गोवा में प्रमोद सावंत ही रहेंगे मुख्यमंत्री, BJP आलाकमान ने कलह पर लगाई लगाम: कुर्सी पर इस मंत्री की थी नज़र

विश्वजीत राणे को दो टूक - न करें बयानबाजी

प्रमोद सावंत, विश्वजीत राणे

गोवा के CM प्रमोद सावंत (बाएँ) और स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे (दाएँ) के बीच की खींचतान को भाजपा आलाकमान ने खत्म किया

गोवा की भाजपा सरकार के अंदरखाने काफी समय से चल रही खटपट को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दखल देकर रोकने की कोशिश की है। गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री डॉक्टर प्रमोद सावंत और मंत्री विश्वजीत राणे को दिल्ली तलब कर सोमवार की देर रात बैठक कर उन्हें मतभेद की जगह सामंजस्य बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए। मंत्री विश्वजीत राणे को पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बयानबाजी न करने की नसीहत दी गई। सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं ने आगे मिलकर कार्य करने का पार्टी नेतृत्व को भरोसा दिया।

इस मीटिंग में नेतृत्व ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी को गलतफहमी न रहे, सरकार सावंत के नेतृत्व में ही चलेगी। दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सावंत ने फ़ेसबुक की डीपी चेंज कर समर्थकों को सब कुछ सही हो जाने के ख़ास संदेश दिए

मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही थी खींचतान

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद विश्वजीत राणे की निगाह मुख्यमंत्री पद पर टिकी थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने 2019 में उनकी जगह संघ पृष्ठभूमि के युवा चेहरे प्रमोद सावंत को मौका दिया था। भाजपा ने दो कारणों से राणे को सीएम नहीं बनाया था, एक तो उन्हें कांग्रेस से आए ज्यादा समय नहीं हुआ था, दूसरे वो परिवारवाद की देन रहे, राणे के पिता नारायण राणे कई सालों तक कांग्रेस सरकार में गोवा के मुख्यमंत्री रहे।

इसके बाद विश्वजीत राणे को लगता था कि 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल जाएगा, लेकिन सावंत के नेतृत्व में पार्टी के बहुमत के करीब पहुंचने के कारण दूसरी बार वे मौका चूक गए। इस बीच प्रमोद सावंत ने कांग्रेस के 8 विधायकों को तोड़कर सरकार और पार्टी में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली। इस बीच विश्वजीत राणे की तरफ से कई ऐसे बयान जारी हुए, जिसे मुख्यमंत्री पर निशाना माना गया।

नौकरियों और जमीन के मुद्दे पर घमासान

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और मंत्री विश्वजीत राणे के बीच नौकरियों और जमीनों के मुद्दे पर असहमति रही। लैंड यूज बदलने को लेकर दोनों धड़ों के बीच तलवारें खिंची रहीं। इस बीच सोमवार को राज्य सरकार की कैबिनेट ने बैठक कर आगे से किसी भी जमीन का लैंड यूज चेंज न करने का बड़ा निर्णय लिया। विश्वजीत राणे ने बीते दिनों एक जनसभा में अपनी ही सरकार को वादे के मुताबिक 22 हजार नौकरियां देने में विफल बताते हुए कह दिया कि जनता को नया विकल्प तलाशते देर नहीं लगेगी।

इस बयान को पार्टी विरोधी मानते हुए प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनावड़े ने उनसे जवाब तलब किया था। सूत्रों के मुताबिक, राणे के इस पार्टी विरोधी बयान की शिकायत प्रदेश नेतृत्व की तरफ से शीर्ष नेतृत्व को हुई। जिसके बाद शीर्ष नेतृत्व को दखल देकर दोनों गुटों के बीच लड़ाई रोकना जरूरी लगा।

रात में 45 मिनट की मीटिंग में बनी बात

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर गृहमंत्री अमित शाह और संगठन महामंत्री बीएल संतोष की मौजूदगी में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और मंत्री विश्वजीत राणे की बैठक हुई। मुख्यमंत्री और मंत्री दोनों का पक्ष सुना गया। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने कहा कि मतभेद को आपस में ही सुलझाने की जगह बयानबाजी कर सार्वजनिक न करें। कोई भी व्यक्ति पार्टी से ऊपर नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री पद पर कोई कंफ्यूजन नहीं है। सावंत के नेतृत्व में ही सरकार चलेगी।

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