हाल ही में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के इंटरव्यू को लेकर मीडिया संस्थान ‘द हिन्दू’ विवादों में रहा। हुआ यूँ कि अख़बार ने वामपंथी मुख्यमंत्री का इंटरव्यू छापा, जिसमें से कुछ अंश को सीएम ने नकार दिया। इसके बाद अख़बार ने कह दिया कि उक्त अंश CM की PR कंपनी ने दी थी। फिर पिनराई विजयन ने कहा कि उन्होंने कोई पीआर कंपनी हायर ही नहीं की है। इस विवाद का अभी ठीक से पटाक्षेप हुआ भी नहीं था कि The Hindu का एक पत्रकार महेश लांगा GST फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार हो गया। अब फिर से मीडिया संस्थान की किरकिरी हो रही है।
महेश लांगा को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अपनी रिहाई के लिए वो गुजरात उच्च न्यायालय पहुँचा है। आइए, पहले आपको सीधे-सीधे शब्दों में बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है। अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने महेश लांगा को इसी महीने गिरफ्तार किया। उसके ठिकाने से 20 लाख रुपए, सोने के आभूषण और जमीनों के कागज़ात भी जब्त किए। इस मामले की शिकायत केंद्रीय GST विभाग ने की थी, जिसके बाद गुजरात के अहमदाबाद, जूनागढ़, खेड़ा और भावनगर में कई ठिकानों पर छापेमारी की गई। ये पूरा मामला सिर्फ एक पत्रकार से नहीं जुड़ा है, बल्कि बहुत बड़ा है।
ताज़ा खबर ये है कि महेश लांगा से जुड़े ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की गई है। महेश लांगा समेत 7 लोगों की गिरफ्तारी के बाद 14 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है।
महेश लांगा की गिरफ़्तारी, क्या है माजरा
क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि 220 फर्जी कंपनियाँ फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए धोखाधड़ी में शामिल थी। जाली पहचान और जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल कर के टैक्स की चोरी की जा रही थी। संदिग्ध लेनदेन में इन फर्जी कागज़ात का इस्तेमाल किया जाता था। फर्जी बिलिंग, जाली दस्तावेज और गलतबयानी के जरिए सरकार को करोड़ों रुपयों का चूना लगाने की साजिश थी। महेश लांगा का परिवार भी इस साजिश में शामिल था, क्योंकि कुछ फर्जी फर्म उसके पिता और पत्नी के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।
इस मामले में आगे की जाँच के लिए पुलिस ने महेश लांगा को गिरफ्तार कर लिया। हिरासत में रख कर महेश लांगा से पूछताछ की जा रही है। महेश लांगा के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। महेश लांगा ने अपनी गिरफ़्तारी को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन 10 दिन बाद उसने अपनी याचिका वापस ले ली। अदालत द्वारा पूछे जाने के बावजूद वकील ने इसका कोई कारण नहीं बताया। जज ने केस पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन फटकारते हुए इतना ज़रूर कहा कि याचिका को इतना प्रचारित करने की क्या आवश्यकता थी? जस्टिस संदीप भट्ट ने याचिका को कई जगह प्रकाशित कर प्रचारित किए जाने पर आपत्ति जताई।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि चाहे वो कोई राजनेता हो, रिपोर्टर हो या सामान्य नागरिक हो, ऐसा करना अच्छी परंपरा नहीं है। बता दें कि महेश लांगा ने दावा किया था कि 220 कंपनियों में से सिर्फ एक कंपनी DA एंटरप्राइज को लेकर उसे गिरफ्तार किया गया है, जबकि इस कंपनी के मालिकों में शामिल मनोज उसके चचेरे भाई के भाई हैं। क्राइम ब्रांच ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि महेश लांगा खुद पर्दे के पीछे था और अपने भाई के जरिए वो धोखाधड़ी के इस काम में लिप्त था। बताइए, The Hindu का पत्रकार इतना सब कुछ कर रहा था और मीडिया संस्थान को कुछ भी खबर नहीं?
