केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार (22 अक्टूबर, 2024) को 60 वर्ष के हो गए। राजनीति में 60 वर्ष बहुत अधिक उम्र नहीं होती है। इस हिसाब से देखें तो अमित शाह की उपलब्धियाँ उनके समकालीन नेताओं में उन्हें एक अलग शिखर पर खड़ी करती हैं। मई 2019 से ही देश के गृह मंत्रालय को सँभाल रहे अमित शाह के नेतृत्व में न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा मजबूत हुई है, बल्कि कश्मीर में आतंकवाद से लेकर छत्तीसगढ़-झारखंड जैसे राज्यों में माओवादियों पर भी करारा प्रहार हुआ। इस तरह अमित शाह न केवल एक कुशल संगठनकर्ता, बल्कि एक अच्छे प्रशासक भी साबित हुए हैं।
अमित शाह का राजनीतिक करियर, 50 की उम्र से पहले ही बने अध्यक्ष
अमित शाह के बारे में एक ख़ास बात हम आपको बताएँगे, लेकिन उससे पहले संक्षेप में उनके राजनीतिक करियर पर एक नज़र डाल लेते हैं। मात्र 14 वर्ष की उम्र में वो RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) में शामिल हुए थे, 17 वर्ष की उम्र में नरेंद्र मोदी के साथी बने, 22 साल की उम्र में उन्होंने भाजपा का दामन थामा, 35 वर्ष की उम्र में गुजरात सरकार में मंत्री बने और 50 वर्ष से भी कम उम्र में भाजपा के अध्यक्ष बने। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में भाजपा ने केवल हिंदी पट्टी या तथाकथित ‘काऊ बेल्ट’ की पार्टी होने का मिथक तोड़ा और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में सरकार बनाई।
अमित शाह एक अनुशासनप्रिय नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनके साथ काम करने वाले कई नेता ये तक कहते हैं कि वो न सोते हैं और न सोने देते हैं, वो एक टास्क-मास्टर हैं। सबसे बड़ी बात कि वो खुद ही आगे बढ़ कर उदाहरण पेश करते हैं, केवल दूसरों से ही मेहनत की अपेक्षा नहीं रखते। अमित शाह के अध्यक्षीय कार्यकाल में भाजपा ने कर्नाटक और बिहार जैसे बड़े राज्यों में जीत दर्ज की और ओडिशा व पश्चिम बंगाल जैसे गैर-हिन्दीभाषी राज्यों में दूसरी सबसे बड़ी ताक़त बन कर उभरी। अब तो ओडिशा में भाजपा की सरकार भी बन गई है। पूरा पूर्वोत्तर उनके कार्यकाल में भगवा रंग में रंग गया।
अमित शाह नहीं पहनते हैं हाथ की घड़ी
अमित शाह के बारे में एक बात जो कई लोगों को नहीं पता है, वो ये है कि वो घड़ी नहीं पहनते हैं। अब तक हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सुना था कि वो घड़ी उलटी पहनते हैं। यानी, उनकी कलाई पर ऊपर की तरफ घड़ी की बेल्ट होती है और कलाई के नीचे घड़ी का समय दिखाने वाला हिस्सा। पीएम नरेंद्र मोदी का इसके पीछे तर्क ये है कि भाषण वगैरह देते समय या किसी के साथ बैठक करते हुए उन्हें घड़ी देखने के लिए हाथ सीधा नहीं करना पड़ता। यानी, सामने वाले को पता नहीं चलता है कि वो समय देख रहे हैं। उन्होंने बताया था कि उलटी घड़ी बाँधने के कारण सामने वाले लोगों को पता नहीं चलता कि वो समय देख रहे हैं क्योंकि पता चलने पर उन्हें अच्छा महसूस नहीं होता। वहीं दूसरी तरफ उनसे 14 साल छोटे उनके सहयोगी अमित शाह कलाई में घड़ी बाँधते ही नहीं। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन (SPMRF) के मानद निदेशक अनिर्बन गांगुली और इसी संस्था में सीनियर रिसर्च फेलो शिवानंद द्विवेदी ने अपनी पुस्तक ‘अमित शाह एन्ड द मार्च ऑफ बीजेपी’ में इसका कारण बताया है।
