जनवरी 2013 में जयपुर में कांग्रेस पार्टी का चिंतन शिविर चल रहा था और इस शिविर के आखिरी दिन तत्कालीन गृह मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने ‘भगवा आतंकवाद’ का जिक्र किया था। शिंदे पर आरोप लगा कि उन्होंने ‘भगवा आतंकवाद’ के जरिए पूरे हिंदू धर्म को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की है। जिस देश में आतंकियों का धर्म सिर्फ आतंक माना जाता रहा था और किसी अन्य धर्म से आतंकवाद को जोड़ने से लोग खुद को बचा रहे थे वहां ऐसे बयान के बाद बवाल होना ही था। शिंदे के इस बयान के बाद शुरु हुआ बवाल कभी थमा ही नहीं गाहे, बगाहे इसका जिक्र होता रहा। कभी धर्म के खिलाफ तो कभी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए। अब सुशील कुमार शिंदे को शायद अपना उस बयान पर पछतावा हो रहा है और उन्होंने माना है कि आतंकवाद के साथ भगवा शब्द जोड़ा जाना गलत था।
सुशील कुमार शिंदे ने क्या कहा?
सुशील कुमार शिंदे ने शुभांकर मिश्रा के साथ अपनी हालिया बातचीत में आतंकवाद को भगवा से जोड़ने को गलत माना है। शुभांकर के सवाल ‘अब जब आप रिटायर हो गए हैं तो जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या आपको लगता है कि भगवा आतंकवाद शब्द सही था’ पर शिंदे ने कहा, “रिकॉर्ड में जो आया था उस वक्त, वो हमने बता दिया था। वो भी हमने अपनी पार्टी में बताया था, पब्लिक में नहीं बताया था कि आतंकवाद हुआ है और उसके बाद मैंने कहीं नहीं बोला है।” इस पर शुभांकर ने पूछा ‘शिवाजी भी भगवा रंग से जुड़े रहे थे तो भगवा आतंकवाद क्यों’ पर शिंदे ने कहा, “आतंकवाद के साथ मैंने भगवा शब्द लगाया, सही पूछिए तो क्यों भगवा के साथ आतंकवाद शब्द लगाया था, हमें नहीं पता है। भगवा के साथ आतंकवाद शब्द नहीं लगाया जाना चाहिए था।” शिंदे ने आगे कहा, “भगवा आतंकवाद शब्द नहीं होना चाहिए था। भगवा, लाल या सफेद कोई आतंकवाद नहीं होता है।”
Question: Retirement के बाद आपको लगता है कि ‘भगवा आंतकवाद’ कहना ठीक था ?
Sushil Shinde : सच कहूं तो भगवा के आगे क्यों आंतकवाद लगाया मुझे नहीं पता। नहीं लगाना चाहिए था।#SushilShinde pic.twitter.com/qrxF6Z1WLF
— Shubhankar Mishra (@shubhankrmishra) October 18, 2024
2013 में शिंदे ने क्या कहा था?
शिंदे ने 2013 में जयपुर में बीजेपी और RSS के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए भगवा आंतकवाद का जिक्र किया था। शिंदे ने कहा था, “हम इस देश में शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमारे पास ये रिपोर्ट आ गई है कि भारतीय जनता पार्टी हो या राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ हो उनके ट्रेनिंग कैंप में हिंदू आतंकवाद को बढ़ाने का काम हो रहा है। इस पर हमारी कड़ी नज़र है।” उन्होंने कहा था, “समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद या मालेगांव के ब्लास्ट की बात हो…वहां जाकर बम लगाना और ये बताना कि इसे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने किया है इसके लिए भी हमें बहुत सतर्क रहना होगा।”
‘भगवा आतंकवाद शब्द ध्यान से चुना था’
पत्रकार व लेखक रशीद किदवई द्वारा लिखित अपने संस्मरण ‘फाइव डिकेड्स इन पॉलिटिक्स’ में सुशील कुमार शिंदे ने भगवा आतंकवाद पर सफाई दी थी।
शिंदे ने संस्मरण में बताया है, “केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए कुछ गुप्त दस्तावेजों में मुझे ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द मिला था। अगर कोई मीडिया में दिए गए मेरे बयानों को देखेगा तो पता चलेगा कि मैंने बहुत ध्यान से ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का चयन किया था।” शिंदे ने बताया, “मुझे याद है कि एक मीडियाकर्मी ने मुझे पूछा था कि ‘क्या यह हिंदू आतंकवाद था या भगवा आतंकवाद था’। मैंने जवाब दिया था कि यह ‘भगवा आतंकवाद’ था।”
शिंदे ने मांगी थी माफी?
सुशील कुमार शिंदे के भगवा आतंकवाद पर दिए बयान पर बीजेपी और RSS ने कड़ा विरोध जताया था जिसके बाद शिंदे ने माफी मांग ली थी। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिंदे ने विरोध के बाद कहा था, “अगर मेरे बयान से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूं। मेरा इरादा आतंक को किसी धर्म से जोड़ने का नहीं था।” शिंदे ने कहा था, “मैं अपनी पार्टी की राय से सहमत हूं कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता है।”