ईरान ने हाल ही में इजरायल पर अपना अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला करते हुए 180 से अधिक मिसाइलें दागी थीं जिनमें बैलस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें शामिल थीं। इन हमलों को लेकर ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने दावा किया कि इन मिसाइलों में से 90 फीसदी मिसाइल अपने निशाने पर लगी हैं। वहीं, इजरायल ने इसे लेकर कहा कि ज्यादातर मिसाइलों को इजरायल पहुंचने से पहले ही हवा में नष्ट कर दिया गया था। इन मिसाइल हमलों में सिर्फ एक शख्स की मौत की खबर है जिससे इजरायल के दावों को मजबूती मिलती है।
इस हमले के बाद इजरायल की कई परतों वाली हवाई रक्षा प्रणाली एक बार फिर चर्चा में है। इस रक्षा प्रणाली में शामिल आयरन डोम का नाम अक्सर सुनने में आता है लेकिन डेविड स्लिंग और ऐरो भी इस प्रणाली के अहम हिस्से हैं। आपको बताते है कि इन सबका काम कैसे अलग है और ये कैसे इजरायल को हवाई हमलों से बचा रहे हैं।
कैसे काम करता है आयरन डोम?
आयरन डोम इजरायल की जानी-मानी सुरक्षा ढाल है जिसकी चर्चा अक्सर दुनियाभर में होती रहती है। इस शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम को इजरायली फर्म राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम ने अमेरिका के सहयोग से बनाया था और यह 2011 से काम कर रहा है। यह करीब 70 किलोमीटर (43 मील) के दायरे में आने वाले रॉकेट, ड्रोन और मोर्टार को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
इजरायल में जगह-जगह पर आयरन डोम बैटरी लगाई गई हैं। हर बैटरी में 3-4 लॉन्चर होते हैं जिसमें से प्रत्येक में 20 तामीर मिसाइल होती हैं। दुश्मनों द्वारा रॉकेट दागे जाने के बाद आयरन डोम का रडार सिस्टम उनकी पहचान कर उन्हें ट्रैक करता है। इसका कंट्रोल सिस्टम उन रॉकेट के प्रभाव क्षेत्र की पहचान कर यह सुनिश्चित करता है कि रॉकेट आबादी वाले क्षेत्र में गिर रहा है या खुले इलाके में। इसके बाद लॉन्चर से मिसाइल दागी जाती है और उन रॉकेट को नष्ट कर दिया जाता है जिनकी आबादी वाले इलाकों में गिरने की संभावना होती है जबकि खुले मैदान में गिर रहे रॉकेट को छोड़ दिया जाता है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर तामीर मिसाइल की कीमत $50,000 होती है।
कैसे काम करता है डेविड स्लिंग?
डेविड स्लिंग को हिब्रू भाषा में ‘मैजिक वैंड’ (जादू की छड़ी) कहा जाता है और यह मध्यम दूरी तक मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता रखता है। 300 किमी दूरी तक की मिसाइलों को रोकने में सक्षम डेविड स्लिंग को इजरायली फर्म राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और अमेरिका के रेथियॉन द्वारा बनाया गया था और यह 2017 से काम कर रहा है। डेविड्स स्लिंग प्रणाली की ‘स्टनर’ मिसाइलों को कम ऊंचाई पर कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के लिए बनाया गया है।
डेविड्स स्लिंग भी आयरन डोम की ही तरह उन मिसाइलों को निशाना बनाता है जो आबादी वाले इलाकों के लिए खतरा होती हैं। बीबीसी के मुताबिक, प्रत्येक डेविड स्लिंग मिसाइल की कीमत करीब $1 मिलियन होती है। इस प्रणाली का इस्तेमाल सितंबर 2024 में लेबनान से हिजबुल्लाह द्वारा दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने के लिए किया गया था। साथ ही, मई 2023 उग्रवादी समूह फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद द्वारा इजरायल पर 1100 से अधिक मिसाइलें दागे जाने के समय भी डेविड स्लिंग का इस्तेमाल किया गया था। इजरायल ने उस हमले को लेकर कहा था कि उसने 96% रॉकेटों को मार गिराया था जो खतरनाक (आबादी वाली इलाकों में गिर रहे) थे।
कैसे काम करता है ऐरो?
एरो सिस्टम एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों का समूह है जो लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है। अमेरिका के सहयोग से विकसित एरो 2 पृथ्वी से करीब 50 किमी ऊपर वायुमंडल से गुजरते समय कम दूरी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है। एरो 2 सिस्टम 500 किलोमीटर दूर से मिसाइलों का पता लगा सकता है और इसकी मिसाइलें ध्वनि की गति से नौ गुना तेज गति से उड़ती हैं और एक बार में 14 लक्ष्यों पर फायर कर सकती हैं। एरो 2 का इस्तेमाल कथित तौर पर 2017 में पहली बार सतह से हवा में मार करने वाली सीरिया की मिसाइल को मार गिराने के लिए किया गया था।
वहीं, एरो 3 में पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर मिसाइलों को रोकने की क्षमता है और इसकी रेंज 2,400 किलोमीटर है। इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा अमेरिकी कंपनी बोइंग की मदद से विकसित की गई ऐरो 3 प्रणाली को साल 2017 में तैनात किया गया था। इसका पहली बार इस्तेमाल 2023 में दक्षिणी इजरायल के ईलाट शहर पर यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल को रोकने के लिए किया गया था। रक्षा विशेषज्ञ मिसाइल हमलों को विफल करने में इजरायल की एरो 2 और एरो 3 हवाई रक्षा प्रणालियां बहुत कारगर हैं।
‘फूलप्रूफ नहीं होता कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम’
इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम मोटे तौर पर कारगर रहा है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि हवाई रक्षा प्रणालियों की भी अपनी सीमाएं हैं और वो हर बार मिसाइल हमलों को रोकने में 100% तक सफल नहीं होती हैं। रक्षा और सामरिक मामलों के विशेषज्ञ और भारतीय सेना के रिटायर मेजर जनरल एसबी अस्थाना का कहना है कि दुनिया में कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम फुलप्रूफ नहीं है।
अस्थाना के मुताबिक, इजरायल के पास मौजूद कई परतों वाले एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता भी एक सीमा तक ही है और अगर मिसाइलों व ड्रोन की संख्या तय सीमा से संख्या से अधिक होती है तो कुछ हद तक मिसाइलें अपने निशानों तक पहुंच जाती हैं।