एयरपोर्ट कर्मचारियों पर भड़के अविमुक्तेश्वरानंद: चोला संत का लेकिन लक्षण नेता वाले, पदवी भी है विवाद में

कभी उद्धव का समर्थन, कभी केदारनाथ पर झूठ

अविमुक्तेश्वरानंद, अगरतल्ला एयरपोर्ट

अविमुक्तेश्वरानंद ने अगरतल्ला एयरपोर्ट पर कर्मचारियों को सुनना शुरू कर दिया (फोटो साभार: India Today)

उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिष-पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अक्सर अपने उलूल-जलूल बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं। बता दें कि उन्हें शंकराचार्य की पदवी मिलना ही विवादों के घेरे में रहा है। गोविंदानंद सरस्वती महाराज आरोप लगा चुके हैं कि अविमुक्तेश्वरानंद कांग्रेस पार्टी के एजेंट हैं, शंकराचार्य होना तो दूर की बात है। अब अविमुक्तेश्वरानंद फिर से विवादों में आ गए हैं। त्रिपुरा के अगरतल्ला हवाई अड्डे पर उन्हें एयरपोर्ट कर्मचारियों को हड़काते हुए देखा जा सकता है। उन्हें अपनी चार्टर्ड फ्लाइट से मेघालय के शिलॉन्ग जाना था। अनुमति न मिलने के कारण वो आवेश में आ गए।

बता दें कि चार्टर्ड फ्लाइट के लैंड करने के लिए एयरपोर्ट की APD (एयर पैसेंजर्स ड्यूटी) विभाग से अनुमति लेनी होती है। शिलॉन्ग एयरपोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद को सुरक्षा कारणों से वहाँ आने की अनुमति नहीं दी। इस कारण वो अगरतल्ला एयरपोर्ट पर कर्मचारियों से बहस करने लगे। अगरतल्ला एयरपोर्ट प्रशासन को शिलॉन्ग के APD से पुष्टि नहीं मिली, जिस कारण अविमुक्तेश्वरानंद को वहाँ से उड़ने नहीं दिया गया। फिर भी वो बार-बार कहते रहे कि अगरतल्ला एयरपोर्ट वालों ने उन्हें रोका है और वो उनसे ही जवाब माँगेंगे। वो कहने लगे कि ऑपरेटर क्या करेगा, ऑपरेटर तो जहाँ कहा जाएगा वहाँ उन्हें लेकर जाएगा।

इसके बाद वो कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हुए कहने लगे कि भला उन्हें कैसे कोई रोक सकता है। अगरतल्ला एयरपोर्ट वाले कहते रहे कि शिलॉन्ग वाले ही इस पर कुछ विशेष बता पाएँगे, लेकिन अविमुक्तेश्वरानंद पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इस दौरान एक महिला कर्मचारी भी वहाँ खड़ी थी। गोविंदानंद सरस्वती तो अविमुक्तेश्वरानंद को ‘धोखेबाज’ और ‘अपराधी’ तक बता चुके हैं। काशी के सांग्वेद विद्यालय के प्राचार्य गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त अन्य विद्वानों के साथ मिल कर निकाला था, इसके बावजूद अविमुक्तेश्वरानंद लगातार समारोह पर निशाना साधते रहे। वो राजनीतिक बयान भी देते रहे हैं।

जैसे, उन्होंने मुंबई जाकर कह दिया था कि उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात हुआ है। जबकि 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा-शिवसेना ने गठबंधन में लड़ा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर सीटें मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने पाला बदल लिया। जो भी हो, शंकराचार्य के पद पर बैठे होने का दावा करने वाले व्यक्ति के लिए इस तरह के विशुद्ध राजनीतिक बयान देना संत समाज को भी खला। इसी तरह, उन्होंने केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना चोरी होने का आरोप लगा दिया। जबकि मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय बता चुके हैं कि केवल 23 किलो सोने का ही प्रयोग किया गया था, 1000 किलो कॉपर प्लेट का इस्तेमाल किया गया था।

अविमुक्तेश्वरानंद का जो ताज़ा वीडियो सामने आया है, वो कहीं से भी एक संत के लक्षणों को नहीं दर्शाता है। एक संत की छवि भारत में हमेशा शांत और सौम्य व्यक्ति के रूप में रही है, जिसे बात-बात में क्रोध न आए। जबकि अविमुक्तेश्वरानंद अक्सर अधीर नज़र आते हैं, उनकी बातों से दम्भ झलकता है। जबकि गीता में भी योगी उसे कहा गया है जो सुख-दुःख में समभाव से रहे। अविमुक्तेश्वरानंद या तो राजनीति में उतर आएँ, या फिर घोषणा कर दें कि वो आध्यात्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक गुरु हैं।

‘अखिल भारतीय संत समिति’ के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती भी कह चुके हैं कि अविमुक्तेश्वरानंद सनातन धर्म की मर्यादा खराब कर रहे हैं, नकारात्मकता फैला रहे हैं। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने उन्हें सोच-समझ कर बोलने की सलाह दी थी। संत महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने पीएम मोदी के खिलाफ उनके बयानों को निंदनीय बताया था। जिसे संत समाज ही नकार चुका है, उस व्यक्ति का संत के आवरण में हर जगह दम्भ दिखाते हुए घूमना-फिरना अच्छा नहीं लगता है। इससे विधर्मियों को भी हिन्दू धर्म पर निशाना साधने का मौका मिल जाता है।

 

 

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