हो: रामभद्राचार्य
महाराष्ट्र के ठाणे में मीडिया ने तिरुपति मामले पर आध्यात्मिक गुरु रामभद्राचार्य से राय जाननी चाही। उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ‘जो स्थिति मंगल पांडेय की थी 1857 में, वही स्थिति हमारी है। अब हम किसी न किसी परिणाम तक पहुंचेंगे। इसीलिए हम कह रहे हैं कि मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। सरकार हमारा अधिग्रहण समाप्त करे।‘
#WATCH ठाणे, महाराष्ट्र: आध्यात्मिक गुरु रामभद्राचार्य ने तिरुपति लड्डू प्रसादम विवाद पर कहा, "1857 में जो स्थिति मंगल पांडेय की थी वह स्थिति हमारी है… इसलिए हम कह रहे हैं कि मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण नहीं होना चाहिए। सरकार हमारा अधिग्रहण समाप्त करें…" pic.twitter.com/lcCnaHtBHZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 24, 2024
मंगल पांडेय और 1857 का क्यों किया जिक्र?
अब बताते हैं कि रामभद्राचार्य ने 1857 का क्यों जिक्र किया? ब्रिटिश सेना ने 1857 में नई एनफील्ड रायफल का इस्तेमाल शुरू किया था। इसको लोड करने के लिए गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस का इस्तेमाल होता था। इन कारतूसों को उपयोग में लाने से पहले मुंह से काटना पड़ता था। 29 मार्च 1857 को 34 नेटिव इंफैंट्री बैरकपुर के सैनिक मंगल पांडेय ने कारतूसों का इस्तेमाल करने से मना करते हुए बगावत कर दी। मंगल पांडेय ने अंग्रेज अफसर पर गोली चलाते हुए सैनिकों से कहा, ‘फिरंगी यहां पर है। तुम लोग तैयार क्यों नहीं हो रहे हो? इन गोलियों को सिर्फ काटने से ही हम धर्मभ्रष्ट हो जाएंगे। धर्म की खातिर उठ खड़े हो।‘ इस घटना का जिक्र रुद्रांशु मुखर्जी की किताब ‘डेटलाइन 1857 रिवोल्ट अगेंस्ट द राज’ में मिलता है। मंगल पांडे ने गोली चलाते समय पतलून की जगह धोती पहन रखी थी। वह नंगे पैर थे और उनके पास एक लोडेड राइफल थी।
अविमुक्तेश्वरानंद ने भी लिया मंगल पांडेय का नाम
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तिरुपति प्रसादम मामले पर कहा, ‘यह हिंदू भावनाओं पर हमला है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर हमला है। इसे विवाद कहना उचित नहीं है। यह उससे कहीं ज्यादा है। 1857 के विद्रोह में मंगल पांडेय ने चर्बी वाले कारतूस को मुंह से खोलने से इनकार किया था। इसने देश में क्रांति की शुरुआत की थी। आज करोड़ों भारतीयों के मुंह में इसे डाल दिया गया। यह कोई छोटी बात नहीं है। हम हिंदू इस घटना को कभी भूल नहीं सकते हैं। इसकी जांच में देरी नहीं होनी चाहिए।‘
पवन कल्याण भी उठा चुके हैं मांग
आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम और अभिनेता पवन कल्याण ने भी इस विवाद के सामने आने के बाद सनातन धर्म रक्षा बोर्ड की मांग उठाई है। पवन कल्याण ने कहा है कि अब समय आ गया है कि हिंदू मंदिरों से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए पूरे देश में एक बोर्ड बनाया जाना चाहिए। पवन कल्याण इस घटना के बाद 11 दिन के प्रायश्चित दीक्षा अनुष्ठान पर हैं। उन्होंने विजयवाड़ा के कनकदुर्गा मंदिर में शुद्धिकरण में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने खुद भी मंदिर की साफ-सफाई की। पवन कल्याण एक और दो अक्टूबर को तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करेंगे। उन्होंने कहा है कि भगवान के समक्ष मेरे प्रायश्चित दीक्षा की पूर्णाहुति होगी।