सोशल मीडिया पर भाजपा विरोधी एजेंडा फैला रहा महेश लांगा
हमने महेश लांगा के सोशल मीडिया हैंडल्स खँगाले तो ‘X’ पर उसने ऐसे-ऐसे पोस्ट्स को रिपोस्ट कर रखा था जो भारत सरकार पर निशाना साधते हों। जैसे, उसने GST की प्रक्रिया के खिलाफ एक पोस्ट को रिपोस्ट किया। वहीं उसने ऐसे पोस्ट्स को भी आगे बढ़ाया जिसमें Ola के CEO भविष अग्रवाल पर निशाना साधा गया था और कॉमेडियन कुणाल कामरा का समर्थन किया गया था। बता दें कि Ola की सर्विस को लेकर भविष और कुणाल आपस में भिड़ गए थे। वहीं अमित मालवीय के खिलाफ किए गए एक ट्वीट को भी उसने आगे बढ़ाया। इससे साफ़ होता है कि महेश लांगा भाजपा के खिलाफ सोशल मीडिया पर माहौल बनाने के लिए ये सब कर रहा था। वहीं मतगणना से पहले हरियाणा में भाजपा की हार को लेकर सीटों के जो आकलन साझा किए जा रहे थे, उन्हें भी वो रिपोस्ट कर रहा था। उसने कांग्रेस नेताओं राहुल गाँधी, पवन खेड़ा और दीपेंदर हुड्डा के पोस्ट्स को भी रिपोस्ट कर रखे हैं। NDTV में लंबे समय तक रहे प्रोपेगंडा पत्रकार रवीश कुमार के साथ भी उसकी तस्वीर सामने आई है।
पत्रकार अभिजीत अय्यर मित्रा ने भी इस मामले को लेकर सोशल मीडिया में कुछ खुलासे किए हैं। उनकी मानें तो महेश लांगा के हाथ कुछ ऐसे दस्तावेज लग गए थे जो उसने The Hindu को नहीं दिया और इन्हें बेचने के लिए मोलभाव करने लगा। बकौल मित्रा, एक विपक्षी दल के मीडिया सेल के साथ डील फाइनल की जा रही थी। उनका तो यहाँ तक कहना है कि उक्त संवेदनशील आंतरिक दस्तावेज को लेकर महेश लांगा उक्त पार्टी के साथ योजना भी बना रहा था कि उन्हें कैसे पेश किया जाना है, प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा जाएगा और क्या नहीं। उनका ये भी कहना है कि गुजरात के 2 बड़े अधिकारी भी इस साजिश में शामिल हैं। उन्होंने खुलासा किया कि पुलिस को ये भी पता चला है कि The Hindu में भी कई लोगों को इन संवेदनशील दस्तावेजों के बारे में पता था।
देश के खिलाफ साजिश में शामिल पत्रकार-अधिकारी?
