आंध्र प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण दक्षिण भारत में हिंदुत्व की राजनीति का नया चेहरा बनकर उभर रहे हैं। पवन कल्याण कभी मंदिर की सीढ़ियों को साफ करते नज़र आते हैं और कभी खुद को आक्रामकता से कट्टर सनातनी हिंदू बताते हुए ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ की मांग करते हैं। पिछले दिनों तिरुपति मंदिर में चर्बी वाले लड्डू के विवाद को लेकर पवन कल्याण पूर्व की YSRCP सरकार द्वारा किए गए कथित पापों के लिए 11 दिनों की तपस्या कर रहे हैं।
इसी कड़ी में पवन कल्याण तिरुपति मंदिर पहुंचे और उन्होंने सनातन धर्म को बचाने के लिए ‘वाराही डिक्लेरेशन’ नाम से 7 वचनों का एक घोषणा-पत्र भी जारी किया है। पवन ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए भावुकता और आक्रामकता के मिश्रित लहजे में कहा कि वह कट्टर हिंदू हैं।
‘जान देकर भी हिंदू धर्म की रक्षा करूंगा’
पवन कल्याण ने मंदिर में प्रार्थना के बाद तिरुपति के ज्योतिराव फुले सर्कल पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “मैं इस्लाम, ईसाई, सिख धर्म समेत सभी धर्मों का सम्मान करूंगा लेकिन मैं कट्टर हिंदू हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर मेरे सनातन धर्म पर हमला किया जाता है या उसे गाली दी जाती है तो मैं अपनी जान देकर भी इसकी रक्षा करूंगा। अगर मुझे अपनी जान देनी और उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी खोनी पड़े तो मैं इसके लिए भी तैयार हूं।”
सनातन धर्म को बचाने के लिए का ‘वाराही डिक्लेरेशन’
पवन कल्याण और उनकी पार्टी का कहना है कि ‘वाराही डिक्लेरेशन’ सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन नहीं है बल्कि आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत और सनातन धर्म की रक्षा करने का मिशन है। इस डिक्लेरेशन में 7 वचन हैं जिनमें सनातन धर्म की रक्षा करने और इसे नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत कानून की अनिवार्य आवश्यकता बताई गई है।
‘वाराही डिक्लेरेशन’ में राष्ट्रीय व राज्य दोनों स्तरों पर ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ की स्थापना और इसके लिए वार्षिक धनराशि आवंटन की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि मंदिरों को न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में बल्कि एक व्यापक योजना के तहत शिक्षा, कला, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण और अन्य कल्याणकारी कार्यों को बढ़ावा देने वाले केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी पर भी बरसे पवन कल्याण
पवन कल्याण ने अपने भाषण के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कार्यक्रम को लेकर दिए बयान पर उनकी आलोचना की है। पवन कल्याण ने कहा, “विपक्षी नेता राहुल गांधी सनातनी हिंदुओं के वोटों के ज़रिए सत्ता में आना चाहते हैं लेकिन भगवान राम का सम्मान नहीं करते हैं। उन्होंने (राहुल गांधी) अयोध्या के राम मंदिर समारोह की तुलना नाच गाने से की है।”
उन्होंने राहुल गांधी के बयान को लेकर कहा, “आप मोदी जी से नफरत कर सकते हैं, आप हमसे नफरत कर सकते हैं, लेकिन आप भगवान श्री राम के बारे में गलत बातें करने की हिम्मत ना करें।”
हिंदुत्व की राह पर NDA के सहयोगी
लोकसभा चुनाव 2024 में NDA को पूर्ण बहुमत मिला लेकिन BJP अकेले दम पर पूर्ण बहुमत हासिल करने से चूक गई थी जिसके बाद विरोधी खेमे में अटकलें लगाई जा रही थीं कि खुद को सेक्लुयर बताने वाले TDP, JDU, LJP (R) और जनसेना जैसे दल बीजेपी की हिंदुत्व वाली राजनीति के साथ लंबे समय तक तालमेल नहीं बैठा पाएंगे और सरकार गिर जाएगी।
हालांकि, पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अभी तक ऐसा कोई संकेत भी नहीं मिला है बल्कि विरोधी के लिए बाजी उल्टी पड़ती नज़र आ रही है। NDA के सहयोगी दल के नेता हिंदुत्व के मुद्दे पर खुलकर बैटिंग कर रहे हैं और कई नेता तो BJP के रुख से भी कट्टर नजर आ रहे हैं। एक समय में पीएम मोदी के विरोध में खेमा बनाने वाले नेताओं की पहली पंक्ति में शामिल रहे चंद्रबाबू नायडू को रोजा इफ्तार और मस्जिदों की मरम्मत कराने जैसे कामों के लिए सेक्युलर राजनीति के सिरमौर के तौर पर देखा जाता था लेकिन तिरुपति मंदिर में लड्डू के विवाद के बाद नायडू ने जिस तरह का आक्रामक रूख अपनाया है वह कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए अचंभित करने जैसा है।
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्राण-प्रतिष्ठा के करीब 8 महीनों के बाद राम मंदिर की तारीफ करते हुए नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखा था। नीतीश कुमार सीता माता के जन्मस्थान सीतामढ़ी के पुनौरा धाम का विकास करवाने और बिहार में सीता सर्किट बनाने का बीड़ा भी उठाया है।