एक नेता जो अनुशासनप्रिय हो और समय का पाबंद हो, वो घड़ी न पहने तो लोगों का आश्चर्यचकित होना लाजिमी है। इस पुस्तक में कार्यकर्ताओं के साथ अमित शाह के संवाद के हवाले से बताया गया है कि उनके घड़ी न पहनने के पीछे का कारण उनकी संघ पृष्ठभूमि और विचारधारा है। जब भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने उनसे पूछा कि वो हाथ की घड़ी क्यों नहीं पहनते, तो अमित शाह ने बताया था कि सार्वजनिक जीवन में उपहारों के लेनदेन का चलन घड़ी और कलम के साथ ही शुरू होता है। अमित शाह ने बताया था कि सार्वजनिक जीवन में कदम रखने के साथ ही उन्होंने उपहारों का लेनदेन बंद कर दिया था और इसीलिए वो घड़ी पहनते ही नहीं।
दूसरी तरफ सिद्दारमैया और इमरान खान जैसे नेता
आप देखिए, इसके उलट बाकी नेताओं के बड़े-बड़े शौक होते हैं, वो महँगी-महँगी घड़ियाँ पहने हुए आपको दिखेंगे। मार्च 2018 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर 40 लाख रुपए की घड़ी पहनने के आरोप लगे थे। बड़ी बात कि कांग्रेस नेता के खिलाफ इस मामले को अमित शाह ने एक सार्वजनिक जनसभा में भी उठाया था। अमित शाह ने रैली में पूछा था कि यहाँ बैठे किसी भी व्यक्ति के पास 40 लाख रुपए की घड़ी है क्या? फिर उन्होंने कहा था कि सिद्दारमैया 40 लाख रुपए की घड़ी पहनने वाले ‘समाजवादी’ नेता हैं, यही बताता है कि उन्होंने कितना भ्रष्टाचार किया है। स्पष्ट है, अमित शाह जिस हिंदुत्व और संघ की विचारधारा का अनुसरण करते हैं वही उन्हें ऐसा बनाते हैं। चुनाव के दौरान कुछ खास मौकों को छोड़ कर उन्होंने प्राइवेट जेट का इस्तेमाल करना बंद कर दिया, उन्होंने भाजपा नेताओं के प्रवास के दौरान पाँच सितारा होटलों की जगह सर्किट या गेस्ट हाउस में रुकने का चलन शुरू करवाया। वो खुद भी इसका अनुसरण करते रहे।
भारत ही नहीं, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी देखिए। पाकिस्तान का तोशखाना प्रकरण याद होगा आपको, जिसके तहत तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान पर विदेश से मिले महँगे उपहारों को बेच देने का आरोप लगा था। कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। जिन उपहारों को उन्होंने बेचा था, उनमें Rolex की घड़ियाँ भी शामिल थीं। वहीं Graff कंपनी की एक घड़ी 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपए की थी। ये वॉच उन्हें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने गिफ्ट की थीं। ये एक कस्टमाइज्ड घड़ी थी, यानी विशेष ऑर्डर देकर इसे बनवाया गया था।
जो लोग विचारधारा की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उन्हें अमित शाह से सीख लेनी चाहिए। आज हम देख रहे हैं कि कैसे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ में करोड़ों के साजोसामान लगाए गए थे। अखिलेश यादव का घर व्हाइट हाउस जैसे चमकता हुआ दिखता है। बिहार में डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव पर बँगला खाली करने के दौरान AC से लेकर बिस्तर तक ले जाने के आरोप लगे। इन सबके बीच अमित शाह अनुशासन और विचारधारा के पालन के मामले में अलग खड़े मिलते हैं और उदाहरण पेश करते हैं।