ये मामला फिर देशहित से भी जुड़ जाता है। क्या देश के खिलाफ कोई साजिश हो रही थी? संवेदनशील और गोपनीय सरकारी दस्तावेजों का एक पत्रकार तक पहुँचना, एक बड़े मीडिया संस्थान के लोगों को इसकी जानकारी होना और इस दस्तावेज को लेकर मोलभाव किया जाना कई सवाल खड़े करता है। इसमें सरकारी अधिकारियों की भागीदारी इस साजिश को और बड़ी बनाती है। महेश लांगा द्वारा हाईकोर्ट में याचिका डालना और फिर वापस ले लेना, ये भी ठीक से समझ में नहीं आता। अब तो ‘Times Of India’ ने भी अपनी खबर में इस घटनाक्रम की पुष्टि कर दी है। खबर में बताया गया है कि कई वरिष्ठ IAS-IPS अधिकारियों के बीच के चैट्स ED की रडार पर हैं। महेश लांगा इन बड़े अधिकारियों से संपर्क में था और बातचीत कर रहा था। ED की जाँच से ये अधिकारी बेचैन हैं। ये वो अधिकारी हैं जिन्होंने कई संवेदनशील व गोपनीय जानकारियाँ पत्रकारों के नेटवर्क के जरिए विपक्षी नेताओं और दलों तक पहुँचाई।
अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर GS मलिक ने खुद महेश लांगा से पूछताछ की है। जिस DA एंटरप्राइज की यहाँ बात हो रही है उसके मालिकों में से एक वीनू पटेल को हटा कर उसकी जगह महेश लांगा की पत्नी को पार्टनर बनाया गया था। इस मामले में कई अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। अब देखना ही कि ये मामला कहाँ तक जाता है। The Hindu ने अपने पत्रकार की गिरफ्तार के बाद खबर प्रकाशित की थी कि पत्रकारों के संगठनों ने इस कार्रवाई पर चिंता ज़ाहिर की है। यानी, मीडिया संस्थान एक तरह से इस कार्रवाई को गलत बताते हुए इसके खिलाफ अभियान चला रहा था।
‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’, ‘दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स’, इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स और प्रेस एसोसिएशन – इन सबने मिल कर एक साझा बयान जारी करते हुए महेश लांगा को ‘निडर पत्रकार’ करार दिया था और कहा था कि कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम करते हुए गुजरात को लेकर उनकी रिपोर्टिंग की खूब प्रशंसा हुई है। बयान में ये भी कहा गया था कि जो कंपनी घेरे में है उसमें महेश लांगा न डायरेक्टर थे और न प्रमोटर, किसी भी लेनदेन में उसका कोई हस्ताक्षर नहीं मिला है। जब पुलिस कह चुकी है कि वो पर्दे के पीछे से अपने रिश्तेदारों के नाम पर सब कुछ हैंडल कर रहा था, फिर इस बयान का क्या तुक बनता है कि उसके नाम पर कुछ नहीं है?
केरल CM विजयन के इंटरव्यू पर भी घिरा था अख़बार
आखिर The Hindu इस तरह के विवादों में क्यों घिरता जा रहा है? ज़्यादा दिन नहीं हुए जा उसने अपनी पत्रकार शोभना K नायर पर पिनराइ विजयन के साथ इंटरव्यू में गड़बड़ी का ठीकरा फोड़ दिया था। शोभना ने ही केरल CM का इंटरव्यू लिया था। बताया गया कि कमरे में 2 और लोग मौजूद थे जो ‘द हिन्दू’ के हिसाब से तो PR कंपनी के थे लेकिन केरल सीएम के हिसाब से उन्हें लगा कि ये अख़बार के लोग हैं। असल में मुस्लिम बहुल मलप्पुरम को लेकर बोले गए एक हिस्सा को लेकर पूरा विवाद हुआ। इंटरव्यू में छपा था कि केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि मलप्पुरम से पिछले 5 वर्षों में 150 किलो सोना और 123 करोड़ रुपए की हवाला की रकम जब्त की गई है।
बाद में अख़बार में प्रकाशित इस बयान से मुख्यमंत्री कार्यालय पलट गया। मामला मुस्लिमों से जुड़ा था, ऐसे में CPI(M) को इससे पलटना ही था। संपादक को CMO से चिट्ठी गई और अख़बार को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। उधर निर्दलीय विधायक PV अनवर ने पिनराई विजयन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और विपक्षी UDF ने भी विरोध किया। The Hindu इंटरव्यू के उस अंश को पीआर द्वारा दिया गया हिस्सा बता कर खेद भी जाहिर करता रहा, और उस हिस्से को लेकर जो बयानबाजी हुई उसे भी छापता रहा। इस तरह अख़बार ने इस पूरे मुद्दे पर कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया। अब उसी अख़बार का पत्रकार GST फ्रॉड में गिरफ्तार हुआ है, ऊपर से उसका बचाव भी किया जा रहा है। UPSC की तैयारी के लिए जिस अख़बार को पढ़ने की सलाह दी जाती है, उसका इस तरह से गिर जाना मीडिया इंडस्ट्री के लिए शर्म की बात है।