जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है वहीं बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन की बदौलत 29 सीटें जीती हैं। जम्मू क्षेत्र की मुस्लिम बहुल सीट किश्तवाड़ इस दौरान सबसे ज़्यादा चर्चा में रहने वाली सीटों में शामिल रही। लंबे समय तक आतंक प्रभावित रही इस सीट पर 29 साल की बीजेपी उम्मीदवार शगुन परिहार ने जीत दर्ज की है।
शगुन ने नैशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदावर और पूर्व विधायक सज्जाद अहमद किचलू को 521 वोटों से हरा दिया है। शगुन को जहां 29,053 वोट मिले वहीं किचलू को 28532 वोट मिले और तीसरे स्थान पर रहे PDP के उम्मीदवार फिरदौस अहमद टाक को 997 वोट मिले।
कौन हैं शगुन परिहार
29 वर्षीय परिहार फिलहाल इलेक्ट्रॉनिक्स में पीएचडी कर रही हैं और उन्होंने IK गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से 2021 में इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम में M.Tech किया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह चुनाव लड़ने से पहले वह जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही थीं। चुनाव प्रचार के दौरान लगातार आतंकियों से लोगों की सुरक्षा के मुद्दे की चर्चा करती रहीं शगुन ने अपने पिता और चाचा को आंतकी हमले में खो दिया था।
शगुन परिहार के पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की पंचायत चुनाव से ठीक पहले नवंबर 2018 को आतंकी हमले में हत्या कर दी गई थी। अनिल और अजित को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने तब निशाना बनाया था जब वे रात को दुकान से अपने घर जा रहे थे। कहा जाता है कि अनिल और अजित दोनों जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के प्रबल समर्थक थे और यह कट्टरपंथियों को रास नहीं आता था।
शगुन के चाचा की गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी और वह बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई के सचिव भी थे। माना जाता है कि अनिल परिहार को मुस्लिम समुदाय को लोगों से भी समर्थन मिलता था और वह 1990 के दशक में भाजपा के डोडा बचाओ आंदोलन के दौरान भी राजनीति में शामिल रहे थे।
जीत के बाद क्या बोलीं शगुन
इस चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद शगुन ने काम की अपनी प्राथमिकताओं को लेकर मीडिया से बातचीत की है। शगुन ने कहा कि वह सबसे पहले सुरक्षा के मुद्दे को सुलझाने पर ध्यान देंगी। उन्होंने कहा, “सुरक्षा की वजह से हमने बहुत से जवानों को और अपने लोगों को खोया है। मैंने अपने पिता को खोया है। किसी ने अपने बेटे, किसी ने अपने भाई को खोया है।बहुत से घरों को वीरान कर दिया गया है।”
बकौल शगुन, उनकी कोशिश रहेगी कि यहां पर रहने वाले हर बच्चे के सिर पर पिता का साया रहे और खुशहाली रहे।
‘वह काला दिन आज भी मेरी आंखों में बसा है’
शगुन को बीजेपी ने जब विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था तो वह बहुत ज्यादा भावुक हो गई थीं। तब उन्होंने कहा था कि यह चुनाव किश्तवाड़ के शहीदों का है और वह जीवनभर यहां के लोगों के लिए समर्पित रहेंगी।
उन्होंने कहा था, “वह काला दिन आज भी मेरी आंखों में बसा है, जिस दिन मेरा घर वीरान कर दिया गया। मेरे परिवार ने अपने खून का कतरा-कतरा किश्तवाड़ के लिए दे दिया, यह चुनाव उनके लिए है।” गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोडा में चुनावी जनसभा के दौरान शगुन परिहार को बेटी कहकर संबोधित किया था।