नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने साथ ही निर्देश दिया है कि अब सभी राज्य बगैर इजाजत के बुलडोजर एक्शन नहीं ले पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए कुछ शर्तों के साथ यह रोक लगाई है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि रोड, फुटपाथ, जलाशय और रेलवे लाइन पर अतिक्रमण के मामलों में यह आदेश लागू नहीं होगा। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। यूपी में पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच बुलडोजर पर जुबानी जंग भी देखने को मिली थी।
अगली सुनवाई तक बुलडोजर एक्शन पर ब्रेक
दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा आदेश दिया है। अभी कोर्ट ने एक अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन को रोकने का अंतरिम आदेश दिया है। इस फैसले के बाद अब कोई भी राज्य बिना सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बुलडोजर एक्शन नहीं ले सकेगा। कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई तक बुलडोजर एक्शन नहीं लेने के निर्देश दिए हैं। वहीं सर्वोच्च अदालत ने कुछ शर्तों के साथ यह रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सड़क, फुटपाथ, जलाशयों और सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण के मामलों में बुलडोजर एक्शन की छूट होगी।
बुलडोजर एक्शन पर किसकी याचिका?
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। सर्वोच्च अदालत में बिना नोटिस के बदले की कार्रवाई का आरोप लगाते हुए दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। राजस्थान के राशिद खान और मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने यह अर्जी लगाई है। 60 साल के ऑटो ड्राइवर राशिद खान का दावा है कि सांप्रदायिक हिंसा के बाद 17 अगस्त 2024 को उदयपुर जिला प्रशासन ने उनका घर ढहा दिया था। दूसरी याचिका दाखिल करने वाले मध्य प्रदेशल के मोहम्मद हुसैन का आरोप है कि प्रशासन ने उनके घर और दुकान को अवैध तरीके से ध्वस्त कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि विध्वंस की इजाजत इसलिए नहीं दी जा सकती कि कोई अपराध का आरोपी है। सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी है, तोड़फोड़ कैसे की जा सकती है?
अखिलेश का योगी सरकार पर हमला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुशी जाहिर की है। एक्स पर पोस्ट में अखिलेश ने लिखा, ‘न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोज़र को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करनेवालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है।
– आज बुलडोज़र के पहिये खुल गये हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है।
– ये उनके लिए पहचान का संकट है, जिन्होंने बुलडोज़र को अपना प्रतीक बना लिया था।
– अब न बुलडोज़र चल पाएगा, न उसको चलवानेवाले।
– दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है।
– आज बुलडोज़री सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है।
अब क्या वो बुलडोज़र का भी नाम बदलकर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है।