‘महाराष्ट्र के मुखिया’: अखबार बेचने वाला लड़का बन गया महाराष्ट्र का दूसरा CM, कहानी ‘दादासाहेब’ कन्नमवार की

'महाराष्ट्र के मुखिया': अखबार बेचने वाला लड़का बन गया महाराष्ट्र का दूसरा CM, कहानी 'दादासाहेब' कन्नमवार की

20 नवंबर 1962 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते कन्नमवार (फोटो: टाइम्स कॉन्टेंट)

महाराष्ट्र की गठन के बाद यशवंतराव चव्हाण राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे और चीन व भारत के 1962 के युद्ध के बाद जब रक्षा मंत्री वी.के. कृष्ण मेनन को पद से हटा दिया गया तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री बनाकर भेज दिया गया था। चव्हाण के जाने के बाद स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मारोतराव कन्नमवार को महाराष्ट्र का दूसरा मुख्यमंत्री बनाया गया था। मारोतराव कन्नमवार लोगों के बीच ‘दादासाहेब’ नाम से मशहूर थे।

10 जनवरी 1900 को जन्मे कन्नमवार का मूल गांव चंद्रपुर जिले में स्थित मरोदा था। घर की आर्थिक हालत ठीक ना होने के चलते उनका बचपन कठिनाइयों में बीता और परिवार की मदद करने के लिए उन्हें रेलवे स्टेशन पर काम करने से लेकर अखबार बांटने तक के काम करने पड़े। उन्होंने चंद्रपुर के जुबली हाई स्कूल से अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। हालांकि, वे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति इतने जुनूनी हो गए थे कि आंदोलन में भाग लेने के लिए अपनी औपचारिक शिक्षा तक उन्होंने छोड़ दी थी।

चंद्रपुर में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का एक भाषण होना था, कन्नमवार तब छात्र थे और छात्रों को उस कार्यक्रम में शामिल होने की मनाही थी। कन्नमवार फिर भी तिलक का भाषण सुनने चले गए और इस भाषण को सुनकर उनके मन में देशभक्ति की भावना घर कर गई थी। कन्नमवार को जंगल सत्याग्रह के दौरान अंग्रेजों ने पकड़ लिया था और जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा सन 1940 में शुरु किए गए ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह’ और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित ‘चले जाव’ जैसे कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। कन्नमवार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की विचारधारा का प्रचार करते हुए साप्ताहिक प्रकाशन ‘लोकसेवक’ की स्थापना की थी।

भारत की स्वतंत्रता के बाद नागपुर कुछ समय के लिए मध्य भारत (अब मध्य प्रदेश) राज्य की राजधानी था और 1956 में इसे नवगठित बॉम्बे राज्य में शामिल किया गया था। कन्नमवार, मध्य भारत का हिस्सा रहने के दौरान नागपुर कांग्रेस के सचिव रहे थे और आगे चलकर इसके अध्यक्ष भी बने। 1952 के चुनावों में कन्नमवार मध्य भारत की मुल सीट से विधानसभा के लिए चुने गए थे। 1956 के बाद जब नागपुर बॉम्बे स्टेट का हिस्सा बन गया तो वे 1957 में बॉम्बे राज्य के साओली विधानसभा क्षेत्र, 1960 से 1962 तक महाराष्ट्र के साओली विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए। 1962 के चुनावों में वे फिर साओली से महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए।

यशवंतर राव के केंद्र सरकार का हिस्सा बनने के बाद कन्नमवार ने 20 नवंबर 1962 को महाराष्ट्र के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ली। हालांकि, वे बहुत समय तक मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह सके और 24 नवंबर 1963 को मुख्यमंत्री रहते हुए ही उनका निधन हो गया। कन्नमवार की मृत्यु के बाद परशुराम कृष्णजी सावंत को महाराष्ट्र का अंतरिम मुख्यमंत्री बनाया गया था और वे 9 दिनों तक इस पद पर रहे थे।

 

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