कांग्रेसियों ने पत्रकार को पीटा तो चुप, महेश लांगा के समर्थन में एडिटर्स गिल्ड: ‘The Hindu’ की पूर्व अध्यक्ष ही अख़बार पर बरसीं

मालिनी पार्थसारथी ने समझाया कि महेश लांगा के खिलाफ मामला उनके द्वारा लिखी गई किसी खबर को लेकर नहीं दायर किया गया है, बल्कि ये अन्य मामलों को लेकर दर्ज किया गया है और इसमें आगे जाँच की आवश्यकता है।

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महेश लांगा का बचाव करने वाले The Hindu पर बरसीं मीडिया संस्थान की पूर्व अध्यक्ष मालिनी पार्थसारथी

‘द हिन्दू’ समाचारपत्र भले ही मीडिया के तमाम मापदंडों पर खड़े उतरने की बड़ी-बड़ी बातें करता हो, लेकिन उसका ही एक पत्रकार महेश लांगा GST फ्रॉड में धराया है। अब The Hindu मीडिया समूह की पूर्व अध्यक्ष ने ही इसे लेकर निशाना साधा है। बता दें कि 220 फर्जी कंपनियों के जरिए भारत सरकार को चूना लगाने की बड़ी साजिश रची गई थी। इनमें से एक कंपनी के मालिकों में महेश लांगा की पत्नी और पिता का नाम था। बाद में सामने आया कि महेश लांगा गुजरात के कई अधिकारियों के साथ मिल कर संवेदनशील व गोपनीय दस्तावेज विपक्षी नेताओं को लीक कर रहा था।

इतना ही नहीं, वो विपक्ष के इन नेताओं को ये भी बता रहा था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन दस्तावेजों और सूचनाओं को किस तरह से मीडिया के सामने लाना है। गुजरात के कुछ अधिकारी इसीलिए भी बेचैन हैं क्योंकि इस गिरोह में अब उनका नाम भी खुल सकता है। पत्रकारों के कई संगठनों ने महेश लांगा को ‘निडर पत्रकार’ बताते हुए उसकी गिरफ़्तारी पर निशाना साधा और ‘द हिन्दू’ ने भी अपने पत्रकार का समर्थन किया। अब खबर आ रही है कि गुजरात पुलिस को महेश लांगा और अधिकारियों से उसकी मिलीभगत को लेकर पुष्ट सबूत मिले हैं और जल्द ही एक और FIR दर्ज की जाएगी।

दागी पत्रकार के समर्थन में उतरा ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया

इन सबके बावजूद ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने उसके समर्थन में लंबा-चौड़ा बयान जारी किया है। संगठन का कहना है कि पत्रकार तो संवेदनशील दस्तावेजों तक अपनी पहुँच बनाता है और इसका विश्लेषण करता ही है, क्योंकि ये इसके काम का हिस्सा है। एडिटर्स गिल्ड देश में ऐसा वातावरण बनाने की माँग कर रहा है जहाँ पत्रकारों को ठीक से काम करने दिया जाए। गोपनीय सरकारी दस्तावेज चुरा कर विपक्षी नेताओं को बेचना कब से पत्रकारिता हो गया? एडिटर्स गिल्ड से लेकर प्रेस क्लब तक में बैठे वामपंथी हमेशा ये सुनिश्चित करने में लगे रहते हैं कि उनके गिरोह के आतंकियों तक पर कोई कार्रवाई न हो।

असल में ‘द हिन्दू ग्रुप पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड (THGPPL)’ की पूर्व चेयरपर्सन और मौजूदा डायरेक्टर मालिनी पार्थसारथी ने कहा कि गंभीर आरोपों के कारण किसी पत्रकार को गिरफ्तार किए जाने के बाद इस पर रोना मचाना और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताना गलत है। उन्होंने इसे सत्य की खोज के लिए की जाने वाली पत्रकारिता पर हमला करार दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कोई भी पत्रकार क़ानून से ऊपर नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई पत्रकार गलत कार्य करता है और इसका उसके संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है, तो उस पत्रकार को जवाबदेही से बचा कर मीडिया संगठन या पत्रकारों का समूह इस महान पेशे पर कोई उपकार नहीं कर रहा है।

