विकास यादव: विपक्ष को भारतीय के साथ खड़ा रहना चाहिए… लेकिन राष्ट्रहित पर राजनीतिक हित हावी

विकास यादव अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई की वॉन्टेड लिस्ट में हैं।

विकास यादव के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट में अभियोगपत्र दाखिल हुआ है

अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने एक भारतीय नागरिक के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है। उस पर हत्या का प्लान बनाने का आरोप लगाया है। एक ऐसे अपराध का इल्जाम, जो हुआ ही नहीं। एक ऐसे देशद्रोही को निपटाने की साजिश रचने का आरोप, जो भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है। तथ्यों पर आते हैं। जिस गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने का प्लॉट तैयार करने का विकास यादव पर आरोप लगा है, वह पन्नू पूरी तरह सुरक्षित है। उसे कोई खरोंच तक नहीं आई है। खैर ये बात अपनी जगह और एफबीआई का अभियोगपत्र अपनी जगह, लेकिन देश की विपक्षी पार्टियां क्या कर रही हैं, इस पर आते हैं।

विपक्ष भूल गया कि देश पहले होता है

हमारे देश का विपक्ष शायद यह भूल गया है कि देश पहले होता है, उसके बाद कुछ आता है। हर वक्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को घेरने का फितूर कुछ इस कदर उसके दिमाग पर चढ़ा रहता है कि इससे आगे वह सोच ही नहीं पाता है। एक विदेशी जांच एजेंसी के अभियोगपत्र के आधार पर वह अपने ही देश के नागरिक को घेर रहा है। वह दुनिया के दूसरे देशों में काउंटर इंटेलिजेंस के काम में जुटे राष्ट्रभक्तों के जज्बे को चोट पहुंचाने से नहीं चूक रहा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि विपक्षी नेताओं के सुर विकास यादव के खिलाफ उठ रहे हैं। बात देश की खुफिया एजेंसियों को निगरानी तक की होने लगी है। कांग्रेस ने तो इसे मोदी के शासन में भारत के लिए काला अध्याय बता डाला। वहीं, जब किरकिरी हुई तो पोस्ट ही डिलीट कर दिया। क्या कांग्रेस को बतौर भारतीय नागरिक विकास यादव का साथ नहीं देना चाहिए? पहले देश के विपक्ष का इस मसले पर बयान पढ़िए:

खुफिया ढांचे पर संसदीय निगरानी का समय: मनीष तिवारी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के बयान से शुरुआत करते हैं। मनीष तिवारी जो देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं। विकास यादव के मामले में मनीष तिवारी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘भारत के खुफिया ढांचे पर संसदीय निगरानी का अब समय आ गया है। पूरी दुनिया और हर लोकतंत्र में प्रत्येक खुफिया एजेंसी को एक उचित कानूनी ढांचा प्रदान किया गया है और यह मजबूत संसदीय निगरानी के अधीन है। मनीष तिवारी ने आगे कहा, ‘मैं इस विशेष पहल की बात इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि लोकतंत्र में यह अनिवार्य है कि खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ कानून प्रवर्तन संरचनाओं को संसदीय निगरानी के अधीन होना चाहिए। अगर 2011 या 2021 में इस विचार को स्वीकार कर लिया गया होता, तो जैसी अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का सामना हम इस समय कर रहे हैं, उससे निश्चित रूप से बचा जा सकता था।’

भारत के लिए काला अध्याय: मुंबई कांग्रेस

मोदी के शासन में भारत के लिए एक और काला अध्याय। रॉ का पूर्व अधिकारी विकास यादव अब एफबीआई द्वारा भाड़े पर हत्या और अमेरिकी धरती पर मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश के लिए वॉन्टेड है। यह मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय दमन का चौंकाने वाला चेहरा है, जहां भारतीय खुफिया अधिकारी भी विदेशों में हत्याओं की साजिश रचने में शामिल हैं। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने मुंबई कांग्रेस के एक्स हैंडल का स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए लिखा, ‘गद्दारों ने देश के खिलाफ किया ट्वीट डिलीट कर दिया।‘

उन्हें लगता है दुनिया गुजरात है: महुआ

अब जरा तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा का पोस्ट देखिए। टीएमसी सांसद ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘अब रॉ के अधिकारी को अमेरिका में एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल मर्डर का दोषी पाया गया है। हमारे देश के साथ क्या गलत है- शाह एंड कंपनी को लगता है कि दुनिया गुजरात है और सोहराबुद्दीन शैली की रणनीति आगे बढ़ने का रास्ता है। घटिया।‘ महुआ मोइत्रा उन नेताओं में से हैं, जो मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई छोटा मौका नहीं छोड़ती हैं। ऐसे में वह किसी भारतीय नागरिक के नजरिए से इस मुद्दे पर भला क्यों सोचेंगी।

भारत की एजेंसियां कभी ऐसे निशाना नहीं बनीं: सागरिका

टीएमसी की ही राज्यसभा सांसद सागरिका घोष कहती हैं, ‘यह बेहद चौंकाने वाला है कि अमेरिकी न्याय विभाग ने रॉ के एक पूर्व अधिकारी पर हत्या का आरोप लगाया है। भारत की एजेंसियों को इससे पहले कभी इस तरह निशाना नहीं बनाया गया। हम एक सर्वदलीय बैठक की मांग करते हैं, जिससे इन घटनाओं पर विपक्ष को विश्वास में लिया जाए। हम इस दुर्भाग्यपूर्ण मामले पर मोदी सरकार से संसद में पूर्ण बयान की मांग करते हैं।‘

विपक्ष अमेरिकी धुन पर नाच रहा है

सोशल मीडिया पर ही विपक्षी दलों को करारा जवाब मिल गया है। राहुल रौशन नाम के हैंडल से विपक्षी दलों के रवैए पर सवाल उठाते हुए कहा गया, ‘यह वास्तव में अजीब है कि कांग्रेस, टीएमसी और दूसरे गधे  विकास यादव की खबर पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक चतुर राजनीति के रूप में विकास यादव का समर्थन किया जाना चाहिए और यह मांग करनी चाहिए थी कि वह भले ही दोषी हों सरकार को एक भारतीय का साथ देना चाहिए। इससे मोदी सरकार पर दोहरा दबाव पड़ता, लेकिन वे (विपक्षी दल) पूरी तरह से अमेरिकी धुन पर नाच रहे हैं।‘

विपक्षी दलों को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए

कर्नाटक बीजेपी के प्रवक्ता प्रकाश शेषाराघवाचार ने कहा है, ‘विकास यादव की घटना दोहराती है कि क्यों भारतीय विपक्षी दलों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय हित उनके राजनीतिक हितों पर हावी हो जाते हैं।‘

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