मालिनी पार्थसारथी ने समझाया कि महेश लांगा के खिलाफ मामला उनके द्वारा लिखी गई किसी खबर को लेकर नहीं दायर किया गया है, बल्कि ये अन्य मामलों को लेकर दर्ज किया गया है और इसमें आगे जाँच की आवश्यकता है। उन्होंने इस पर अफ़सोस जताया कि एक पत्रकार द्वारा अपने व्यक्तिगत जीवन में किए गए कार्यों के लिए हो रही कार्रवाई को पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि बतौर पत्रकार ये उसके अधिकारों का उल्लंघन है। मालिनी पार्थसारथी, जो खुद ‘द हिन्दू’ में इतने बड़े पद पर हैं, उनकी चिंता जायज है। उनकी चिंता ये है कि पत्रकारों के संगठनों और मीडिया समूहों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता का इस्तेमाल कोई ग़ैर-कानूनी कार्यों को लेकर कार्रवाई से बचने के लिए न करे। उनका कहना है कि मीडिया समूह और संपादकों को इस तरह की जाँच का स्वागत करना चाहिए, अगर आरोपित बेदाग़ निकलेगा तो इससे संस्थान की ही विश्वसनीयता बढ़ेगी। उन्होंने ‘द हिन्दू’ को उन पाठकों की चिंता करने के लिए कहा, जो ईमानदारी के उच्चतम मानकों के हक़दार हैं।

The Hindu की ही पूर्व चेयरपर्सन ने साधा निशाना

मैं सीधे शब्दों में समझाता हूँ कि मालिनी पार्थसारथी क्या कहना चाह रही हैं। वो कहना चाह रही हैं कि अगर कोई पत्रकार चोरी करने लगे, डाका डालने लगे, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने लगे या फिर सड़क पर नंगा दौड़ने लगे – तो उसकी हरकतों के लिए उसका ये कह कर बचाव नहीं किया जाना चाहिए कि अरे वो तो पत्रकार है, उसे कुछ मत कहो वरना प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में हमारा देश बहुत पीछे चला जाएगा। जब कोई डॉक्टर अपराध करने पर गिरफ्तार हो सकता है, इंजीनियर हो सकता है, वकील हो सकता है, नेता हो सकता है – फिर पत्रकार कोई भी अपराध करे तो उसे क्यों छोड़ दिया जाए?

इस दौरान जहाँ कई लोग तार्किक बात बोलने और अपने ही संस्थान को आईना दिखाने को लेकर मालिनी पार्थसारथी की तारीफ़ कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ जैसी संस्थाओं को आड़े हाथों ले रहे हैं। ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ महेश लांगा के खिलाफ FIR होती है तो तुरंत इसकी निंदा करता है, लेकिन जब अमेरिका में राहुल गाँधी के लोगों द्वारा ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार रोहित शर्मा की पिटाई की जाती है तब ये संगठन चुप रहता है। पश्चिम बंगाल में पत्रकारों पर हमले होते हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाता है – तब ये समूह चुप रहता है।

अपने गिरोह के अपराधियों के साथ भी खड़े रहते हैं वामपंथी

यानी, वामपंथी गुट का कोई भ्रष्टाचारी या बलात्कारी भी हो तो पत्रकारिता की आड़ में उनका समर्थन करने में ये संगठन चंद सेकेण्ड भी नहीं लगाता है, लेकिन इस गुट से बाहर के किसी पत्रकार की हत्या भी हो जाए तब भी ये चुप रहेगा। असल में ये अपने राजनीतिक आकाओं को ख़ुश करने के लिए ये सब करते हैं। इनके राजनीतिक आका भाजपा विरोधी दलों में बैठे हुए हैं, इसीलिए ये उसी हिसाब से फ़ैसला लेते हैं कि किसका समर्थन करना है और किसका नहीं। मालिनी पार्थसारथी को धन्यवाद दिया जाना चाहिए कि ‘द हिन्दू’ के साथ जुड़े रहने के बावजूद उन्होंने एक ऐसा स्टैंड लिया जो इस गिरोह को शूट नहीं करता।

ये वही The Hindu है जो केरल के CM पिनराई विजयन के इंटरव्यू को लेकर फजीहत झेल चुका है। इसने CM के हवाले से छाप दिया कि मलप्पुरम में तस्करी और हवाला के करोड़ों रुपए व सोना जब्त किया गया है। मुस्लिम बहुल इलाक़ा था, तो मुख्यमंत्री ने बयान को नकार दिया। बाद में अख़बार ने कहा कि इंटरव्यू का ये अंश सीएम की पीआर कंपनी ने दिया था, उधर सीएम नकारते रहे कि उन्होंने कोई PR हायर ही नहीं की है। अब यही अख़बार अपने उस पत्रकार का बचाव कर रहा है, जिस पर एक तरह से देश से गद्दारी के आरोप हैं।

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